भारत-नेपाल सीमा पर पहाड़ की चोटी पर स्थित मां पूर्णागिरी मेले का शुभारंभ हो गया है। कुमायूं कमिश्नर दीपक रावत ने इसका उद्घाटन किया। कोविड की वजह से दो साल के अंतराल के बाद माता पूर्णागिरी शक्तिपीठ पर फिर से श्रद्धालुओं की रौनक देखने को मिल रही है।
माता पूर्णागिरी शक्ति पीठ के बारे में मान्यता है कि यहां देवी सती की नाभि का भाग गिरा था। लाखों लोगों की आस्था के केंद्र बने इस मंदिर में भारत और नेपाल से श्रद्धालुओं का आना होता है। नवरात्रि से पहले यहां मेला शुरू हो जाता है। कुमायूं कमिश्नर दीपक रावत ने इसका शुभारंभ किया। पहले ही दिन करीब 40 हजार श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए। मेले में सैकड़ों दुकानें लगाई गई हैं।
कुमायूं आयुक्त श्री रावत ने कहा कि जिनमें माता पूर्णागिरी के प्रति श्रद्धा और आस्था है उन लाखों श्रद्धालुओं के यहां आने पर उन्हें हर सुविधा मिले, उसके लिए प्रशासन व्यवस्था कर रहा है। जिला पंचायत और मंदिर समिति मिलकर इस मेले की व्यवस्था कर रहे हैं। जिलाधिकारी विनीत तोमर ने बताया कि कासगंज से लेकर टनकपुर तक विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं। यह ट्रेन कासगंज, बरेली, पीलीभीत, न्यूरिया, खटीमा होते हुए टनकपुर आएगी। उन्होंने बताया कि रोजाना करीब 50 हज़ार श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है और यह मेला 15 जून तक चलेगा।
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