पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के जिस बगटुई गांव में आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया, वहां से अधिकतर लोग गांव छोड़कर दूसरी जगह जा चुके हैं। यहां तक कि मिहिलाल शेख जिनके घर से सात लोगों के जले हुए शव बरामद किए गए थे वह भी अपना पैतृक आवास छोड़कर जान बचाने के लिए घटनास्थल से करीब 27 किलोमीटर दूर गोपालजल गांव में शरण लिए हुए हैं। आगजनी की वारदात में उनकी मां, पत्नी और 10 वर्ष की मासूम बेटी को जिंदा जला दिया गया था।
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने घटना की सीबीआई जांच का आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी से जांच बंद कर सारे दस्तावेज सीबीआई को सौंपने को कहा था। उसी के मुताबिक शनिवार को रामपुरहाट थाने में पहुंचकर सीबीआई के अधिकारियों ने एसआईटी के अधिकारियों से सारे दस्तावेज और साक्ष्यों को ले लिया है।
जांच टीम में शामिल सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर गांव के प्रत्यक्षदर्शियों से बात की गई है। पता चला है कि लगातार हमले, तोड़फोड़ और आगजनी होती रही, लेकिन बचाव के लिए स्थानीय पुलिस नहीं आई। घटना से थोड़ी देर पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख की हत्या हुई थी, इसलिए पूरे गांव के लोग डरे हुए हैं कि उनके साथ भी बदले की कार्रवाई के तहत मारपीट, आगजनी अथवा हिंसा की अन्य घटनाएं हो सकती है। इसलिए अधिकतर लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। सीबीआई की टीम ने उन सभी घरों का दौरा किया है जिन्हें आग के हवाले कर दिया गया था। 21 मार्च की रात आगजनी की घटना में मिहिलाल के घर से सात शव बरामद किए गए थे जिनमें उनकी मां, पत्नी और 10 साल की बेटी का भी जला हुआ शव था। वह फिलहाल गांव छोड़कर दूसरी जगह रह रहे हैं जहां उनसे मिलने के लिए सीबीआई की टीम जाएगी। उनका बयान रिकॉर्ड किया जाएगा। साथ ही अन्य प्रत्यक्षदर्शियों का भी बयान रिकॉर्ड करने की कोशिश में सीबीआई की टीम जुट गई है। इसके अलावा जिला पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 21 लोगों को केंद्रीय एजेंसी अपनी हिरासत में ले रही है और उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई है।
सेंट्रल फॉरेंसिक टीम भी पहुंची
सीबीआई को जांच में सहयोग करने के लिए केंद्रीय फॉरेंसिक टीम भी शनिवार को लगातार दूसरे दिन घटनास्थल पर पहुंची है। यहां से नमूने संग्रह किए जा रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आगजनी की शुरुआत किस तरह से हुई। नरसंहार स्थल पर पहुंची फोरेंसिक टीम ने सीबीआई के पहुंचने से पहले ही उन सभी घरों का निरीक्षण शुरू किया था जिनमें आग लगाई गई थी। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा पहले ही हो गया है कि जिन लोगों के शव बरामद किए गए हैं उन्हें जिंदा जलाने से पहले मारा-पीटा गया था और बाद में घरों में बंद कर बाहर से आग लगाई गई थी, इसीलिए काफी सावधानी से फॉरेंसिक की टीम एक-एक सबूत को एकत्रित कर रही है ताकि उन्हें कोर्ट में पेश किया जा सके। हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपते हुए आगामी सात अप्रैल तक घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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