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‘औरत मार्च’ पर हायतौबा मचाने वाले पाकिस्तान सरकार पर मीडिया का निशाना, कहा-रैली का विरोध है राष्ट्रीय असहिष्णुता

by WEB DESK
Mar 11, 2022, 06:30 am IST
in विश्व, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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अपने अधिकारों की मांग के लिए शांतिपूर्ण रैली को रोकने की अपील करना साफ दिखाता है कि यह सहिष्णुता नहीं है। इसे सहिष्णुता नहीं कहा जा सकता है। अपने संपादकीय में द डॉन लिखता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई पाखंडी है

पाकिस्तान में महिलाओं पर अत्याचारों के बढ़ते आंकड़े ज्यादातर लोगों को इसलिए नहीं चौंकाते हैं क्योंकि उनका 'मजहब कहता है कि औरतें कमतर होती हैं और उनकी बात को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए'। लेकिन गत 8 मार्च को औरत मार्च को लेकर पाकिस्तान में सरकार ही नहीं, कट्टरपंथी जमातों ने जिस तरह का बर्ताव दिखाया है उससे उस देश में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती आक्रामकता स्पष्ट देखने में आती है। 

देश के सबसे प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द डॉन में लिखा गया है कि महिलाओं के सामूहिक तथा समावेशी ढंग से अपने अधिकारों की मांग के लिए शांतिपूर्ण रैली को रोकने की अपील करना साफ दिखाता है कि यह सहिष्णुता नहीं है। इसे सहिष्णुता नहीं कहा जा सकता है। अपने संपादकीय में द डॉन लिखता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई पाखंडी है। 

पाकिस्तान में में इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का दिन बेहद तनावपूर्ण गुजरा। एक तरफ तो महिलाओं ने औरत मार्च निकालने का पक्का इरादा किया हुआ था तो दूसरी तरफ कट्टरपंथी जमातों ने किसी भी हाल में इस मार्च को नहीं निकलने देने की ठानी हुई थी। लेकिन तमाम धमकियों और विरोध के बावजूद औरत मार्च निकला। 

इस मुद्दे पर पाकिस्तान के ही मीडिया ने आलेखों और संपादकीय के जरिए, महिलाओं के प्रति देश में बढ़ती आक्रामकता पर सरकार को घेरने की कोशिश की है। अपने संपादकीय में द डॉन लिखता है कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों व अपराधों पर पाकिस्तान की सरकार की चुप्पी शर्मनाक है। डॉन ने तो यहां तक लिखा है कि कट्टरपंथी संगठनों द्वारा ‘औरत मार्च’ का विरोध राष्ट्रीय असहिष्णुता ही है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने औरत मार्च के विरुद्ध आवाज बुलंद करते हुए इसे देश में समाज तथा इस्लाम के मानदंडों के विरुद्ध बताया था। जमीयत उलेमाए इस्लाम के प्रमुख मौलाना अब्दुल ने तो यहां तक कह दिया था कि इस औरत मार्च को रोकने के लिए उनकी जमात किसी भी हद तक जाएगी।  

 

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ तथा जमीयत उलेमाए-इस्लाम औरत मार्च के विरुद्ध एकजुट हुए थे। उन्होंने मिलकर इस 'इस्लाम विरोधी' रैली को रोकने के लिए दुष्प्रचार किया था। डॉन के बेलाग तरीके से इमरान खान की पार्टी पीटीआई के दोगलेपन पर तीखी टिप्पणियां की हैं। अखबार लिखता है कि इससे साफ होता है कि पाकिस्तान का समाज महिला समर्थन वाले कानून होने के बावजूद असल व्यवहार में संकीर्ण और द्वेषपूर्ण मानसिकता वाला है।

 

बता दें कि इससे पहले इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ तथा जमीयत उलेमाए-इस्लाम औरत मार्च के विरुद्ध एकजुट हुए थे। उन्होंने मिलकर इस 'इस्लाम विरोधी' रैली को रोकने के लिए दुष्प्रचार किया था। डॉन के बेलाग तरीके से इमरान खान की पार्टी पीटीआई के दोगलेपन पर तीखी टिप्पणियां की हैं। अखबार लिखता है कि इससे साफ होता है कि पाकिस्तान का समाज महिला समर्थन वाले कानून होने के बावजूद असल व्यवहार में संकीर्ण और द्वेषपूर्ण मानसिकता वाला है।

ग्लोबल ह्यूमन राइट्स डिफेंस के सहयोग से विश्व महिला दिवस पर एक कार्यक्रम में ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान नामक संगठन ने मजहबी अल्पसंख्यकों की लड़कियों के जबरन कन्वर्जन पर चिंता व्यक्त की। इस संस्था ने फैसलाबाद मेें एक प्रदर्शन में हिंदुओं तथा ईसाइयों सहित अन्य अल्पसंख्यक वर्गों से जुड़ी युवतियों के जबरन कन्वर्जन और निकाह करने का विरोध किया। संस्था के अध्यक्ष का कहना था कि पाकिस्तान में हर साल एक हजार से ज्यादा अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाएं कड़ी मुश्किलें झेल रही हैं। 
 

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