प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा पर दुख जताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को राज्य सरकार जरूर सजा दिलवाएगी। अपराधियों को सजा दिलवाने में केन्द्र की राज्य सरकार को पूरा समर्थन देने का भी आश्वासन दिया। बीरभूम जिले में अग्निकांड में महिलाओं और बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया था। इस मौके पर उन्होंने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में स्थित बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन भी किया। गैलरी में स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक राज के विरुद्ध उनके सशस्त्र प्रतिरोध को दर्शाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसक वारदात पर दुख व्यक्त करता हूं, अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं आशा करता हूं कि राज्य सरकार, बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी।” उन्होंने कहा, “मैं बंगाल के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों को, ऐसे अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से वह राज्य को इस बात के लिए आश्वस्त करते हैं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वो चाहेगी, उसे मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि अमर बलिदानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की कहानी देश के हर बच्चे की जुबान पर है। इन वीरों की कहानियां हम सभी को देश के लिए दिन-रात काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। अतीत की विरासत देश के वर्तमान को दिशा देकर बेहतर भविष्य गढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। आज देश अपने इतिहास और अतीत को ऊर्जा के जाग्रत स्रोत के रूप में देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने पूरवर्ती सरकार में कलाकृतियों की तस्करी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पहले प्राचीन मंदिरों की मूर्तियों के चोरी होने की खबरें आती थीं। कलाकृतियों की विदेशों में तस्करी होती थीं लेकिन अब भारत की उन धरोहरों को वापस लाया जा रहा है। 2014 से पहले के दशकों में, केवल एक दर्जन मूर्तियों को भारत लाया जा सका लेकिन पिछले 7 वर्षों में यह संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो गई है। हेरिटेज टूरिज्म का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विरासत पर्यटन बढ़ाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है। स्वदेश दर्शन जैसी कई योजनाओं के जरिए विरासत पर्यटन को गति दी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने भारत के युवाओं की शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को गुलामी के सैकड़ों वर्षों के कालखंड से आजादी, तीन धाराओं के संयुक्त प्रयासों से मिली थी। एक धारा थी क्रांति की, दूसरी धारा सत्याग्रह की और तीसरी धारा थी जन-जागृति अभियानों की। उन्होंने देश के युवाओं को कभी अपनी शक्तियों और सपनों को कम नहीं आंकने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा कोई काम नहीं जो भारत का युवा कर ना सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो भारत का युवा प्राप्त ना कर सके। आजादी के मतवालों की क्षेत्रीयता अलग-अलग थी, भाषाएं-बोलियां भिन्न-भिन्न थीं। यहां तक कि साधन-संसाधनों में भी विविधता थी लेकिन राष्ट्रसेवा की भावना और राष्ट्रभक्ति एकनिष्ठ थी। वो ‘भारत भक्ति’ के सूत्र से जुड़े थे, एक संकल्प के लिए खड़े थे।
देश की एकता के खिलाफ काम करने वालों पर कड़ाई से नजर रखने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भक्ति का यही शाश्वत भाव, भारत की एकता, अखंडता, आज भी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपकी राजनीतिक सोच कुछ भी हो, आप किसी भी राजनीतिक दल के हों, लेकिन भारत की एकता-अखंडता के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा। उन्होंने कहा कि हमें नए भारत में नई दृष्टि के साथ ही आगे बढ़ना है। ये नई दृष्टि भारत के आत्मविश्वास की है, आत्मनिर्भरता की है, पुरातन पहचान की है, भविष्य के उत्थान की है। और इसमें कर्तव्य की भावना का ही सबसे ज्यादा महत्व है।
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