देश में सबसे बड़ा अखबार होने का दावा करने वाल दैनिक भास्कर ग्रुप पर एक और बड़ा आरोप लगा है। अब उस पर वनवासियों की जमीन खरीदने में धोखाधड़ी करने का आरोप है। पिछले वर्ष भास्कर ग्रुप के कई कार्यालयों पर आयकर विभाग ने छापा मारा तो दैनिक भास्कर ग्रुप ने यह कह कर विरोध किया कि यह प्रेस का गला दबाने की साजिश है ताकि वह सरकार के खिलाफ कुछ बोल न सके।
दैनिक भास्कर ग्रुप अखबार निकालने के अलावा रियल स्टेट, टेक्सटाइल और पावर सेक्टर में भी कार्य करता है। आयकर विभाग की छापेमारी में कई महत्वपूर्ण कागजात मिले थे। जिनसे जानकारी निकलकर सामने आई कि इस ग्रुप की एक और कंपनी है 'डी.बी.पावर लिमिटेड' के नाम से। आरोप है कि भास्कर ग्रुप ने छत्तीगढ़ के जांजागीर-चांपा जिले में इस कंपनी का प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदीने में धोखाधड़ी की है। इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को शिकायत मिली है।
जानिए कैसी की धोखाधड़ी
वनवासी की जमीन खरदीने के लिए नियम यह है कि जब कोई बाहरी व्यक्ति उसकी जमीन खरीदेगा तो उसे स्थानीय डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) से अनुमति लेनी होती है। लेकिन जब वनवासी ही वनवासी की जमीन खरीदता है तो उसे किसी भी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।
इस नियम का फायदा उठाते हुए “दैनिक भास्कर समूह” ने पहले तो एक स्थानीय व्यक्ति को DB पॉवर लिमिटेड के एजेंट को तौर पर काम पर रखा और फिर उससे ही वनवासियों की जमीन सस्ते दाम पर खरीदवाई। जमीन खरीदने के बाद उस व्यक्ति ने फिर से वही जमीन डी.बी. पावर लिमिटेड को बेच दी। इसके बाद भी 'छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' के माध्यम से जमीन का अधिग्रहण कर उसे 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को बेचा गया। बहरहाल इस पूरे प्रकरण में कौन-कौन शामिल था ये तो जांच का विषय है।
डीएम एसपी को किया तलब
इस पूरे प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने “छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन” के एमडी को नोटिस जारी कर जवाब मनाग, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं दिया गया। आयोग ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा, लेकिन वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब प्राप्त न होने पर आयोग ने दोनों को तलब किया है।
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