दिल्ली हाई कोर्ट ने गैंगस्टर अबू सलेम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अबू सलेम की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि उसे एक सक्षम कोर्ट ने सजा सुनाई है।
अबू सलेम ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर प्रत्यर्पण करके भारत लाने को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अबू सलेम के वकील एस. हरिहरन से पूछा कि आप अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर बताएं कि याचिका खारिज की जाए या आप इसे वापस लेंगे। उसके बाद हरिहरन ने निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की। तब कोर्ट ने इस पर मई महीने में सुनवाई करने का आदेश दिया।
बता दें कि 8 मार्च को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सलेम को 25 साल से अधिक सज़ा न होने का भरोसा भारत सरकार ने पुर्तगाल को दिया था। सीबीआई के इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा रवैया दूसरों के प्रत्यर्पण में समस्या बनेगा।
क्या कहा था सलेम ने
सुनवाई के दौरान अबू सलेम की ओर से कहा गया था कि जब पुर्तगाल से उसका प्रत्यर्पण किया गया था, उस समय भारत ने वहां की सरकार को आश्वासन दिया था कि किसी भी मामले में 25 साल से अधिक सजा नहीं दी जाएगी। जबकि, मुंबई की टाडा अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी है। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
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