तिब्बती नहीं मना सकते अब अपने त्योहार, कम्युनिस्ट चीन ने कड़ा किया शिकंजा
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तिब्बती नहीं मना सकते अब अपने त्योहार, कम्युनिस्ट चीन ने कड़ा किया शिकंजा

by WEB DESK
Mar 12, 2022, 05:15 am IST
in विश्व, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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तिब्बती त्योहार मनाने को लेकर धमकियां तथा उन पर पाबंदियां तिब्बत की पहचान को खत्म करने की चीनी कम्युनिस्ट सत्ता की एक रणनीति है

1959 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद से ही कम्युनिस्ट चीन उसकी पहचान को बिल्कुल खत्म करने की अपनी नीतियों पर चलता आ रहा है। वहां की संस्कृति को कुचलने के करने उसने बौद्ध मठों और लामाओं को बेड़ियों में जकड़ दिया, वहां जनसांख्यिक बदलाव किए। अपने कट्टर कम्युनिस्ट अधिकारियों के जरिए तिब्बतियों के स्वाभिमान को पैरों तले रौंदा। 

अब चीन ने नया पैंतरा चलते हुए तिब्बती के धार्मिक उत्सवों पर रोक लगा दी है। तिब्बती नव वर्ष त्योहार ‘लोसर’ पर कम्युनिस्ट शिकंजा कस दिया है। बौद्ध त्योहारों पर नई पाबंदियां थोप दी गई हैं। 

दैनिक 'हांगकांग पोस्ट' की रिपोर्ट बाती है कि तिब्बती त्योहार मनाने को लेकर धमकियां तथा उन पर पाबंदियां तिब्बत की पहचान को खत्म करने की चीनी कम्युनिस्ट सत्ता की एक विस्तृत रणनीति में शामिल है। दैनिक ने तिब्बत के अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि तिब्बती क्षेत्र में चीनी अधिकारियों ने सफर करने और समारोह के आयोजन पर रोक लगा दी है। इन पाबंदियों को न मानने वालों को सजा देने की बात की गई है।

 

हांगकांग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी नौकरी करने वाले तिब्बतियों को उनके नव वर्ष पर ड्यूटी पर उपस्थित रहना अनिवार्य कर दिया गया। जिससे वे कोई उत्सव मनाने अपने गांव या शहर न जा सकें। 

 

मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, तिब्बत की राजधानी ल्हासा तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में तिब्बत के नव वर्ष उत्सव ‘लोसर’ के अवसर पर तमाम प्रमुख धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। इस वजह से तिब्बती नव वर्ष पर इस अल्पसंख्यक समुदाय को कई अवरोधों और दखल का सामना करना पड़ा। अभी पिछले ही महीने ल्हासा के जातीय व धार्मिक मामलों से जुड़े ब्यूरो ने कोरोना महामारी की आड़ में उत्सवों पर पाबंदी लगा दी थी।

हांगकांग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी नौकरी करने वाले तिब्बतियों को उनके नव वर्ष पर ड्यूटी पर उपस्थित रहना अनिवार्य कर दिया गया। जिससे वे कोई उत्सव मनाने अपने गांव या शहर न जा सकें। 

उधर उइगरों पर जारी चीनी सरकार के अत्याचारों की सूची में एक नई घटना जुड़ी है। सिंक्यांग प्रांत में एक उइगर प्रोफेसर तथा अनुवादक नूरमेमेट ओमर को 'अलगाववाद और पश्चिमी संस्कृति को बढ़ावा' देने के आरोप में दस साल की जेल की सजा सुनाई गई है। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट में एक अफसर तथा ओमर के साथ पढ़े नॉर्वे में रह रहे हुसेनजन ने बताया कि उनके दोस्त को साहित्य, अनुवाद और कंप्यूटर साइंस में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता था।

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