मान के शपथ ग्रहण के लिए फसल उजाड़ी तो मुआवजा 45 हजार, सुंडी ने उजाड़ी तो दिए 17 हजार
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मान के शपथ ग्रहण के लिए फसल उजाड़ी तो मुआवजा 45 हजार, सुंडी ने उजाड़ी तो दिए 17 हजार

by WEB DESK
Mar 28, 2022, 11:43 pm IST
in भारत, पंजाब
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एक ओर तो सरकार कहती है कि वह किसानों की हितैषी है, क्या यह सरकार का किसानों के प्रति यह रवैया है। किसान नेता अशोक कुमार ने बताया कि आप सरकार की करनी और कथनी में अंतर है। बस दावे हो रहे हैं। मुआवजे देने में मान सरकार भेदभाव कर रही है।

मनोज ठाकुर

पंजाब की भगवंत मान सरकार किस तरह से भेदभाव कर रही है। सरकार की करनी और कथनी में कितना अंतर है। कपास के मुआवजे पर खूब हल्ला मचाने वाली मान सरकार यह नहीं बता रही कि जब मान के शपथ ग्रहण समारोह के लिए गेहूं की फसल उजाड़ी थी तो मुआवजा दिया था 45 हजार रुपए। लेकिन सुंडी  ने जो फसल उजाड़ी उसका मुआवजा दिया गया 17 हजार रुपए। यह भेदभाव क्यों?
  
सुंडी से खराब हुई कपास के मुआवजे को आम आदमी पार्टी की सरकार ने जोरदार तरीके से प्रचारित किया है। सीएम भगवंत मान ने खुद दावा किया कि फसल खराब होने के तुरंत बाद किसानों को मुआवजा मिलेगा। लेकिन आप सरकार पर मुआवजे को लेकर 'दोहरे मापदंड' अपनाने का आरोप लग रहा है। इसकी वजह यह है कि आप ने कपास के खराब होने का जो मुआवजा दिया वह 17 हजार रुपए प्रति एकड़ दिया था। दूसरी ओर जब भगवंत मान ने खटखड़कला में शपथ ग्रहण समारोह किया था, तब पंडाल लगाने के लिए कुछ खेत लिए गए थे। इन खेतों में गेहूं की फसल थी। जो खराब हो गई, तब उसका मुआवजा 45,000 रुपये प्रति एकड़ दिया गया था। 

गढ़शंकर क्षेत्र से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाली निमिषा मेहता ने कहा , 'नवांशहर में शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए खड़ी गेहूं की फसल को उजाड़ने के लिए सीएम भगवंत मान किसानों को 45,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे सकते हैं, तो क्यों नहीं कपास उत्पादक किसानों को उतनी ही राशि नहीं दी गई?” यह तो एक तरह से मान सरकार का दोहरा रवैया है। गेहूं की फसल सरकार खराब करती है तो मुआवजा 45,000 हजार रुपए प्रति एकड़ दिया जा रहा है। जब कपास की फसल को सूंडी खराब करती है तो मुआवजा 17,000 दिया जाता है। क्यों? इस तरह से मुआवजे में यह भेदभाव क्यों है? तो क्या इसलिए कि खटखड़कला में भगवंत मान शपथ लेने गए थे, इसलिए वहां फसल उजाड़ी गई। जिसका मुआवजा इतना ज्यादा दिया गया। आखिर सरकार का किसानों को मुआवजा देने का मापदंड क्या है? कम से कम जनता के बीच में यह स्पष्ट तो होना ही चाहिए। 

एक ओर तो सरकार कहती है कि वह किसानों की हितैषी है, क्या यह सरकार का किसानों के प्रति यह रवैया है। किसान नेता अशोक कुमार ने बताया कि आप सरकार की करनी और कथनी में अंतर है। बस दावे हो रहे हैं। मुआवजे देने में मान सरकार भेदभाव कर रही है। किसानों ने बताया कि कपास पर पंजाब सरकार ने जो मुआवजा दिया, उसके लिए इतना ज्यादा दिखावा हो रहा है कि जैसे पंजाब में पहली बार मुआवजा दिया गया हो। इतना ही नहीं प्रचार के लिए मुआवजे के चैक खुद सीएम बांटने गए, जबकि अब तक चैक बांटने का काम अधिकारी ही करते रहे हैं। लेकिन प्रचार की भूखी पंजाब सरकार यहां भी राजनीति करने से बाज नहीं आयी। 

पंजाब के युवा किसान दिलावर सिंह व गुरमुख सिंह ने बताया कि अभी तक मान सरकार में घोषणा ही हो रही है। हकीकत में हुआ कुछ भी नहीं। सिर्फ प्रचार के लिए हर रोज नई नई घोषणा हो रही है। साफ है, इनके पास करने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि किसान की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इस बार सूरजमुखी का बीज किसानों को नहीं मिला। इस वजह से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन मौजूदा सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर रही है। 

इसी तरह से दावा किया जा रहा है कि नकली कीटनाशक व बीजों की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन लगेगी कैसे? इसका रोड मैप सरकार के पास नहीं है। इनका कहना है कि सरकार सिर्फ प्रचार पर पैसा खर्च कर रही है। शपथ ग्रहण समारोह पर जम कर पैसा बहाया गया। लेकिन जो वास्तव में पीड़ित किसान है, उनकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सुंडी का प्रकोप उन मानसा के इलाकों सबसे ज्यादा है। यहां से आम आदमी पार्टी को खासा बहुमत मिला है। इसके बाद भी आप सरकार में यहां के किसानों की अनदेखी हो रही है। लगता है अब किसानों को समझ आ जाएगी कि आम आदमी पार्टी वोट बटोरने के लिए किसानों के साथ झूठे वादे कर रही थी। उन्हें किसानों से कोई सरोकार नहीं है। बस वोट लेने थे, इसलिए किसानी का राग अलापा जा रहा था। राजस्व विभाग के सचिव मनवेश सिद्धू ने कहा, हमने नुकसान के आकलन के आधार पर किसानों को 17,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया है। फसल को पूरी तरह से नुकसान नहीं हुआ है। कपास किसानों को दिए गए मुआवजे की तुलना खटकर कलां में दिए गए मुआवजे से नहीं की जा सकती क्योंकि मुआवजे के लिए पूरी गेहूं की फसल को साफ करना पड़ा था। ये दो अलग-अलग मामले हैं।"

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