पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के निजी सचिव रहे शिवकुमार पारीक जी का शनिवार को दिल्ली में निधन हो गया। वह करीब 83 वर्ष के थे और दिल्ली में उनका उपचार चल रहा था। उनका अंतिम संस्कार रविवार 6 मार्च को 10.30 बजे चांदपोल मोक्षधाम, जयपुर में होगा। उनके दो सुपुत्र महेश और दिनेश हैं।
शिवकुमार जी पारीक जनसंघ के समय से लेकर अटल जी की सेवा में अंतिम समय तक रहे। वह केवल अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सहायक ही नहीं, बल्कि उनके हर राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साक्षी रहे। अटल जी की अनुपस्थिति में कई साल तक शिवकुमार जी ने ही लखनऊ संसदीय क्षेत्र को संभाला था। जब तक अटल जी स्वस्थ थे, उनके हर पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए। रिश्ते की गंभीरता यह बनी कि जब वाजपेयी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रहे, तब भी पारीक ने उनका हाथ थामे रखा।
जब से अटल जी ने अस्वस्थता के कारण राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रियता कम कर दी, तब से शिवकुमार ही उनकी दिनचर्या को संभालते थे।
‘अटल रिश्ते’
अटल जी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1955 में लड़ा था, जिसमें उनकी हार हुई। दो साल बाद 1957 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर संसद में कदम रखा। अटल जी की ख्याति दिनों दिन बढ़ रही थी। वे अपनी वाकपटुता से वो देश की राजनीति के उभरते सितारे बन चुके थे। इसी दौरान जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। ऐसे में लोगों को अटल जी की सुरक्षा की चिंता हुई जो जनसंघ की जड़ें मजबूत करने के लिए बगैर किसी सुरक्षा व्यवस्था के देश व्यापी भ्रमण पर रहते थे।
ऐसे में किसी ने सुझाव दिया कि वाजपेयी को एक ऐसे सहयोगी की जरूरत है, जो उनकी रक्षा भी करे। काफी तलाश के बाद नानाजी देशमुख ने राजस्थान के जयपुर के निवासी शिवकुमार का नाम सुझाया। शिवकुमार का अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ना किसी इत्तेफाक से कम नहीं था। शिवकुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। अपने लम्बे-चौड़े गठीले शरीर और बड़ी रौबदार मूंछों के कारण पारीक औरों से अलग दिखते थे। वह हमेशा अटलजी के साथ रहते थे।
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