झारखंड के साहिबगंज से बिहार के कटिहार जा रहा मालवाहक जहाज अनियंत्रित होकर पलट गया। घटना 24 मार्च की देर रात की है। इस जहाज पर 14 ट्रकों पर स्टोन चिप्स लदा हुआ था। इसमें से पांच ट्रक जहाज से गंगा नदी में गिर गए, जबकि नौ ट्रक जहाज पर ही पलट गए। जहाज प्रबंधन का कहना है कि इस हादसे के बाद 10 लोग लापता हो गए थे उनमें से 8 लोगों ने तैरकर अपनी जान बचा ली है। अन्य 2 लोगों का पता लगाया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार जहाज साहिबगंज से बिहार के कटिहार जिले के मनिहारी घाट की ओर जा रहा था तभी देर रात यह हादसा हुआ। घटना की सूचना मिलते ही बिहार और झारखंड के प्रशासन बचाव कार्य में जुटते नजर आए। यह भी जानकारी मिली कि तकनीकी खराबी की वजह से जहाज काफी देर रात साहिबगंज के घाट से निकला था। कैप्टन अमर चौधरी के अनुसार जहाज पर कुल 14 ट्रक लादे गए थे। जब जहाज गंगा नदी के बीच में पहुंचा तो एक ट्रक का टायर फटने की वजह से वह अनियंत्रित होकर नदी में गिर गया। उसके साथ ही चार और ट्रक नदी में गिर गए। बाकी बचे 9 ट्रक जहाज में ही पलट गए। किसी तरह से जहाज नदी के किनारे तक पहुंचा।
काफी पहले से ही साहिबगंज कटिहार की तरफ मालवाहक जहाजों से पत्थर भेजा जाता रहा है। इस तरह की घटना पहले भी हुई है। इस हादसे में भी लापरवाही सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि प्रशासन की तरफ से घाट पर पुलिस चौकी बनाई गई थी जो आने जाने वाले मालवाहक जहाजों की निगरानी करती है। लेकिन, वाहनों पर लगे सामान के वजन की जांच के लिए मौके पर कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है।
झारखंड विधानसभा में भी बजट सत्र के अंतिम दिन बीजेपी विधायक बिरंचि नारायण और अनंत कुमार ओझा ने जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने और लापरवाही का मामला सदन में उठाया है।
बीजेपी विधायक पहले भी पत्थरों के अवैध तस्करी को लेकर सदन में मामला उठाते रहे हैं। बीजेपी के विधायकों ने साहिबगंज के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को निलंबित करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले को लेकर बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात भी कही है।
गौरतलब है कि 2 साल पहले राजमहल से पश्चिम बंगाल के मानिकचक जा रहा है एक जहाज अनियंत्रित होकर पलट गया था और इस हादसे में कई लोगों की जान भी चली गई थी। वर्ष 2018 में भी ऐसी घटना पहले हुई थी उस वक्त भी कई लोगों की जान चली गई। इन घाटों पर इस तरह के हादसे के बाद भी प्रशासन और सरकार की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड सरकार की ओर से जांच के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन लोगों का कहना है कि इस तरह के जांच के आदेश सिर्फ इसलिए दिए जाते हैं ताकि लोग सरकार की मंशा पर सवाल न उठा सकें। अब देखना यह है कि जांच का यह आदेश कारगर होता है या नहीं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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