एक समय था जब मुलायम सिंह यादव कहते थे ‘जब तक मेरे पास मेरा माई (एम और वाई , एम से मुसलमान और वाई से यादव) है तब तक मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। पर आज के दौर में ‘माई’ की परिभाषा बदल चुकी है। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं ‘ये पुराना वाला एम और वाई नहीं है। नए वाले एम और वाई में मोदी जी और योजना है।’ इस नए एम और वाई ने चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हुए भाजपा की सत्ता में वापसी कराई है।
सत्ता में पुन: वापसी का ट्रेंड करीब चार दशक से यूपी में बंद था। भाजपा सत्ता में पुन: वापसी का चमत्कार कर पाएगी? यह एक बहुत बड़ा सवाल था। योगी आदित्यनाथ से भी यह सवाल पूछा गया था कि कोई भी मुख्यमंत्री दुबारा सत्ता में नहीं लौटा? योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ‘मैं आऊंगा न।’ योगी आदित्यनाथ ने जो कहा था, ठीक वैसा ही हुआ। योगी पूरे गाजे-बाजे के साथ अबीर और गुलाल उड़ाते हुए गोरखपुर से लखनऊ पहुंचे।
37 वर्ष बाद ऐसा हुआ है जब उत्तर प्रदेश की जनता ने उसी सरकार को हरी झंडी दे दी। आखिरकार ऐसा क्या था जिसने लगभग चार दशक का मिथक तोड़ दिया। वर्षों पुराना वह मिथक भी तोड़ दिया जिसमें यह कहा जाता था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, उसे मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ता है। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव इसी अज्ञात भय से कभी नोएडा नहीं गए। मगर योगी आदित्यनाथ बार-बार नोएडा गए।
उत्तर प्रदेश के देश का सबसे बड़ा राज्य होने और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा विरोधी शक्तियों ने चुनाव से पूर्व ही कमर कस ली थी। उत्तर प्रदेश में भाजपा की पराजय का अर्थ था, लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा पर मनोवैज्ञानिक बढ़त। इसे देखते हुए देश भर की भाजपा विरोधी शक्तियां सपा के ईर्द-गिर्द एकत्र होकर भाजपा को हराने की रणनीतियां बुनने लगी थीं। वर्ष 2022 में साइकिल के सत्ता में आने की धारणा स्थापित करने की कोशिश की गई। जातिगत खांचे खींचकर समीकरण बैठाए गए और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो खैर, किसान आंदोलन के असर की पूरी उम्मीद विरोधियों को थी ही।
उत्तर प्रदेश की जनता ने परिवारवाद, जातिवाद और वंशवाद को तिलांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोककल्याणकारी नीतियों पर भरोसा जताया है। यह प्रचंड बहुमत भाजपा के राष्ट्रवाद, विकास और सुशासन के मॉडल को उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता का आशीर्वाद है। इस आशीर्वाद को स्वीकार करते हुए हम लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास को आगे बढ़ाएंगे। जय श्रीराम, वंदेमातरम् और भारत माता की जय के जोशीले नारों के बीच सीएम ने कहा कि इस प्रचंड जीत ने हम सबको बड़ी जिम्मेदारी दी है। हमें जोश के साथ होश भी बनाये रखना होगा और जन मानस की अपेक्षाओं के अनुरूप खुद को साबित करना होगा। |
परंतु जमीन पर योगी आदित्यनाथ के करिश्मे को विरोधी दल नजरअंदाज करते रहे। कोरोना काल में पीड़ित जनता को राहत के लिए दिन-रात एक करने वाले योगी, प्रदेश में कोई भूखा न सोए, यह सुनिश्चित करने वाले योगी, बिजली व्यवस्था दुरुस्त रखने वाले योगी, प्रदेश को बीमारू प्रदेश से निवेश का केंद्र बनाने वाले योगी, प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों का वितार करने वाले योगी, सड़कों का संजाल बिछवा देने वाले योगी, और इन सबसे बढ़कर अपराधियों-माफिया पर नकेल कस देने वाले योगी जिससे महिलाओं, व्यापारियों को सुरक्षा मिली, योगी आदित्यनाथ के इतने रूपों के कारण विरोधी दल पूरे चुनाव के दौरान कोई मुद्दा खड़ा नहीं कर पाए। देखा जाए तो अराजकता बनाम सुशासन के संघर्ष में प्रदेश के मतदाताओं ने सुशासन के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया है।
इन सबका असर चुनाव परिणामों पर दिखा। हालांकि मतदान बाद के सर्वेक्षणों में भाजपा को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिलता दिखा परंतु लोग शंकालु बने रहे। मतगणना ने सभी शंकाओं को समाप्त कर दिया। भाजपा ने 255 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुत प्राप्त कर लिया। उसकी सहयोगी अपना दल को 12 सीटें मिली हैं। चुनाव परिणामों में एक बात और देखने को मिली है कि भाजपा का मत प्रतिशत भी बढ़कर 41.29 प्रतिशत हो गया है। दूसरी तरफ सपा को 111 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल को 8 सीटें और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को सीटें मिलीं। सबसे खराब हालत कांग्रेस और बसपा की रही जिन्हें क्रमश: 2 और 1 सीटें मिलीं। 1957 में विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. सम्पूर्णानंद दो बार मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद कोई भी नेता मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए आम विधानसभा चुनाव में जीत कर दुबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सका। यह रिकॉर्ड भी योगी आदित्यनाथ ने बना डाला है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन और किसान नेता राकेश टिकैत के कारण राजनीतिक पंडित यहां भाजपा के प्रदर्शन को खराब रहने का अनुमान जता रहे थे। परंतु परिणामों ने बताया कि भापा को किसान आंदोलन का कोई खास नुकसान नहीं उठाना पड़ा। उत्तर प्रदेश चुनाव के परिणामों में एक बात और खास रही कि बिहार से उलट यहां मुस्लिम मतदाताओं ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को नकार दिया। एआईएमआईएम को महज 0.49 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा।
चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद लखनऊ में पार्टी कार्यालय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने परिवारवाद, जातिवाद और वंशवाद को तिलांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोककल्याणकारी नीतियों पर भरोसा जताया है। यह प्रचंड बहुमत भाजपा के राष्ट्रवाद, विकास और सुशासन के मॉडल को उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता का आशीर्वाद है। इस आशीर्वाद को स्वीकार करते हुए हम लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास को आगे बढ़ाएंगे। जय श्रीराम, वंदेमातरम् और भारत माता की जय के जोशीले नारों के बीच सीएम ने कहा कि इस प्रचंड जीत ने हम सबको बड़ी जिम्मेदारी दी है। हमें जोश के साथ होश भी बनाये रखना होगा और जन मानस की अपेक्षाओं के अनुरूप खुद को साबित करना होगा।
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