अब तक बीती नहीं है 19 जनवरी की वह रात
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

अब तक बीती नहीं है 19 जनवरी की वह रात

by WEB DESK
Mar 18, 2022, 10:28 pm IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
‘यहां क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा’, ‘कश्मीर में अगर रहना है, अल्लाहू अकबर कहना है’ और ‘असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान मतलब हमें पाकिस्तान चाहिए और हिंदू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना’। यह धमकी भरे संदेश लगातार प्रसारित किए जा रहे थे।

 

लोकेन्द्र सिंह

जम्मू-कश्मीर में हुए हिन्दुओं के नरसंहार को सप्रमाण प्रस्तुत करने वाली फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ भारतीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर है। जम्मू-कश्मीर को केंद्र में रखकर पहले भी फिल्में बनती रही हैं, लेकिन उनमें सच कभी नहीं दिखाया गया बल्कि सच पर पर्दा डालने के प्रयास ही अधिक हुए। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने हिन्दुओं के नरसंहार को दिखाने का साहस जुटाया है। एक-एक व्यक्ति यह बात कर रहा है कि आज देश में राष्ट्रीय विचार की सरकार नहीं होती तो 30 वर्ष बाद भी यह सच इस तरह सामने नहीं आ पाता। न तो कोई निर्देशक इस तरह की फिल्म बनाने की कल्पना कर पाता और यदि कोई बना भी लेता, तब उसका प्रदर्शन संभव न हो पाता।

जिस तरह से तथाकथित सेकुलर खेमा, कांग्रेस समर्थक बुद्धिजीवी और अन्य लोग ‘द कश्मीर फाइल्स’ का विरोध कर रहे हैं, उसे देखकर आमजन की यह आशंका सही नजर आती है। सोचिए न कि 30 वर्ष पुराने इस भयावह घटनाक्रम की कितनी जानकारी लोगों को है? कितने लोगों को पता था कि हिन्दुओं को भगाने के लिए कश्मीर की मस्जिदों से सूचनाएं प्रसारित की गईं। ‘यहां क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा’, ‘कश्मीर में अगर रहना है, अल्लाहू अकबर कहना है’ और ‘असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान मतलब हमें पाकिस्तान चाहिए और हिंदू औरतें भी मगर अपने मर्दों के बिना’। यह धमकी भरे संदेश लगातार प्रसारित किए जा रहे थे। कश्मीरी हिन्दुओं के घरों पर पर्चे चिपका दिए गए। ‘कन्वर्ट हो जाओ, भाग जाओ या मारे जाओ’ इनमें से एक ही रास्ता चुनने का विकल्प हिन्दुओं के पास था। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद नृशंस ढंग से हत्याएं करने की जानकारी कितनों को थी? महिलाओं को पति के रक्त से सने चावल खाने के लिए मजबूर किया गया। ये घटनाएं एक-दो नहीं थी, अनेक थीं।

दर्द की ये कहानियां आम लोगों को इसलिए नहीं पता थीं क्योंकि जो वर्ग आज भी फिल्म का विरोध करके हिन्दुओं के नरसंहार पर पर्दा डालने का असफल प्रयास कर रहा है, उसने वर्षों से सेमिनार, भाषणों, लेखों एवं अपनी फिल्मों के माध्यम से इसी सच को छिपाने का प्रयास किया। लेकिन जब सबेरा होता है और सूरज निकलता है तब अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, छंट ही जाता है। सच इतना शक्तिशाली होता है कि वर्षों से खड़े किए गए झूठ के पहाड़ को एक फिल्म ने एक झटके में उखाड़ कर फेंक दिया। जिन लोगों को यह फिल्म प्रोपेगेंडा लग रही है, उन्हें सिनेमाघरों के बाहर खड़े होकर भीतर से आती दर्शकों की सिसकियों को सुनना चाहिए। समूचा देश सिनेमाघरों में सुबुक रहा है। फिल्म देखकर सिनेमाघर से बाहर निकल रहे लोग कह रहे हैं कि “इसे फिल्म कहना बंद कीजिए। यह फिल्म नहीं है, हिन्दुओं के नरसंहार का दस्तावेज है।”

आश्चर्य होता है उन बुद्धिजीवियों पर जो यह कह रहे हैं कि उस समय केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी और जम्मू-कश्मीर में ‘भाजपा के राज्यपाल’ जगमोहन पदस्थ थे। भाजपा ने तब क्यों जम्मू-कश्मीर के हिन्दुओं का पक्ष नहीं लिया, उनकी सहायता नहीं की। यह सोच न केवल हिन्दू विरोधी है अपितु मानवता को शर्मसार करने वाली भी है। इन प्रश्नों में इन बुद्धिजीवियों की नीयत और धूर्तता, दोनों दिखाई देती हैं। तथ्यों का घालमेल करनेवाले ये लोग जरा बताएं कि आज तक हिन्दुओं के दर्द को दर्ज करने का एक भी प्रयास इन्होंने किया है क्या? उल्टा सच को छिपाने में अपनी समूची बौद्धिकता को खपा दिया। वीपी सिंह की सरकार को कम्युनिस्ट पार्टियों का भी समर्थन था, यह बात छिपाने का क्या तुक है? राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार को भाजपा ने 85 और कम्युनिस्ट पार्टियों (माकपा-33 एवं भाकपा-12) ने 45 सांसदों के साथ बाहर से समर्थन दिया था। यानी भाजपा सत्ता में शामिल नहीं थी। दूसरी बात यह कि 1984 के बाद से ही कश्मीर में बढ़ रही जिहादी गतिविधियों के लिए 2 दिसंबर, 1989 को सरकार में आई वीपी सिंह की सरकार कैसे दोषी हो सकती है?

विशेष प्रकार के ये बुद्धिजीवी यह क्यों नहीं बताते कि 1984 के बाद से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक एवं सांप्रादायिक उथल-पुथल के पीछे क्या कारण थे? क्या इंदिरा गांधी सरकार ने हिन्दुओं पर बर्बर हमलों के आरोपों को आधार मानकर ही 2 अप्रैल, 1984 को फारूक अब्दुल्ला की सरकार को भंग नहीं किया था? कांग्रेस ने अब्दुल्ला की जगह उनके ही बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह को यह सोचकर मुख्यमंत्री बनाया कि वह कश्मीर में उनके विचारों को लागू करेंगे। हालांकि, कांग्रेस की उम्मीद के उलट शाह ने कश्मीर को कट्टर इस्लाम की तरफ से धकेलना शुरू कर दिया। (जम्मू एंड कश्मीर एट द पॉलिटिकल क्रॉसरोड्स, पीएस वर्मा)
            

फरवरी 1986 में गुलाम मोहम्मद शाह के मुख्यमंत्री रहते हुए ही जम्मू-कश्मीर में पहली बार हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए थे। यह दंगे स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर में आनेवाले तूफान का संकेत दे रहे थे। 6 मार्च, 1986 को कांग्रेस ने अपने समर्थन से बनी इस सरकार को भी भंग कर दिया। 1987 में सत्ता में आया कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस का गठबंधन। इस गठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री बने फारूख अब्दुल्ला की सरपरस्ती में इस्लामिक चरमपंथियों ने और अधिक गति पकड़ ली। चिह्नित करके हिन्दुओं की हत्याएं होने लगीं। 14 सितंबर, 1989 को कश्मीरी हिन्दुओं के बड़े नेता टीका लाल टपलू की सरेराह हत्या की गई। तीन सप्ताह बाद ही 4 नवंबर को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू को श्रीनगर में उच्च न्यायालय के ही बाहर मौत के घाट उतार दिया गया। 5 जनवरी को गिरिजा पंडित की मां का शव जंगल में मिला। सामूहिक बलात्कार के बाद उनकी आंखें फोड़कर हत्या कर दी गई। उनकी बेटी के साथ क्या हुआ और वह कहां है, यह आजतक पता नहीं लग सका है। भयाक्रांत करनेवाली शृखंलाबद्ध इन घटनाओं के लिए कौन दोषी है? किसके शासनकाल में लगातार इस तरह के हालात बने कि 18-19 जनवरी, 1990 की वह भयानक रात आई, जो आजतक बीती नहीं है।

यह क्यों नहीं बताया जाता कि जब यह सब घटनाएं हो रहीं थीं, तब राज्य में किसके गठबंधन की सरकार थी? कठघरे में लगभग डेढ़ माह की वीपी सिंह की सरकार को खड़ा करना चाहिए या फिर उससे पहले की सरकार को? दरबारी लेखक भले ही भ्रम फैलाते रहें लेकिन पीड़ित कश्मीरी हिन्दुओं से लेकर उनके दर्द से वास्ता रखनेवाले सभी लोग जानते हैं कि इस नरसंहार के वास्तविक दोषी कौन हैं?

जिन जगमोहन को भाजपा का राज्यपाल कहकर प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनकी पहली नियुक्ति कांग्रेस की पूर्ण बहुमतवाली इंदिरा गांधी सरकार ने की थी। जगमोहन, इंदिरा गांधी और संजय गांधी के भी नजदीकी रहे हैं। इन्हीं जगमोहन ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दो पत्र लिखे (18 अप्रैल और 14 मई, 1989), जिनमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बदलते हालातों पर चिंता जताई और बिना देरी कठोर कदम उठाने के लिए कहा। (जगमोहन, काश्मीर : समस्या और विश्लेषण, राजपाल एण्ड सन्ज, पृष्ठ-89-90) परंतु, प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने न केवल राज्यपाल की चिंताओं की अनदेखी की बल्कि बाद में उन्हें वहां से हटा दिया। जब वीपी सिंह की सरकार ने जगमोहन को राज्यपाल बनाकर भेजा, तब तक हिन्दुओं का नरसंहार हो चुका था। फिर भी 19 जनवरी को राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालकर उन्होंने हालात पर नियंत्रण पाया और हिन्दुओं को सुरक्षित वहां से निकाला। यही कारण है कि कश्मीरी हिन्दुओं के मन में उनके प्रति अगाध श्रद्धा है। वास्तविक अपराधियों को छोड़कर जगमोहन को विलेन बनाने की कोशिशें करनेवाले बुद्धिजीवी बता सकते हैं कि जगमोहन के प्रति कश्मीरी हिन्दुओं के मन में यह श्रद्धाभाव क्यों है?

यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता ही जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली तक, कश्मीरी हिन्दुओं की आवाज बने। कश्मीर में हुए हिन्दुओं के नरसंहार में भाजपा-आरएसएस ने हमले भी झेले और बलिदान भी दिया। जिहादियों ने चिह्नित करके संघ-भाजपा के कार्यकर्ताओं की क्रूरता से हत्याएं कीं। परंतु संघ-भाजपा ने न तो तब हिन्दुओं का साथ छोड़ा था और न ही अब। आज भी वे ही कश्मीरी हिन्दुओं के साथ खड़े दिख रहे हैं। बाकी जो लोग उस समय हिन्दुओं के विरोधी थे, वे आज भी उनके जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं। जरा भी शर्म बाकी हो, तब कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार को स्वीकार करके, उनके प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करें।
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

एआई से बनी फोटो (credit- grok)

पाकिस्तान: जहां बचपन से ही भरा जाता है बच्चों के दिमाग में हिंदुओं के प्रति जहर और वह भी किताबों के जरिये

Operation sindoor

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हुई वार्ता, जानें क्या रहे मुद्दे

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन

“ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है”, राष्ट्र के नाम PM मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

PM मोदी का कड़ा संदेश: आतंक के खिलाफ भारत की नीति ऑपरेशन सिंदूर, पानी और खून साथ नहीं बहेगा, Pak से बात होगी तो POK पर

Operation sindoor

‘I Love India’ राफेल पर फ्रांस की गूंज से थर्राया पाकिस्तान! ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

बांग्लादेशी मूल की अंबिया बानो ने काशी में सनातन धर्म स्वीकार किया

लंदन में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मुस्लिम महिला ने काशी में अपनाया सनातन धर्म, गर्भ में मारी गई बेटी का किया पिंडदान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

एआई से बनी फोटो (credit- grok)

पाकिस्तान: जहां बचपन से ही भरा जाता है बच्चों के दिमाग में हिंदुओं के प्रति जहर और वह भी किताबों के जरिये

Operation sindoor

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हुई वार्ता, जानें क्या रहे मुद्दे

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन

“ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है”, राष्ट्र के नाम PM मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

PM मोदी का कड़ा संदेश: आतंक के खिलाफ भारत की नीति ऑपरेशन सिंदूर, पानी और खून साथ नहीं बहेगा, Pak से बात होगी तो POK पर

Operation sindoor

‘I Love India’ राफेल पर फ्रांस की गूंज से थर्राया पाकिस्तान! ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

बांग्लादेशी मूल की अंबिया बानो ने काशी में सनातन धर्म स्वीकार किया

लंदन में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मुस्लिम महिला ने काशी में अपनाया सनातन धर्म, गर्भ में मारी गई बेटी का किया पिंडदान

प्रतीकात्मक तस्वीर

पाकिस्तान की हिरासत में भारतीय महिला पायलट का फर्जी वीडियो वायरल, ये है पूरी सच्चाई

ट्रोलर्स का घृणित कार्य, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार की कर रहे ट्रोलिंग, महिला आयोग ने की निंदा

Indian army press breafing

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, कहा- हम अगले मिशन के लिए हैं तैयार

प्रतीकात्मक तस्वीर

पकिस्तान का भारतीय एयरफील्ड तबाह करने का दावा भी निकला फर्जी, वीडियो का 5 सेकंड का एडिट हिस्सा सबूत के तौर पर दिखाया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies