कल प्रधानमंत्री मोदी ने चार राज्यो में बीजेपी की जीत के भाषण में "ज्ञानी" लोगों के बारे में जिक्र किया था उनका इशारा उन लोगों की तरफ था जोकि चुनावों के दौरान जातियो के विश्लेषण माथापच्ची करते रहे थे। पीएम ने स्पष्ट कहा कि जातिवाद की राजनीति को अब चुनाव में नकारा जा चुका है अब विकासवाद की राजनीति शुरू हो चुकी है। पीएम के इस बयान को समझने या समझाने की जरूरत अब " ज्ञानी" लोगों को है।
पश्चिम यूपी मे किसान आंदोलन के बाद बने सपा लोकदल गठबंधन पर "ज्ञानी" लोगों ने मतदान के दिन ये कयास लगाए थे कि मुस्लिम जाट यादव एक जुट होकर बीजेपी के खिलाफ वोट डाले है लेकिन ऐसा चुनाव परिणाम के दिन साफ होगया कि कुछ सीटों का बीजेपी को नुकसान हुआ लेकिन ज्यादातर सीटों पर फिर से बीजेपी ने अपने हिंदुत्व का भगवा रंग दिखा दिया।
पश्चिम यूपी में मेरठ मंडल में मेरठ सहरानपुर, बागपत, बिजनौर, शामली के 34 सीटों में से 18 में गठबंधन को विजय मिली जबकिं यहां 16 में बीजेपी फिर से जीत कर आयी जबकिं "ज्ञानी" कह रहे थे कि बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जायेगा।
सहारनपुर जैसे मुस्लिम बाहुल्य जिले की देवबंद, सहारनपुर ,गंगोह रामपुर मनिहारण आदि पांचों सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया। सपा लोकदल को वहीं सफलता ज्यादा मिली जहां सपा ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए, कैरना में गैंगस्टर रफीक हसन ने जेल से चुनाव जीता। किठौर से शाहिद मंजूर और नजीबाबाद से तस्लीम अहमद ने सपा कोटे से चुनाव जीता। रामपुर जिले की पांच में से दो सीटें पहले की तरह बीजेपी की झोली में आई।
ब्रज और रूहेलखंड यानि बरेली आगरा अलीगढ़ मंडलों की 65 सीटों में से 53 पर बीजेपी ने और 12 पर समाजवादी गठबंधन ने जीत दर्ज की। पीलीभीत की सभी 4 और शाहजहांपुर की सभी 6 सीटों पर बीजेपी काबिज हों गयीं है।
मथुरा की मांट सीट पर आठ बार के सपा विधायक सुंदर शर्मा को बीजेपी के राजेन्द्र चौधरी ने इसबार हरा कर नया इतिहास रच दिया।
"ज्ञानी" लोग यूपी में कांग्रेस के प्रियंका वाड्रा को लेकर बड़े बड़े कसीदे पड़ रहे थे हालात ये रहे कि वो अपने घर राय बरेली अमेठी की सीटों पर भी खातें नही खोल पाए। कांग्रेस मीडिया टीम के एक नेता जीशान हैदर ने कहा कि प्रियंका वाड्रा के आने के बाद से 30 सांसद और विधायक पार्टी छोड़ कर गए है।
बरहाल यूपी में खासतौर पर ब्रज रुहेल और पश्चिम यूपी में "ज्ञानी" लोगों के आंकलन सब धरे के धरे रह गए, उनके द्वारा यू ट्यूब और सोशल मीडिया पर फैलाये जारहे योगी मोदी सरकार के खिलाफ "प्रोपोगंडा" की भी पोल पट्टी खुल गयी। मतगणना से पहले आये एग्जिट पोल में जब बीजेपी की सरकार वापिस आती दिखी तो यूपी में सपा ने ईवीएम को लेकर माहौल खराब किया। ज्ञानी लोगों ने अखिलेश की सभाओं में भीड़ का आंकलन उनकी जीत से कर दिया जबकि उन्हें ये भी नही दिखा या जानबूझकर कर नही दिखाया कि ये भीड़ "मुस्लिम" तबके की थी जोकि लाल टोपी पहने हुए थी जोकि हमेशा मोदी विरोधी रही है इसी भीड़ को देख कर ही हिन्दू जातियां इकठ्ठा होकर बीजेपी के पक्ष में वोट डालने जाती है।
यूपी में इस विश्वास के साथ लोगों ने बीजेपी को वोट दिया कि योगी मोदी राज में हम लोग सुरक्षित रह सकते है, खास तौर पर हिंदू मतदातों में ये बात अंदर तक गहराई कर गई थी कि गुंडा माफियागिरी के खिलाफ योगी सरकार का बुल्डोजर चलता रहेगा।
एक बड़े वर्ग ने योगी मोदी सरकार का साथ दिया वो था लाभार्थी वर्ग, गरीबो को अन्न देना, पेंशन, शौचालय,, गैस, बिजली, पानी, घर जैसी योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के सरकार ने पूरा करवाया। यूपी में बने हाइवे, मेट्रो रेल और एयरपोर्ट की योजनाओं के साथ साथ काशी विश्वनाथ व अयोध्या का मंदिर निर्माण मुद्दा भी वोटरों के जेहन में बसा रहा ।
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