बरेली शहर के बमनपुरी की रामलीला में बुधवार रात सीता स्वयंवर के मंचन के बाद बृहस्पतिवार को भगवान राम की बारात निकली तो शहर रंगों में सराबोर हो गया। झूमते-गाते हुरियारों की टोलियों में रास्ते भर रंगों की मोर्चाबंदी हुई। रामभक्ति में डूबे हुरियारों ने जमकर होली खेली।
बरेली में राम बारात निकालने की परंपरा वर्ष 1861 से यानी 161 सालों से चली आ रही है। वर्ष 2008 में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में भी शामिल किया। यूपी सरकार ने इसे सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया है।
पुराने लोग बताते हैं कि 1860 में अंग्रेजों ने रामलीला को रोकने के लिए प्रयास किया था। उस दौरान बरेली के लोगों और अंग्रेजों में विवाद हुआ था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने प्रभु राम की सेना बनाई और होली से पहले रामलीला आयोजित कर दी और तब से ये परंपरा चली आ रही है। इस बार राम बारात के साथ भगवान नृसिंह की शोभायात्रा भी निकली। साथ ही कई और आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं। बमनपुरी के नृसिंह मंदिर से शुरू हुई प्रभु श्री राम की बारात बिहारीपुर और शहर के प्रमुख चौराहों से गुजरते हुए कुतुबखाना पहुंची। यहां से बारात घंटाघर, जिला अस्पताल मार्ग, कोतवाली, नावल्टी चौराहा और रोडवेज स्टैंड के सामने से गुजरती हुई कालीबाड़ी पहुंचीं जहां हुरियारों की टोलियों के बीच करीब घंटे भर तक खूब धूमधाम से होली खेली।
कहीं गुलाल उड़ा तो कही फूलों से खेली होली
राम बारात जहां से भी गुजरी, उसका स्वागत हजारों लोगों ने फूल बरसाकर किया। गुलाल उड़ाकर खुशी का इजहार किया। रामभक्तों ने जगह-जगह हुरियारों के लिए गुझिया और नाश्ते का भी इंतजाम किया था। विहिप, बजरंग दल, हिन्दू जागरण मंच से जुड़े लोगों ने राम बारात में शामिल होकर प्रभु राम के प्रति आस्था प्रकट की।
कालीबाड़ी में मशीनों से उड़ा गुलाल
कोतवाली, नावल्टी चौराहे से जब राम बारात और हुरियारों का सैलाब कालीबाड़ी की ओर बढ़ा तभी जगह-जगह मोर्चाबंदी शुरू हो गई। छतों और सड़कों के किनारे इकट्ठे हजारों लोग ट्रैक्टर, ट्रॉली पर सवार रामभक्त हुरियारों को रंगों से सराबोर करने लगे। बरेली कॉलेज गेट के सामने, कालीबाड़ी मंदिर के पास और फिर श्यामगंज फ्लाईओवर तक जगह-जगह जमकर मोर्चाबंदी हुई। अंत मे बारात जब वापस मंदिर पहुंची तो दर्जनों फ्लॉवर ब्लोअर मशीन से रंग और गेंदे के फूलों की बारिश हुरियारों पर की गई। पूरा बरेली शहर राममय हो गया।
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