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गांव होंगे डिजिटल क्रांति का अगला पड़ाव!

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Feb 28, 2022, 04:23 am IST
in मत अभिमत, विज्ञान और तकनीक, दिल्ली
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आम बजट-2022 में  गांवों की फिक्र दिखती है। साथ ही डिजिटलीकरण पर भी फोकस है। अब सभी गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में आप्टिकल फाइबर लाइनें बिछाई जाएंगी

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की भावना के तहत वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में गांवों की फिक्र दिखती है। उनके तकनीकी विकास और प्रसार के इरादों की झलक भी मिलती है जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। हमारे गांवों में भारतनेट (नेशनल आॅप्टिकल फाइबर नेटवर्क) और डिजिटल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का असर पहले ही दिख रहा है क्योंकि ग्रामीणों की अच्छी-खासी आबादी किसी न किसी रूप में इंटरनेट से जुड़ी हुई है। 

बजट प्रस्तावों में डिजिटलीकरण पर फोकस है। साथ ही सरकार देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को और बढ़ाएगी। ‘सभी गांवों’ और दूरदराज के क्षेत्रों में आॅप्टिकल फाइबर लाइनें बिछाई जाएंगी। इन कामों पर आने वाले खर्च को युनिवर्सल सर्विसेज आॅब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) से लिया जाएगा। यह फंड इसलिए बनाया गया था कि जिन ग्रामीण इलाकों में कम कारोबार की वजह से कंपनियां खुद आगे बढ़कर दूरसंचार का ढांचा खड़ा नहीं करती, वहां वित्तीय प्रोत्साहनों की मदद ली जा सके। फंड में जमा होने वाली रकम सभी दूरसंचार आॅपरेटरों के सकल राजस्व में से ली जाती है। सरकार का कहना है कि सभी गांवों और उनके निवासियों की पहुंच ई-सेवाओं, संचार सुविधाओं और डिजिटल संसाधनों तक समान होनी चाहिए, जैसी कि शहरी क्षेत्रों और उनके निवासियों तक है।

दूरदराज के क्षेत्रों सहित सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए 2022-2023 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अनुबंध किए जाएंगे। इसके 2025 में पूरा होने की उम्मीद है। सरकार का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड का प्रसार ग्रामीण-शहरी डिजिटल विभाजन को पाटेगा। प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार और आय सृजन में भी वृद्धि की उम्मीद है। 

हाल ही में पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने लोकसभा को सूचित किया था कि 17 जनवरी, 2022 तक, देश में 2,50,000 ग्राम पंचायतों में से कुल 1,70,136 को भारतनेट परियोजना ‘सर्विस रेडी’ से लैस किया गया है। इस बीच, सरकार ने ई-ग्राम स्वराज नामक अकाउंटिंग एप्लीकेशन भी पेश किया है। आपको ताज्जुब होगा कि 2.55 लाख ग्रामीण स्थानीय निकायों, 5390 ब्लॉक पंचायतों और 481 जिला पंचायतों ने चालू वर्ष के लिए ई-ग्राम स्वराज एप्लीकेशन के तहत अपनी विकास योजनाएं तैयार की हैं। इतना ही नहीं, 1.81 लाख ग्राम पंचायतों ने ई-ग्राम स्वराज पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट स्कीम इंटरफेस के जरिए 72,554 करोड़ रुपये का आनलाइन भुगतान किया है। क्या आपको विश्वास होगा कि यह वही भारत है जिसके गांवों को पिछड़ा माना जाता रहा है?

यह इस बात की झलक देता है कि जब भारतनेट पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा तब कितना बदलाव आएगा। याद रहे, भारतनेट आॅप्टिकल फाइबर के जरिए संचालित दुनिया की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी परियोजना है। इसके तहत सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 2 एमबीपीएस से 20 एमबीपीएस की सस्ती ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मुहैया कराई जा रही है। भारत सरकार ने एग्रीटेक (कृषि तकनीकों पर आधारित) स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित फंड बनाने का फैसला किया है क्योंकि ग्रामीण भारत तेजी से नवाचार, स्टार्ट-अप और छोटे-मझोले व्यवसायों का ठिकाना बन रहा है। याद दिला दें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र्र मोदी ने 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में घोषित करते हुए स्टार्टअप्स से नई परियोजनाएं शुरू करते समय अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्र्रित करने को कहा था। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया था कि देशभर में कम से कम 625 जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप है। भारत के सभी स्टार्टअप में से लगभग आधे छोटे शहरों में हैं। 

बजट में की गई एक महत्वपूर्ण घोषणा ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न उद्देश्यों के लिए किसान ड्रोन के उपयोग पर जोर देना है। इनमें फसल आकलन, भू-अभिलेख, कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव शामिल है, जो कृषि क्षेत्र के लिए एक गेम चेंजर होगा। ड्रोन अपनी सीमित लागत, व्यापक उपयोगिता और उपयोग में आसानी के कारण विकसित देशों के किसानों में लोकप्रिय हो रहे हैं। 

प्रौद्योगिकी क्षेत्र से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों और घोषणाओं में से जो ग्रामीण भारत के लिए प्रासंगिक होंगे, उनमें पीएम ई-विद्या कक्षाओं का विस्तार और बैंकिंग प्रणाली के दायरे में सभी डाकघरों को लाया जाना शामिल है। ई-विद्या योजना के तहत देश के शीर्ष सौ विश्वविद्यालय कुछ समय से आॅनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्रों को शिक्षित कर रहे हैं। उम्मीद जगी है कि डिजिटल क्रांति का अगला पड़ाव हमारे गांव हो सकते हैं।
 (लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक-स्थानीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं)।

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