राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने जम्मू और कश्मीर में देशविरोधी गतिविधियों, आतंकवादियों व अलगाववादी गतिविधियों के एक मामले में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है।
अदालत ने कश्मीरी नेता और पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ भी आरोप तय करने का आदेश दिया है। इन धाराओं में आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना, गैरकानूनी गतिविधियां आदि शामिल हैं। फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे वही है, जिसने 90 के दशक में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का कत्ल किया था।
इससे पहले एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 16 मार्च को पारित एक आदेश में कहा कि गवाहों के बयान और दस्तावेजी सबूतों ने लगभग सभी आरोपितों को एक-दूसरे के साथ अलगाव के उद्देश्य से जोड़ा है। इन सभी का मकसद पाकिस्तान के मार्गदर्शन में वित्त पोषण के तहत आतंकवादी और आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों का प्रयोग करना था। बहस के दौरान किसी भी आरोपित ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है।
गवाह दर गवाह ने बयान दिया कि ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के विभाजन के बाद उसके गुट और जेएलएल का केवल एक ही उद्देश्य था भारत से जम्मू-कश्मीर को अलग करना। गवाहों ने आरोपित शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह बटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस और जेआरएल से जोड़ा है। अन्य गवाहों ने इंजीनियर रशीद से जहूर अहमद शाह बटाली तक को ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस और पाकिस्तान की एजेंसियों के साथ जोड़ा।
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