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‘आधी आबादी’ ने ली पूरी जिम्मेदारी

by सुनील राय
Mar 6, 2022, 08:59 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
खादी के मास्क बनातीं एक स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

खादी के मास्क बनातीं एक स्वयं सहायता समूह की महिलाएं

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 प्रदेश के 3 लाख से ज्यादा  स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं सिर्फ कोरोना काल में अपने कर्तव्य के प्रति पूरी गंभीरता से नहीं जुटीं थीं, बल्कि आज भी वे हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देकर आधी आबादी का पूरा दायित्व निभा रहीं

दो साल पहले जब कोरोना संक्रमण का प्रकोप फैलना शुरू हुआ था तब सेनेटाइजर की भारी किल्लत देखने में आई थी। बाजार में मास्क मुश्किल से मिल रहे थे। लेकिन कई महिला स्वयं सहायता समूहों ने इस महामारी में महती भूमिका निभाई। उन्होंने खादी के कपड़े से 94 लाख  से अधिक मास्क निर्मित किए। इसके साथ ही सेनेटाइजर और पीपीई किट बनाई गर्इं। प्रदेश सरकार ने 592 विकास खंडों के माध्यम से रिकार्ड 3,71,777 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया। इन समूहों को 15,945 ग्राम संगठनों एवं 775 संकुल स्तरीय  संघों से जोड़ा गया। 2,41,732 स्वयं सहायता समूहों को ‘रिवाल्विंग फंड’, 1,41,709 समूहों को सामुदायिक निवेश निधि व 1,16,133 स्वयं सहायता समूहों को ‘बैंक क्रेडिट लिंकेज’ से जोड़ा  गया। 

इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग तथा अन्य विभागों के स्टाफ को मास्क उपलब्ध कराए गए। मास्क निर्माण से समूह की प्रत्येक सदस्य को औसतन 6,000 रुपए की मासिक आय हुई। खादी से कपड़ा लेकर 19,275 सहायता समूह सदस्यों ने 94.19 लाख मास्क और 1,223 सदस्यों वे 50,591 पीपीई किट तैयार कीं। 470 समूहों द्वारा 13,075 लीटर सेनेटाइजर बनाया गया। इन समूहों ने कोटेदारों को 78,489 मास्क उपलब्ध  कराया। प्रदेशभर में 793 सामुदायिक रसोइयों में 31,363 पैकेट भोजन तैयार कर गरीबों की सहायता की।  समूह की महिलाओं ने ग्राम स्तर पर गरीब परिवारों को 31,461 फूड  पैकेट खाद्यान्न उपलब्ध कराया।

महिलाओं को  हुई 58 लाख रुपए की आय
प्रदेश में पहली बार स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बिजली सखी के रूप में मीटर रीडिंग ले रही हैं और बकाया बिजली बिल जमा करा रही हैं। इससे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को कमीशन के रूप में 58 लाख रुपए की आय हुई है। उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को नवाचारों से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उपभोक्ताओं के बिजली बिलों के भुगतान की व्यवस्था लागू की गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है और लोगों को बिजली बिल जमा करने में भी सुविधा मिल रही है। समूह की इन्हीं महिलाओं की ओर से जमा किए गए बिजली बिलों में अधिकांश बिल ऐसे भी हैं, जो दो या तीन साल से जमा ही नहीं किए गए थे या जबसे उनका कनेक्शन था, उन्होंने कभी बिल जमा ही नहीं किया था, लेकिन इन महिलाओं के प्रयास से ऐसे लोगों ने भी बिजली बिल का भुगतान किया है। 

बिजली विभाग में स्वयं सहायता समूहों की 8,600 सौ  महिलाओं का पंजीकरण हुआ है। इसमें 2,859 महिलाओं ने 2,04,028 बिजली बिलों के सापेक्ष 25.68 करोड़ रुपए की वसूली की है। हर बिल पर समूह सदस्य को 20 रुपए और दो हजार से अधिक का बिल होने पर एक फीसद कमीशन के रूप में दिया जाता है। अभी तक 3,39,275 स्वयं सहायता समूहों की 2,859 महिलाएं सक्रियता से यह कार्य कर रही हैं। शेष महिलाएं जल्द ही उपकरण और प्रशिक्षण के बाद बिजली बिल जमा करने का कार्य शुरू कर देंगी। बिजली विभाग ने प्रदेश को चार क्षेत्रों में बांट रखा है। इसमें सबसे ज्यादा स्वयं सहायता समूह की 898 महिलाएं पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में बिजली सखी के रूप में कार्य कर रही हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में 812, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में 692 और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में 457 स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कार्यरत हैं।    

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