डॉ. निमिषा
13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस से लेकर 8 मार्च के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक महिला जागृति व सशक्तिकरण के लिए असंख्य आयोजनों के बीच महिलाओं की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए राजस्थान के परिदृश्य को अनुभूत करना चाहिए। राज्य में प्रतिदिन हर अंचल से महिलाओं और बच्चियों से दुष्कर्म के समाचार आते रहते हैं। नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के आंकड़ों में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं में सतत वृद्धि हो रही है। गृह मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री को विधानसभा में इस पर बयान तक देना पड़ा। दुखद यह है कि शासन, प्रशासन से लेकर महिला एवं बाल आयोग, मानव अधिकार आयोग और स्त्रीवादी व प्रगतिशील मोमबत्ती वाले संगठन भी लापता हैं।
राजस्थान में प्रतिदिन औसतन 18 से अधिक बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। घटनाओं के आधिक्य और प्रतिदिन ऐसे समाचार देखते-देखते समाज भी संवेदनशून्य होता जा रहा है। यूं तो राजस्थान में पिछले माह तक 300 घटनाएं हुई होंगी लेकिन यहां केवल तीन अलग-अलग अंचलों से प्रतिनिधिक भयाक्रांत घटनाओं को इंगित करना ही पर्याप्त होगा। इसमें से दो मामले अनुसूचित वर्ग से हैं। प्रशासन की लापरवाही, संवेदनहीनता व चयनित एजेंडा जले पर नमक छिड़कने के समान है।
मेवात में मूक-बधिर से सामूहिक दुष्कर्म
मेवात अंचल की मूक-बधिर बालिका से सामूहिक दुष्कर्म की जांच सीबीआई को सौंप राज्य सरकार पल्ला झाड़ रही है। जनसामान्य को अंदेशा है कि तथ्यों से छेड़छाड की गई है और जांच को कहीं न कहीं प्रभावित किया गया है। दिव्यांग बालिका के अंतरांगों पर इस सीमा तक नुकीली वस्तु से बार-बार वार किया गया कि उसके घावों की सर्जरी करनी पड़ी। डॉक्टरों ने इसे निर्भया जैसी घटना बताया। कई दिन तक गहन उपचार चला और पीड़िता को किसी स्वयंसेवी संस्था या मीडिया से मिलने तक नहीं दिया गया। एफएसएल रिपोर्ट में पीड़ित बच्ची के वस्त्रों पर सीमेन की पुष्टि होने के बावजूद अपराधी का कोई सुराग तक नहीं मिला। चौदह वर्ष की बच्ची संकेतों से दो लोगों के बारे में बताती है। अलवर की सड़कों से देश की संसद तक हजारों नागरिकों ने इस बेटी की अस्मिता के लिए राज्य सरकार से न्याय दिलाने की मांग को लेकर पुलिस प्रशासन को जगाने का भरसक प्रयास किया है।
बालिका की चीख से कांपा हाड़ौती
18 फरवरी को कोटा व्यापार महासंघ के आह्वान पर पूरा शहर बंद रहा। वेलेंनटाइन डे से एक दिन पहले ट्यूशन पढ़ने गई 9वीं कक्षा की छात्रा ने जब दुष्कर्म का विरोध किया होगा, तब उसकी हत्या कर दी गई। कोटा के रामपुरा थाने से कुछ मीटर दूरी बालिका की चीख ने हाड़ौती अंचल को अंदर तक झकझोर दिया है। उसे श्रद्धांजलि देने, विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों के साथ राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल थे किन्तु इस मामले में भी लोक शक्ति, सत्ता पक्ष पर भारी पड़ी। तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा की तैयारी के हब कोटा की 14 वर्षीया बालिका को ‘न्याय कब मिलेगा’।
राजस्थान में सर्वाधिक दुष्कर्मराष्ट्रीय महिला आयोग की एक रपट के अनुसार 2021 में राजस्थान में महिला अत्याचार की कुल 1,130 शिकायतें मिलीं। यह संख्या बहुत ही चौकाने वाली है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में महिला अत्याचार के 2019 में 764 और 2020 में 907 मामले दर्ज हुए थे। यानी तीन वर्ष के अंदर आयोग को मिलने वाली शिकायतों में 47.90 प्रतिशत और एक वर्ष में ही 24 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं राष्टÑीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के अनुसार कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में महिलाओं से अत्याचार की घटनाओं में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। दुर्भाग्य से इनमें दुष्कर्म की घटनाएं सबसे अधिक हैं। 2019 में महिलाओं और युवतियों से दुष्कर्म के सबसे ज्यादा 5997 मुकदमे दर्ज हुए। यानी राजस्थान में प्रतिदिन दुष्कर्म की औसत 16 घटनाएं हुर्इं। इनमें सबसे अधिक दुष्कर्म की घटनाएं 16 से 18 वर्ष की उम्र की बच्चियों के साथ हुर्इं। एक अन्य रपट के अनुसार राजस्थान में 18 से 30 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं से दुष्कर्म की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं। राजस्थान के हर हिस्से में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, हत्या जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पुनिया कहते हैं, ‘‘प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद 2019 में जो महिला अपराध की बेतहाशा वृद्धि हुई थी, अब उसकी हद हो गई है। प्रांत का कोई क्षेत्र नहीं बचा, जहां नित्य किसी गंभीर महिला अपराध की खबर न आती हो। अब समय आ गया है, जब इस अकर्मण्य सरकार को उखाड़ फेंकें।’’ पुनिया की इस बात में दम है। मार्च, 2020 से लेकर मार्च, 2021 तक राजस्थान में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के 80,000 मामले दर्ज हुए हैं। यानी हर महीने लगभग 7,000 मामले दर्ज हुए। ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि राजस्थान की महिलाएं सबसे अधिक प्रताड़ित होती हैं। |
मारवाड़ में विवाहिता बनी शिकार
तीसरी घटना मारवाड़ अंचल की है। दो दरिंदों की सामूहिक ज्यादती की शिकार विवाहिता छह दिन बाद डीडवाना के सूखे तालाब में अचेत अवस्था में मिली। 7 दिन तक तड़पने के बाद उसने अंत में जयपुर के एसएमएस के ट्रोमा सेंटर में अन्तिम सांस ली। इस मामले में पुलिस लापरवाही बरतती रही। ऐसा शव की हालत को देखते हुए भी लग रहा था क्योंकि उसमें कीड़े नजर आ रहे थे। आक्रोशित मेघवाल समाज ने डीडवाना से जयपुर तक धरना देकर दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की। 20 फरवरी, 2022 की आधी रात पुलिस राजधानी का माहौल बिगड़ने के भय से आनन-फानन में अंतिम संस्कार के लिए दिवंगत विवाहिता का शव डीडवाना ले गई।
अलवर में मूक-बधिर के जीवन की कुंठा, कोटा की मासूम की बर्बर हत्या और डीडवाना की विवाहिता की हत्या! इतनी संवेदनहीनता समाज के तौर पर हमें कहां ले जाएगी। राजस्थान सरकार के महिला सुरक्षा की होर्डिंग और निर्भया स्क्वॉड के नाम पर महिला पुलिस का विशेष दल आज राजस्थान की जनता को चिढ़ा रहा है। कांग्रेस का चुनावी स्लोगन ‘‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’’, राजस्थान में बेमानी-सा लगता है।
(लेखिका जयपुर स्थित कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं)
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