जहां बेटी संभालती है विरासत
May 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जहां बेटी संभालती है विरासत

by WEB DESK
Mar 8, 2022, 04:14 am IST
in भारत, दिल्ली
पारंपरिक पोशाक में खासी  युवती

पारंपरिक पोशाक में खासी  युवती

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
मेघालय का खासी जनजातीय समुदाय दुनिया के अंतिम मौजूद मातृवंशीय समाजों में एक है। इस समाज में दूल्हा ससुराल के लिए विदा होता है और बेटी विरासत संभालती है। बाजारों में भी महिलाओं का वर्चस्व होता है और पुरुष उनके अधीन कार्य करते हैं। परंतु अब ईसाइयत के बढ़ते प्रभाव, शहरीकरण और शिक्षा-रोजगार के लिए प्रवास के चलते परंपराएं क्षीण पड़ती जा रहीं

दिब्य कमल बोरदोलोई
चाहे परिवार हो, या बाजार, भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में, बाजारों में महिलाओं का वर्चस्व है। शिलांग में भीड़भाड़ वाले पुलिस बाजार के सामने बैठी 46 वर्षीया कोंग ऐबकोर लिंडोह अपनी खोखानुमा दुकान में मौसमी फूलों के गमले बेचती है। वह पिछले दो दशकों से इसे बेच रही है। वह बताती हैं, मेरी मां उसी बाजार में फूल बेचती थीं। अब मैं इसे पिछले 20 साल से कर रही हूं और अपने परिवार का खर्चा चला रही हूं। ऐबकोर ने कहा कि पिछले दो दशकों में कुछ भी नहीं बदला है, सिवाय इसके कि लोग अब कार्ड का उपयोग करके पैसे देना चाहते हैं।

मेघालय की राजधानी शिलांग में स्थित सबसे पुराने और सबसे बड़े खुले और भीड़भ्ज्ञाड़ वाले बाजारों में से एक इवदुह बाजार में, स्थानीय सब्जियां, कटा मांस और हस्तनिर्मित शिल्प और विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बेचने वाली महिलाओं की कतार लगती है। कोंग या मामी के नाम से जानी जाने वाली बुजुर्ग महिलाएं बाजार की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं। बाजार की दुकानों में पुरुष महिला दुकान मालिकों के अधीनस्थ के रूप में काम करते हैं। मेघालय में, महिलाओं ने न केवल बाजार में जगह बनाई;  वे जीवन के कई पहलुओं में पुरुष पर हावी रहीं। खासी मेघालय में सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है और दुनिया के अंतिम मौजूद मातृवंशीय समाजों में से एक है।  यहां, बच्चों को अपनी मां का उपनाम मिलता है, पति अपनी पत्नी के घर चले 
जाते हैं और सबसे छोटी बेटियों को पैतृक संपत्ति विरासत में मिलती है।

खासी मातृवंश दुनिया के अन्य मुट्ठी भर मातृवंशीय समाजों के साथ समानताएं साझा करता है। धन और संपत्ति माता से उनकी पुत्रियों के पास जाती है।
परंपरागत रूप से, खासी परिवार घनिष्ठ विस्तारित परिवारों या कुलों में रहते हैं। चूंकि बच्चे अपनी मां का उपनाम लेते हैं, इसलिए बेटियां कबीले की निरंतरता सुनिश्चित करती हैं। बेटियों में सबसे छोटी बेटी को छोड़कर, अन्य को अपने पुश्तैनी घर में रहने या बाहर जाने की आजादी है। सबसे छोटी बेटी को खासी भाषा में का खड्डुह कहा जाता है, जो संपत्ति की संरक्षक होती है।  शादी के बाद भी वह कभी घर नहीं छोड़ती। वह अपने माता-पिता की देखभाल करती है और अंतत: अपनी मां की मृत्यु के बाद घर की मुखिया बन जाती है।

 शिलांग के लेवदोह बाजार में महिला विक्रेता

परंपराओं में बदलाव
लेकिन समय के साथ शहरी खासी परिवारों में बदलाव आ रहे हैं। ब्रिटिश उपनिवेशवाद और मिशनरी शिक्षा के दौरान, कई खासी परिवारों ने कस्बों और शहरी क्षेत्रों में काम की तलाश में अपने गांवों को छोड़ दिया। जब एकल परिवारों का उदय हुआ, तो मातृवंशीय शक्ति का ह्रास होने लगा। लेकिन अधिकांश खासी गांव अभी भी पारंपरिक मातृवंशीय संरचना का पालन करते हैं।  गांवों में आज भी स्त्री या माता ही परिवार की मुखिया होती है। उसके बच्चे अभी भी उसका उपनाम अपनाते हैं और उसकी सबसे छोटी बेटी को संपत्ति का अधिकार मिलता है। और हां, लड़कियां शादी करती हैं और दूल्हे को घर ले आती हैं। हमारे देश में एक ऐसा समाज जहां बेटा शादी के बाद घर छोड़कर अपनी ससुराल चला जाता है। लेकिन आज कुछ शहरी ईसाई खासी परिवारों में, पिता घर के मुखिया हैं।

जैसे-जैसे अधिक खासी परिवार कस्बों में स्थानांतरित होते हैं और अपने बड़े, घनिष्ठ कुलों से दूर जाते हैं, माताओं पर एक नया बोझ पड़ता है। मातृवंशीय खासी परंपरा के अनुसार, जब पुरुष अपनी पत्नी से अलग होता है तो अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए बाध्य नहीं होता। इसके कारण मेघालय में महिला प्रधान परिवारों में वृद्धि हुई है। बान ने कहा कि अतीत में, विस्तारित परिवार परित्यक्त मां का समर्थन करता था, लेकिन अब छोटे परिवार हैं और मां को खुद पर निर्भर रहना पड़ता है।

आज, खासी समुदाय इस तथ्य से अत्यधिक संतुष्ट हो सकता है कि वे दहेज नहीं देते या नहीं लेते, उनकी महिलाओं के पास विरासत के अधिकार हैं और वे देश के बाकी हिस्सों में अपने समकक्षों की तुलना में ज्यादा स्वतंत्र हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे बेहतर हैं। शिलांग के नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के शोधार्थी रक्तिम दत्ता कहते हैं कि शिक्षा और आर्थिक मजबूरियों के कारण चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं, जो नई स्थितियां पैदा कर रही हैं।

पिछले दो वर्ष से मातृवंशीय प्रणाली पर शोध कर रहे दत्ता बताते हैं कि उनकी पारंपरिक व्यवस्था में परिवर्तन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों में से प्रवास शायद सबसे महत्वपूर्ण है। चूंकि युवा शिक्षा के लिए शहरों में जा रहे हैं, या अधिक आकर्षक काम के अवसरों की तलाश में घर छोड़ रहे हैं, इससे खासी दादा-दादी और माता-पिता को डर है कि उनकी अगली पीढ़ी उनकी परंपराओं को आगे नहीं बढ़ाएगी।

लेवदोह बाजार में सब्जी बेचती एक महिला 

ईसाइयत के प्रभाव में पुरुष वर्चस्व
लेकिन पश्चिमीकरण और ईसाई प्रभाव के कारण, अधिकांश खासी ईसाइयत की विभिन्न शाखाओं में कन्वर्ट हो गए हैं और ईसाई रीति-रिवाजों का पालन करना शुरू कर दिया है। वे ईसाई बनने के पूर्व के दिनों के खासी समाज के धर्म, रीति-रिवाजों और परंपराओं का पूरी तरह से पालन नहीं करते। बरनिहाट शहर की एक महिला कार्यकर्ता,जो अपना नाम जाहिर करना नहीं चाहतीं, कहती हैं कि हाल के वर्षों में, खासी पुरुष इस तरह की व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके साथ भेदभाव होता है। भले ही खासी समुदाय एक मातृवंशीय समाज है, लेकिन महिलाएं उतनी सशक्त नहीं हैं जितनी आप सोचते हैं कि वे हैं। महिलाओं को कभी भी दोरबार शोंग (ग्राम पंचायत) जैसी स्थानीय शासी संस्था में भाग लेने की अनुमति नहीं थी।  दोरबार पर हेड मैन का शासन होता है, जिसे रंगबाह शोंग के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि वे पुरुषों को समान संपत्ति का अधिकार देने के लिए नया कानून लेकर आए हैं।

लेकिन आज भी मेघालय के घरों में खासी महिलाओं का राज है। वे सड़क किनारे होटल, सब्जी की दुकान, किराना दुकान आदि ज्यादातर छोटे व्यवसाय चलाती हैं। आपको राज्य के सभी बाजारों में सैकड़ों महिला दुकानदार दिखाई देंगी। और वे अपने समाज की सदियों पुरानी मातृवंशीय व्यवस्था की घोर समर्थक हैं।  हम मेघालय की महिलाओं के लिए और अधिक शक्ति की कामना करते हैं।    
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तान उच्चायोग का एक अधिकारी भारत से निष्कासित, ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित, भारतीय सेना की जानकारी लीक करने का आरोप

मप्र-महाराष्‍ट्र सरकार की पहल : देश को मिलेगा 5 ज्योतिर्लिंगों का सर्किट, श्रद्धालु एक साथ कर पाएंगे सभी जगह दर्शन

भाजपा

असम पंचायत चुनाव में भाजपा की सुनामी में बहे विपक्षी दल

Muslim Women forced By Maulana to give tripple talaq

उत्तराखंड : मुस्लिम महिलाओं को हज कमेटी में पहली बार मिला प्रतिनिधित्त्व, सीएम ने बताया- महिला सशक्तिकरण का कदम

वाराणसी में संदिग्ध रोहिंग्या : बांग्लादेशियों सत्यापन के लिए बंगाल जाएंगी जांच टीमें

राहुल गांधी

भगवान राम पर विवादित टिप्पणी, राहुल गांधी के खिलाफ MP–MLA कोर्ट में परिवाद दाखिल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान उच्चायोग का एक अधिकारी भारत से निष्कासित, ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित, भारतीय सेना की जानकारी लीक करने का आरोप

मप्र-महाराष्‍ट्र सरकार की पहल : देश को मिलेगा 5 ज्योतिर्लिंगों का सर्किट, श्रद्धालु एक साथ कर पाएंगे सभी जगह दर्शन

भाजपा

असम पंचायत चुनाव में भाजपा की सुनामी में बहे विपक्षी दल

Muslim Women forced By Maulana to give tripple talaq

उत्तराखंड : मुस्लिम महिलाओं को हज कमेटी में पहली बार मिला प्रतिनिधित्त्व, सीएम ने बताया- महिला सशक्तिकरण का कदम

वाराणसी में संदिग्ध रोहिंग्या : बांग्लादेशियों सत्यापन के लिए बंगाल जाएंगी जांच टीमें

राहुल गांधी

भगवान राम पर विवादित टिप्पणी, राहुल गांधी के खिलाफ MP–MLA कोर्ट में परिवाद दाखिल

बांग्लादेश में आवामी लीग पर प्रतिबंध, भारत ने जताई चिंता

कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं : भारत

मोतिहारी में NIA की बड़ी कार्रवाई : 10 लाख का इनामी खालिस्तानी आतंकी कश्मीर सिंह गिरफ्तार, नेपाल से चला रहा था नेटवर्क

अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा ‘आयुर्वेद दिवस’, आयुष मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies