उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में हिमालय ग्राम विकास समिति से जुड़ी महिलाओं ने पशु पालन में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। कामधेनु स्वायत्त सहकारी संघ का नेतृत्व कर रहीं शांति कोठारी ने गायों से प्राप्त दूध को ‘कामधेनु’ नाम से आज पहाड़ का एक बड़ा ब्रांड बना दिया है।
श्रीमती शांति कोठारी की उम्र इस समय 52 साल है। 19 साल की उम्र में उनका विवाह पिथौरागढ़ जनपद के गंगोलीहाट के कोठेरा गांव में हरिशंकर कोठारी से हुआ था। एक आम महिला की तरह उनकी दिनचर्या घरेलू कार्यों तक ही सीमित थी। सामाजिक कार्यों एवं विकास गतिविधियों से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। वे एक आम महिला की तरह ही रहा करती थीं।
2002 में हिमालय ग्राम विकास समिति के द्वारा ग्राम कोठेरा में पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों का प्रारम्भ करते हुए विभिन्न माध्यमों से समुदाय को जागरूक किया गया। महिलाओं की सामाजिक स्थिति का आकलन कर उन्हें संगठित करने का प्रयास करते हुए महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया।
तब श्रीमती शांति देवी समूह की महत्ता को समझते हुए गौरादेवी स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। संस्था द्वारा आयोजित प्रशिक्षण व भ्रमण कार्यक्रमों में निरन्तर भाग लिया, जिससे उनमें एक नयी जागृति पैदा हुई। धीरे-धीरे उनकी सोच में बदलाव आने लगा। उन्होंने ग्राम की अन्य महिलाओं को भी समूह से जुड़ने हेतु प्रेरित कर अपने ग्राम में महिलाओं का एक संगठन तैयार किया और इन महिलाओं को पेयजल एवं स्वच्छता कार्यों में भागीदारी के साथ ही आर्थिक विकास हेतु कार्य करने की प्रेरणा दी।
ग्राम की सभी महिलाएं पशुपालन का कार्य तो करती ही थीं, लेकिन कभी भी इसे व्यवसाय से जोड़ने का प्रयास नहीं किया गया था। संस्था की प्रेरणा से शांति देवी द्वारा ग्राम कोठेरा की महिलाओं को उन्नत पशुपालन हेतु प्रेरित किया गया। साथ ही सभी समूहों के बीच नेटवर्क स्थापित करने एवं व्यावसायिक गतिविधियों को वृहद स्तर पर संचालित करने के उद्देश्य से 'कामधेनु स्वायत्त सहकारिता संघ' का गठन किया गया।
शांति देवी के अनुभव एवं कार्यक्षमता को देखते हुए सभी सदस्यों द्वारा उन्हें नेतृत्च की जिम्मेदारी दी गई। आज इस संगठन से 200 से अधिक महिलायें जुड़ी हैं, जो दूध के व्यवसाय से जुड़कर अपनी आजीविका चला रही हैं। श्रीमती शांति देवी जहां महिलाओं को दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही हैं, वहीं वे स्वयं अपने गांव में दूध इकट्ठा करने का काम करती हैं। उनके प्रयासों से आज गांव के गरीब परिवारों की महिलाएं महीने में 2500 से 3000 रु. तक की कमाई कर रही हैं। कामधेनु स्वायत्त सहकारिता संघ द्वारा प्रतिवर्ष 35 से 40 लाख लीटर दूध का व्यापार किया जा रहा है। अभी तक कुल 2.71 करोड़ रु. के दूध का विपणन किया गया है। डे
यरी व्यवसाय से स्थानीय स्तर पर 6 लोगों को स्थाई रोजगार भी उपलब्ध हुआ है। इससे स्थानीय बाजार से लोगों को प्रचुर मात्रा में ताजा दूध व दुग्ध उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। शांति कोठारी के प्रयासों के परिणामस्वरूप आज कामधेनु स्वायत्त सहकारिता संघ से जुड़ी महिलायें पशुचारे के साथ ही, घरेलू वस्तुओं का व्यापार भी करने लगी हैं। अब वे तमाम सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर विकास की मुख्यधारा में अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रही हैं।
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