‘तुम्हारी बेटी सुन्दर है, ले गया भगाकर मेरा बेटा…’

Published by
Sanjiv Kumar
मोहम्मद समीर आलम ने अपने गांव की एक नाबालिग हिंदू युवती का अपहरण कर लिया। युवती के घर वाले समीर के घर पहुंचे तो घर वालों ने कहा,''तुम्हारी बेटी सुन्दर है, इसलिए हमारे घर का बेटा उसे भगाकर कहीं ले गया''

 

बिहार का सीमांचल क्षेत्र जिहादियों के लिए एक प्रयोग भूमि बन गया है। बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण पूरे क्षेत्र का जनसांख्यिक असंतुलन बिगड़ चुका है। हिंदुओं के घर—जमीन पर कब्जा करना, हिंदू लड़कियों और महिलाओं का अपहरण करना आम बात हो गई है। जिहादी तत्वों का डर इतना बढ़ता जा रहा है कि उनकी करतूतों पर सेकुलर मीडिया चुप रहता है। इसलिए ऐसी खबरें भी आम लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं।
इसका एक उदाहरण है पूर्णिया जिले के भवानीपुर थानान्तर्गत में पड़ने वाला भंगरा गांव। एक समाचार के अनुसार 24 फरवरी की रात को गांव के कुछ जिहादी एक हिंदू के घर में जबरन घुस गए और 16 वर्ष की लड़की को अपने साथ ले गए। परिवार के लोगों ने अपनी बेटी को बचाने का प्रयास किया, लेकिन जिहादियों की संख्या अधिक होने के कारण वे लोग अपनी बेटी की रक्षा नहीं कर सके। मुख्य आरोपी कदम टोला का मोहम्मद समीर आलम है। उसके अब्बा का नाम मोहम्मद आजाद है। बेटी के अपहरण के बाद पीड़िता के घर वाले समीर आलम के घर वालों से मिले और घटना की जानकारी दी, तो उल्टे उन लोगों ने पीड़िता के पिता पर ही कई आरोप लगा दिए। इसके साथ ही उन लोगों ने पीड़िता के पिता से बहस करनी शुरू कर दी। पीड़िता के पिता को पता है कि गांव के कट्टरवादी अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। इसलिए वे किसी भी तरह समीर के परिवार वालों से गुहार लगाते रहे कि वे उनकी बेटी को वापस कर दें। इसी में एक दिन बीत गया। इसके बाद भी समीर के घर वाले नहीं माने तो पीड़िता के पिता भवानीपुर थाना पहुंचे। दुर्भाग्य से पुलिस का व्यवहार भी दुखी करने वाला रहा। पहले तो पुलिस ने शिकायत नहीं दर्ज की। इसके बाद गांव के कुछ अन्य लोग पहुंचे और हंगामा किया तब शिकायत दर्ज हुई। 26 फरवरी को की गई उस शिकायत में पीड़िता के पिता ने लिखा है, ''जब समीर आलम के घर पहुंचे तो उसके घर वालों ने कहा कि वह तो दिल्ली चला गया है। परिवार के ही एक अन्य सदस्य ने कहा, 'तुम्हारी बेटी सुदंर है इसलिए उसे भगा ले गया।' एक अन्य सदस्य ने कहा कि तुम्हारी बेटी ही ऐसी है।'' शिकायत में समीर की मां 38 वर्षीया मोबीना खातून, एक अन्य परिजन 40 वर्षीय मो. सरफराज आलम, 42 वर्षीया गुलशन परवीन, 45 वर्षीय मो. फारूक तथा 40 वर्षीया अबधा खातून के नाम की चर्चा है। यानी इन लोगों ने ही पीड़िता के पिता को उपरोक्त बातें कहीं।  

कह सकते हैं कि पीड़िता को भगाने में समीर आलम के घर वाले उसके साथ हैं। यह भी कहा जा रहा है कि समीर उस लड़की पर कुछ दिनों से नजर गढ़ाए हुए था। इसके साथ ही वह उसे जबरन उठा लेने की योजना भी बनाता रहा। यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में समीर ने पुलिस को पहले ही 'चढ़ावा' दे दिया था। इसलिए पुलिस पीड़िता के पिता की शिकायत भी दर्ज नहीं कर रही थी। अब जब शिकायत भी दर्ज हो गई है, लेकिन पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले नहीं रही है। इस कारण 11 दिन बीत जाने के बाद भी उस लड़की का कोई अता—पता नहीं है।
 

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