पिछले कुछ समय से घटनाएं देखने मे आ रही है कि बाघ इंसानों पर तभी हमलावर हो रहे हैं जब वे जंगल में प्रवेश लेते हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग ने जंगल सीमा में दस किमी तक इंसानों के प्रवेश पर पाबंदी के अपने वन अधिनियम को सख्ती से प्रभावी करने का निर्णय लिया है। ऐसे में यदि कोई जंगल में प्रवेश करेगा तो उस पर वन विभाग मुकदमा दर्ज करेगा।
उत्तराखंड के वन्यजीव प्रतिपालक डॉ पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इंसानों पर हमला करने के बाद बाघ-तेंदुएं भी नरभक्षी हो रहे हैं जोकि चिंता की बात है। बाघ और इंसान दोनों साथ साथ तभी रह सकते हैं जब दोनों के बीच दूरी हो। मानव को बाघों के घर में नही जाना चाहिए। कॉर्बेट में पर्यटकों के प्रवेश पर उन्होंने कहा कि ईको टूरिस्ट जोन में ही इंसानों के प्रवेश की अनुमति दी जाती है और पार्क के भीतर पर्यटक को वाहन से नीचे उतरने की अनुमति नहीं दी जाती है।
जंगल से लगे गांवों में तेंदुए-बाघ हमले कर रहे हैं? इस पर डॉ पराग मधुकर धकाते का कहना है कि जंगल मे मानव जाता है तो ये वन्य जीव भी उनकी रेकी करते हैं और अपने से कमजोर दिखने वाले बूढ़े और बच्चों पर हमला करते हैं।
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