कृषि प्रधान देश से ‘प्रधान कृषि देश’ तक
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

कृषि प्रधान देश से ‘प्रधान कृषि देश’ तक

by ज्ञानेंद्र नाथ बरतरिया
Mar 25, 2022, 03:12 pm IST
in भारत, दिल्ली
किसान भी नवाचार और नई तकनीक को अपना रहे हैं

किसान भी नवाचार और नई तकनीक को अपना रहे हैं

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
भारत में कृषि अब 19वीं शताब्दी की शोषित और बंधनों में बंधी खेती नहीं रही, जिसे पारम्परिक खेती कह दिया जाता था। अब खेती उन लोगों का अंतिम ठौर नहीं है, जिनके पास कोई काम नहीं था। अब खेती नौकरी बांटने वाला क्षेत्र है। भारत अब वैश्विक बाजार में खाद्य वस्तुओं के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में अपनी क्षमता का बोध करा रहा है

एक बात, जो कहनी आवश्यक है। हममें से अधिकांश लोग बचपन से सुनते-पढ़ते आ रहे हैं कि ‘भारत एक कृषि प्रधान देश है’। इसकी मीमांसा किया जाना आवश्यक है। ‘कृषि प्रधान देश’ कहे जाने का निहित अर्थ यह भी था कि भारत एक उद्योगविहीन देश है। जो था नहीं, लेकिन बना दिया गया था।
इसका दूसरा अंतर्निहित अर्थ ज्यादा गहरे परिणाम वाला था। भारत – एक देश के तौर पर कृषि प्रधान था, मतलब यहां के ज्यादातर लोग, सिर्फ पेट भरने के लिए, सिर्फ जीवन निर्वहन के लिए, सिर्फ कृषि पर निर्भर थे। कपड़ा, मकान, कागज, दवा और बाकी चीजें तो कल्पनातीत थीं। यह भारत को बहुत-बहुत गरीब दर्शाने वाला प्राकथन था। यह भी था नहीं, लेकिन बना और दिखा दिया गया था।

तो कुल मिलाकर भारत एक ऐसा देश था, जो सतत तौर पर खाद्य संकट से जूझता रहता था। पीएल-480, एक दिन का उपवास से लेकर कथित हरित क्रांति तक यह कहानी इसी प्रकार चलती रही। हरित क्रांति में क्या था, क्या नहीं, यह इस लेख का विषय नहीं है।

कृषि यात्रा में अहम बदलाव
इस यात्रा में अब इतना तीव्र मोड़ आ चुका है कि अब भारत वैश्विक बाजार में खाद्य वस्तुओं के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में अपनी क्षमता का बोध करा रहा है। कोरोना वायरस के आघात और तत्संबंधी लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों के बीच भारत ने गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ गरीब और जरूरतमंद लोगों को दो वर्ष तक मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराया।
स्पष्ट है, कुछ तो हुआ ही होगा। जिस देश को कल तक ‘शिप टू माउथ’ देश कहा जाता था- माने जब आयात होगा, तब खाना मिलेगा, उसके ‘शिप’ अब विश्व के दूसरे ‘माउथ्स’ को भोजन मुहैया करा रहे हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत 2025 तक विश्व में कृषि वस्तुओं के शीर्ष पांच निर्यातकों में शामिल हो सकता है।


जिस देश को कल तक ‘शिप टू माउथ’ देश कहा जाता था- माने जब आयात होगा, तब खाना मिलेगा, उसके ‘शिप’ अब विश्व के दूसरे ‘माउथ्स’ को भोजन मुहैया करा रहे हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत 2025 तक विश्व में कृषि वस्तुओं के शीर्ष पांच निर्यातकों में शामिल हो सकता है। वर्तमान में, भारत 2020-2021 में 41.25 अरब अमेरिकी डॉलर के वार्षिक कृषि निर्यात के साथ आठवें स्थान पर है।


विश्व व्यापार संगठन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में, भारत 2020-2021 में 41.25 अरब अमेरिकी डॉलर के वार्षिक कृषि निर्यात के साथ आठवें स्थान पर है। मौजूदा सूची में शीर्ष पांच में पहुंचने के लिए भारत को कनाडा को पछाड़ना होगा, जो 69 अरब डॉलर के निर्यात के साथ पांचवें स्थान पर है।
अगर क्षमताओं और संभावनाओं की दृष्टि से देखा जाए, तो भारतीय कृषि निर्यात में 70 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की पात्रता है। कैसे – आइए देखते हैं।

 

  • भारत में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। आखिर भारत के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि है। 20 कृषि-जलवायु क्षेत्र (एग्री-क्लाइमेटिक जोन) हैं, विश्व की सभी 15 प्रमुख ऋतुएं भारत में हैं। विश्व में कुल 60 प्रकार की मिट्टी होती है, जिनमें से 46 तरह की मृदाएं भारत में हैं। भारत मसालों, दाल, दूध, चाय, काजू और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है, और गेहूं, चावल, फलों और सब्जियों, गन्ना, कपास और तिलहन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा, भारत फलों और सब्जियों के वैश्विक उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और आम और केले का सबसे बड़ा उत्पादक है। फसल वर्ष 2019-20 के दौरान भारत में खाद्यान्न उत्पादन 29.665 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। 2020-21 में, भारत सरकार ने 298 मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • विश्व भर में कृषि उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
  •  भारत आधुनिक कृषि आदानों को तेज गति से अपना रहा है, जैसे संकर बीज, उर्वरक, संबद्ध सेवाएं, वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज और अब ड्रोन तकनीक भी इसमें शामिल हो गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल), रिमोट सेंसिंग, बिग डेटा, ब्लॉक चेन और आईओटी जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियां कृषि मूल्य शृंखलाओं को बदलने के साथ संचालन का आधुनिकीकरण कर रही हैं।

सितम्बर 2021 में, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डिजिटल कृषि मिशन 2021-2025 की शुरुआत की घोषणा की। डिजिटल कृषि मिशन 2021-2025 का उद्देश्य एआई, ब्लॉक चेन, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक और ड्रोन और रोबोट के उपयोग जैसी नई तकनीकों के आधार पर परियोजनाओं का समर्थन करना और उनमें तेजी लाना है। पायलट परियोजनाओं के माध्यम से डिजिटल कृषि को आगे बढ़ाने के लिए सिस्को, निन्जाकार्ट, जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड, आईटीसी लिमिटेड और एनसीडीईएक्स ई-मार्केट्स लिमिटेड (एनईएमएल) के साथ पांच समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

सिस्को ने अगस्त 2019 में एक कृषि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर (एडीआई) समाधान विकसित किया है। यह एडीआई राष्ट्रीय कृषि स्टैक के तहत कृषि विभाग द्वारा बनाए जाने वाले डेटा पूल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस पहल के लिए पायलट प्रोजेक्ट कैथल (हरियाणा) और मुरैना (मध्य प्रदेश) में होगा।

फरवरी 2020 में लॉन्च किया गया जियोकृषि प्लेटफॉर्म किसानों को सशक्त बनाने के लिए संपूर्ण मूल्य शृंखला के साथ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को डिजिटाइज करता है।

  • कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कई सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 2022 से शुरू हो कर छह वर्ष की अवधि तक चलने वाली 10,900 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन परिव्यय वाली एक पीएलआई योजना पहले ही है।

कृषि कानूनों की वापसी पर पुनर्विचार जरूरी
अब बात नवीनतम स्थिति की। 22 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार कृषि क्षेत्र के सुधारों के लाभों के बारे में विरोध करने वाले किसानों को नहीं समझा सकी है।
फिर 11 फरवरी, 2022 को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कहा कि सरकार की तीन निरस्त कृषि कानूनों को भविष्य में फिर से पेश करने की कोई योजना नहीं है।

माने प्रथम दृष्टया यह एक ऐसी कहानी है, जो खत्म हो चुकी है। लेकिन अब यह बात सामने आई है कि तीनों कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने सिफारिश की थी कि तीन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे किसानों के लिए फायदेमंद होंगे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक स्थगित करना कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले मूक बहुमत के लिए अनुचित होगा। रिपोर्ट 19 मार्च, 2021 को शीर्ष अदालत को सौंपी गई थी और एक साल से अधिक समय बाद हाल ही में इसे सार्वजनिक किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 3 करोड़ से अधिक किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 86 प्रतिशत संगठनों ने इन कानूनों का समर्थन किया।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति के समक्ष प्रस्तुत होने वाले 73 किसान संगठनों में से 3.3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 61 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया है।
इस विषय पर दो अन्य संदर्भों में पुनरावलोकन करना बहुत महत्वपूर्ण है। पहला- किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य और दूसरे भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि क्षेत्र की भूमिका और योगदान।

स्पष्ट है कि यह रिपोर्ट भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए नीतियां बनाने में काफी मददगार हो सकती है। वापस लिये गए तीन कृषि कानून थे- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2. किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम पर समझौता और 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020।

यह स्पष्ट है कि भारत के कृषि क्षेत्र को बाजारोन्मुख गतिविधि में बदलने की जरूरत है, जिसमें कृषि उत्पाद और स्टॉक वस्तुओं को किसी भी खरीदार को बिना किसी प्रतिबंध के बेचने की स्वतंत्रता हो।

15 मई, 2020 को, केंद्रीय वित्त मंत्री ने ऐतिहासिक नीतिगत बदलावों की घोषणा की थी। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से चला आ रहा है, इसमें संशोधन, की बात थी, जिससे किसानों को अपने राज्यों के बाहर की संस्थाओं को अपनी उपज बेचने की अनुमति मिलती है और किसानों को सुनिश्चित रिटर्न प्राप्त करने के लिए एक कानूनी ढांचे का प्रावधान था। किसान खाद्य प्रसंस्करण करने वालों, थोक व्यापारियों, खुदरा व्यापारियों और निर्यातकतार्ओं के साथ सीधे संवाद और सौदा कर सकते थे।

वास्तव में ये सुधार हवा में नहीं आए। अर्थशास्त्रियों, व्यापार नीति विशेषज्ञों और यहां तक कि अतीत में गठित सरकारी समितियों द्वारा भी कई बार इनकी सिफारिश की जा चुकी है। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा है कि एपीएमसी व्यापारियों के एकाधिकार, कृषि जिंसों के निर्यात और आयात पर मनमाने ढंग से प्रतिबंध और अन्य प्रतिबंधात्मक नियमों, आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत निर्धारित स्टॉक सीमा के कारण देश के कृषि क्षेत्र में कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे में, बाजार विकास में, प्रसंस्करण और निर्यात में अधिक निजी निवेश नहीं हो सका है।

इन नियमों के परिणामस्वरूप किसानों और निर्यातकों के बीच संभावित प्रत्यक्ष संबंध जन्म ले सकने के पहले ही समाप्त हो चुके थे। इस बंधनपूर्ण स्थिति का मतलब केवल यह था कि किसान केवल उन्हीं फसलों का उत्पादन करेंगे, जो प्रसंस्करण और निर्यात के लिए उपयुक्त न हों। (फिर से याद कीजिए -‘भारत एक कृषि प्रधान देश है’)। किसानों और निर्यातकों के बीच सीधे संपर्क के अभाव ने किसानों को उन कृषि वस्तुओं की विविधता और गुणवत्ता के बारे में सोचने-समझने और जानने की भी संभावना नहीं छोड़ी, जिनकी विदेशी बाजारों में मांग हो सकती है। ऐसे में यदि भारतीय खाद्य विदेशी बाजारों में किसी गुणवत्ता मानक के पालन की कमी के आधार पर खारिज हो जाता था, तो वास्तव में भारत के किसानों को उस ज्ञान के अभाव के लिए दंडित किया जा रहा था, जो उन्हें कभी प्राप्त ही नहीं होने दिया गया था।

 


भारत आधुनिक कृषि आदानों को तेज गति से अपना रहा है, जैसे संकर बीज, उर्वरक, संबद्ध सेवाएं, वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज और अब ड्रोन तकनीक भी इसमें शामिल हो गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल), रिमोट सेंसिंग, बिग डेटा, ब्लॉक चेन और आईओटी जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियां कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को बदल रही हैं और संचालन का आधुनिकीकरण कर रही हैं।


15 मई, 2020 को घोषित सुधार इन प्रतिबंधों में से कुछ का समाधान करने की दिशा में थे। इससे कृषि क्षेत्र में कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद थी। सरकार ने फसल के बाद के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 1 लाख करोड़ रुपये, 2 लाख सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक रूप देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये, मत्स्य विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये, पशुपालन और अन्य के लिए 15,000 करोड़ रुपये की घोषणा भी की थी।

कृषि निर्यात में वृद्धि का रुझान
इन उपायों के परिणामस्वरूप भारत के कृषि निर्यात को एक बड़ा बढ़ावा मिलने की पूरी उम्मीद थी। खाद्यान्न, फलों और सब्जियों, दालों और अन्य फसलों का प्रमुख उत्पादक होने के बावजूद, 2011-12 से भारत का कृषि निर्यात लगभग 38 अरब अमेरिकी डालर पर स्थिर रहा है। हालांकि कृषि निर्यात में हाल ही में वृद्धि का रुझान शुरू हुआ है और इसमें 17.34% की वृद्धि हुई है।

 

लेकिन एक दूसरा पहलू भी है। एफएओ के आंकड़ों के अनुसार, भारत निश्चित रूप से विश्व में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, फिर भी विश्व निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 1.7-1.8% है। इसी तरह, भारत पपीता और नींबू का सबसे बड़ा उत्पादक है; लेकिन पपीते के लिए विश्व की आयात मांग का केवल 3.2% और नींबू के लिए विश्व आयात की मात्र 0.5% मांग को पूरा करता है। चीन के बाद भारत में बांस की दूसरी सबसे बड़ी क्षमता और संसाधन है, जिसमें बांस की 136 प्रजातियां और लगभग 1.396 करोड़ हेक्टेअर भूमि पर बांस की खेती शामिल है, जो विश्व में सबसे अधिक है। इसके बावजूद, भारत मुश्किल से 6.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के मूल्य वर्धित बांस उत्पादों का निर्यात करता है, जो विश्व आयात का मुश्किल से 2.83% (कुल 2.26 अरब अमेरिकी डॉलर का) है।

फिर भी, पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने गति पकड़ी है और शिमला मिर्च, अरंडी का तेल, तंबाकू के अर्क और मीठे बिस्कुट जैसे विशिष्ट उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत ने बासमती चावल, मांस और समुद्री उत्पादों के निर्यात में भी काफी प्रगति की है। अधिक उत्साहजनक बात यह है कि कुछ प्रमुख वस्तुओं ने 2020-2021 के बीच निर्यात में महत्वपूर्ण सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है। उदाहरण के लिए, 

 

  • गेहूं और अन्य अनाज- 3,708 करोड़ रुपये (50.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर 5,860 करोड़ रुपये (799 मिलियन अमेरिकी डॉलर)।
  • गैर-बासमती चावल: 13,130 करोड़ रुपये (178.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर 30,277 करोड़ रुपये (412.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर)।
  •  सोया मील: 3,087 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,224 करोड़ रुपये।
  • कच्चा कपास: 6,771 करोड़ रुपये से बढ़कर 11,373 करोड़ रुपये।
  • चीनी: 12,226 करोड़ रुपये से बढ़कर से 17,072 करोड़ रुपये।
  • मसाले: 23,562 करोड़ रुपये से बढ़कर 26,257 करोड़ रुपये।

भारत में कृषि अब 19वीं शताब्दी की शोषित और बंधनों में बंधी खेती नहीं रही, जिसे पारम्परिक खेती कह दिया जाता था। अब खेती उन लोगों का अंतिम ठौर नहीं है, जिनके पास कोई काम नहीं था। अब खेती नौकरी बांटने वाला क्षेत्र है। फिर से एक बार कहें- ‘भारत एक कृषि प्रधान देश है’। मीमांसा इसकी भी होगी, लेकिन अब दूसरी दिशा में होगी। चूंकि भारत एक प्रधान कृषि देश है।  

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

Bhagwan Narsingh Jayanti

भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु बने नृसिंह

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies