पंजाब के निवर्तमान सीएम चरणजीत सिंह चन्नी खुद को गरीब बताते रहे हैं। वह कभी बकरी का दूध निकालते, तो कभी बाइक चला कर यह जताने की कोशिश करते रहे कि वह आम आदमी हैं। दूसरी ओर, इस आम आदमी की छद्म छवि गढ़ने वाले नेता का ठाठबाट कितना महंगा है, इसका अंदाजा उसकी हवाई यात्राओं से लगाया जा सकता है। चन्नी ने चार माह में हवाई यात्रा पर 1.83 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, चन्नी हवा में उड़ने के शौकीन हैं। उन्होंने पांच-पांच मिनट की हवाई यात्राएं भी की हैं। एक शहर से दूसरे शहर में जाने क लिए भी हेलीकॉप्टर से सफर किया है।
बठिंडा के आरटीआई कार्यकर्ता संजीव गोयल ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी जुटाई है, उससे पता चलता है कि चन्नी बठिंडा शहर से बठिंडा के ज्ञानी जैल सिंह कॉलेज तक भी हेलीकॉप्टर से उड़ कर गए। इसमें मात्र पांच मिनट लगे। इसी तरह से लुधियाना से लुधियाना में भी पांच मिनट के लिए हवाई सफर किया। सीएम के हवाई सफर के लिए चार माह में 32,27,980 रुपये खर्च किए गए। साथ ही, हेलीकॉप्टर किराए पर भी लिए गया था। इस पर सरकार ने एक करोड़, 51 लाख 34 हजार 818 रूपए खर्च किए हैं।
संजीव गोयल ने बताया कि छोटी-छोटी यात्रा पर हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल साबित करता है कि चरणजीत सिंह चन्नी हवा में उड़ने का खूब शौक रखते हैं, जबकि शहर से शहर के बीच वह गाड़ी से भी जा सकते थे। लेकिन उन्होंने इसके लिए भी हवाई यात्रा की। चन्नी की आलोचना करते हुए यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि चन्नी क्योंकि हवा में उड़ रहे थे,इसलिए उन्हें जमीनी हकीकत का पता नहीं चल पाया। यहीं वजह रही कि उनकी पार्टी की पंजाब में बुरी तरह से हार हुई। यदि वह जमीन पर रहते तो हो सकता है अपनी पार्टी को इस दुर्गति से कुछ हद तक बचा सकते। मतदाता को पता होता कि नेता बोल क्या रहा है? कर क्या रहा है? चन्नी सोच रहे थे कि उनकी हवाई यात्रा का मतदाता को पता नहीं लगेगा, लेकिन वह गलत साबित हुए। जनता को सब पता था।
राकेश ढुल ने बताया कि एक ओर तो पंजाब का सरकारी खजाना खाली हो रहा है। सरकारी कर्मचारियों के वेतन तक सरकार समय पर नहीं दे पा रही है। दूसरी ओर जनता के खून-पसीने के कर पर इस तरहसे मस्ती करना कहां तक जायज है। यह पैसा तो चन्नी से ही वसूला जाना चाहिए। इसके लिए उनकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए, क्योंकि वह अपने हर भाषण में खुद को गरीब कहते थे। बार-बार वह जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते थे। नेताओं के हवाई यात्रा को लेकर भी नियम बनने चाहिए। कम से कम एक शहर के भीतर की हवाई यात्रा तो किसी की भी समझ से परे है। जनता के कर की बर्बादी पर रोक लगनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होगा तो चन्नी जैसे नेता यूं ही जनता के पैसे पर ऐश करते रहेंगे।
संजीव गोयल ने बताया कि वह भी जानना चाह रहे थे कि चरणजीत सिंह चन्नी, जो खुद को गरीब और वंचित तबके का दिखाते हैं, क्या वास्तव में उसका रहन सहन ऐसा ही है। यह जानने के लिए ही उन्होंने यह आरटीआई लगाई थी। जब आरटीआई का जवाब आया तो वह यह देख कर हैरान रह गए कि किस तरह से चन्नी हवा में उड़ते रहे। कांग्रेस की करनी और कथनी में जमीन-आसमान का अंतर है। यह करती कुछ है और दिखाती कुछ है। इससे चरणजीत सिंह चन्नी भी अछूते नहीं रह सके। दूसरी ओर चन्नी अपने शाही ठाठ-बाट की वजह से अपनी ही पार्टी के निशाने पर भी हैं। पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने तो चन्नी पर हमला बोलते हुए उन्हें अक्षम नेता तक करार दे दिया है। उन्होंने कहा कि चन्नी, जिनके रिश्तेदार पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे, ऐसा व्यक्ति कैसे भ्रष्टाचार से लड़ सकता था, इसलिए कांग्रेस की पंजाब में यह दुर्गति हुई है।
जाखड़ ने चन्नी की आलोचना करते हुए बोला कि चन्नी पार्टी के लिए संपत्ति नहीं, बल्कि एक बोझ बन गए हैं। जाखड़ के बयान पर टिप्पणी करते हुए राकेश ढुल ने कहा कि निश्चित ही चन्नी अपनी पार्टी और प्रदेश पर बोझ थे। जिन्होंने सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ढुल ने कहा कि चन्नी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की सोच ही ऐसी है कि सरकारी साधनों पर ऐश की जाए। यह पार्टी गरीबों के बारे में सोचने की बस बात भर करती है, क्योंकि उन्हें पता है कि बात करो, इसे अमली जामा पहनाने की जरूरत नहीं है। चन्नी कांग्रेस की साधन भोगने वाली संस्कृति के एक उदाहरण भर से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
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