यह झारखंड के लिए गर्व की बात है कि घाटशिला में निर्मित तांबे का उपयोग अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम के मंदिर में हो रहा है। यह तांबा घाटशिला स्थित हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड( एचसीएल) की इकाई इंडियन कॉपर कंपलेक्स (आईसीसी) में तैयार हो रहा है। बता दें कि मंदिर के लिए कुल 27 टन तांबा चाहिए। इसमें से 13.1 टन तांबा हाल ही में भेज दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि मंदिर के पत्थरों को जोड़ने के लिए शत—प्रतिशत शुद्ध तांबा चाहिए। इसके लिए तांबे की 70,500 पट्टियां लगेंगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से यह प्रयास किया गया है कि तांबा पूरी तरह से स्वदेशी और शुद्ध हो।
राम मंदिर के गर्भगृह को आकार देने के लिए पत्थरों को जोड़ा जाएगा। इसके लिए पत्थरों में छेद किया जा रहा है। इसके बाद पत्थरों को एक—दूसरे से जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का प्रयोग किया जाएगा। एचसीएल के कर्मचारियों ने बताया कि जब से कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी मिली है तब से एचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अरुण कुमार शुक्ला ने कर्मचारियों को दिन—रात मेहनत करने को कहा। इसके साथ ही उनके द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया कि समय पर तांबे की आपूर्ति हो।
घाटशिला से भेजे गए 221 कार्टन में 35360 तांबे की पत्तियां हैं। हर कार्टन में 160 पत्तियां हैं और एक टुकड़े का वजन 360 ग्राम है। शेष 14 टन तांबा 4 या 5 अप्रैल को अयोध्या भेजा जाएगा। वास्तुकला के जानकारों और इंजीनियरों के अनुसार पत्थरों के बीच में 'वी' आकार के तांबे का प्रयोग किया जाएगा। इन तांबों को जोड़ने के लिए नट बोल्ट का भी प्रयोग किया जाएगा, ताकि किसी आपदा के समय मंदिर को कोई नुकसान न हो।
आईसीसी के कार्यपालक निदेशक समरजीत डे ने बताया कि तांबे की पहली खेप जाने से पहले कंटेनर में रखे गए तांबे की विधिवत पूजा—अर्चना श्रीकृष्ण मंदिर के पुजारी से कराई गई। उसके बाद वहां पर नारियल फोड़ा गया और अंत में कंटेनर के चालक मुकेश गिरी को वहां मौजूद सभी पदाधिकारियों और भाजपा के नेताओं ने माला पहनाया और जय श्रीराम के नारे के साथ कंटेनर को रवाना किया। समरजीत डे ने यह भी कहा कि घाटशिला में तैयार तांबा श्रीराम मंदिर में लग रहा है, यह हमारे लिए गर्व की बात है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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