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‘मेरे भाई को जिहादियों ने मार डाला’

by अश्वनी मिश्र
Feb 28, 2022, 12:39 am IST
in भारत, दिल्ली
​​​​​​​हर्ष की हत्या के बाद विलाप करतीं बहनें अश्विनी और रजनी

​​​​​​​हर्ष की हत्या के बाद विलाप करतीं बहनें अश्विनी और रजनी

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‘‘तीन भाई-बहनों में सबसे लाड़ला छोटा भाई अब कभी घर नहीं आएगा। उसके बिना घर सूना है। हम सबको घर की दीवारें काटने को दौड़ रही हैं। उसके कपड़े, उसका सामान देखते ही आंसू बहने लगते हैं। पर अब…वह कभी नहीं मिलेगा। हर समय वही आंखों के सामने आता है। भाई की हत्या के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।’’ हर्ष की बड़ी बहन अश्विनी यह कहते ही फूट-फूटकर रोने लगती हैं।  पाञ्चजन्य के वरिष्ठ संवाददाता अश्वनी मिश्र ने  (अनुवादक विनय शिवमोगा के सहयोग से) उनसे विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:- 

आखिर क्या कारण रहा कि हर्ष को कट्टरपंथी जिहादियों ने निशाना बनाया?
भाई की हत्या के पीछे क्या साजिश रही, क्यों उसे मारा गया, इसके बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं पता है। पर हर्ष बहुत ही संस्कारी था। हर समय वह अपने धर्म-देश के प्रति गौरवपूर्ण बातें करता था। अपना अधिकतर समय वह हिन्दूहित से जुड़े कामों में लगाता था। जब भी कहीं गोहत्या की घटना होती थी, तो वह आक्रोशित होता था। घटना के विरोध में दमदारी से आवाज उठाता था। यहां तक कि अगर घटनास्थल पर भी जाना होता था, तो जाता था। इसी तरह लव जिहाद की घटनाओं पर भी वह विरोध जताता था। साथ ही हिन्दू युवा कैसे अपने देश और धर्म के प्रति आस्थावान बनें, इसके लिए टोली बनाकर स्थान-स्थान पर उन्हें जागरूक करता था। पिछले दिनों श्रीराममंदिर के लिए जो निधि समर्पण अभियान चला, उसमें भी अपने साथियों के साथ बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था उसने। कुल मिलाकर, मेरा भाई हिन्दू हित से जुड़ी किसी भी बात पर मुखरता से आवाज उठाता था। शायद यही बात कट्टरपंथियों को खटकी होगी। हत्यारों ने मेरे भाई को मार डाला। 

कहा जा रहा है कि हर्ष ने सोशल मीडिया पर हिजाब का विरोध किया, जिसके बाद ही उसकी हत्या की गई है?
उसके साथियों से मिलकर अब पता चल रहा है कि हिजाब के मामले में सारा समाज जो सोचता है, वही उसका विचार था। वह स्कूलों में सबके लिए समान वर्दी की बात करता था। 

आपका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें आप कह रही हैं कि मेरा भाई हिन्दूहित और श्रीराम के लिए बलिदान हो गया। असल में इसके जरिए आप क्या कहना चाह रही हैं?
मैं कहना चाहती हूं कि मेरा भाई हिन्दू समाज के लिए बलिदान हुआ है। उसकी मृत्यु धर्म और देश के लिए काम करते हुई है। परिवार सहित नाते-रिश्तेदारों को इस पर बड़ा गर्व और फख्र है। लेकिन दूसरी ओर घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हर्ष घर में सबसे छोटा था। हम सब उसको बहुत प्यार करते थे। मां-पिताजी और हर्ष ही घर में रहते थे। उसके घर में आने से ही खुशी होती थी। पर अब वह कभी घर नहीं आएगा। उसके बिना घर सूना है। घर की दीवारें काटने को दौड़ रही हैं। उसके कपड़े, उसका सामान देखते ही आंसू बहने लगते हैं। पूरे घर में मातम पसरा है। 

अपने माता- पिता के साथ हर्ष ( मध्य में)

क्या हर्ष के साथ कभी किसी से लड़ाई या धमकी मिलने की बात परिवार को पता चली थी?
भाई घर में मां-पिताजी को ज्यादा कुछ नहीं बताता था। पर अब पता चल रहा है कि उसे कुछ सालों में कई बार धमकियां मिलीं। कुछ लोगों ने उसे डराया भी था। लेकिन वह अपने काम से कभी नहीं डिगा। जैसा मैंने पहले भी बताया कि वह हिन्दुओं से जुड़े हर मुद्दे पर अपनी बात रखता था। विरोध प्रदर्शन में आगे रहता था। यही वजह रही कि उसको जिहादियों ने निशाना बनाया।

आपके परिवार में कौन-कौन लोग हैं?
घर में मां-पिताजी हैं। इसके बाद हम तीन भाई-बहन थे। इसमें मैं सबसे बड़ी हूं। मुझसे छोटी एक बहन है। हम दोनों की शादी हो गई है। उसके बाद हर्ष हमारा सबसे छोटा भाई था।  

घर में अब कमाने वाले कौन हैं?
हमारे पिताजी दर्जी का काम करते थे। पर कुछ दिनों से बीमारी के चलते उनका काम बंद पड़ा है। हाल ही में उनकी आंख का एक आॅपरेशन हुआ है। इसके चलते वह कुछ भी काम नहीं कर सकते। ऐसे में हर्षा ही घर का इकलौता कमाने वाला व्यक्ति था। वह पोस्ट आॅफिस में दिहाड़ी कामगार था। वहां से जो पैसा मिलता था, उसी से घर चलता था। 

कट्टरपंथियों ने छोटे भाई की नृशंस हत्या की है। आप उसकी सबसे बड़ी बहन हैं। कैसा महसूस कर रही हैं?
हमारे परिवार में यही एक था, जो सबके साथ रहता था। सबको इकट्ठा रखता था। सबसे प्रेम करता था। उसके आने पर घर में खुशी आ जाती थी। अब घर का आसरा चला गया। मुझसे जब भी मिलता था, तो खुशी से भर उठता था। (रुंधे गले से) पर अब…वह कभी नहीं मिलेगा। कभी घर नहीं आएगा। कभी नही हंसाएगा। कभी मुझसे खाना नहीं मांगेगा। मैं क्या बोलूं …क्या कहूं…मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। मेरा परिवार अंदर से टूट गया है। सबका रो-रोकर बुरा हाल है। हर समय आंखों के सामने वही आता है।

दुख की घड़ी में पास-पड़ोस, सगे-संबंधी, और समाज के लोग साथ खड़े नजर आ रहे हैं?
मेरे भाई की हत्या के बाद हमें सभी तरफ से सांत्वना मिल रही है। घर-परिवार और समाज मेरे भाई के साथ खड़ा नजर आ रहा है। यहां तक कि कर्नाटक सहित देशभर का हिन्दू समाज हर्षा की मौत से दुखी है। वे आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। परिवार को इस दुख की घड़ी में ढाढस बंधा रहे हैं। सबको पता है कि मेरे भाई को क्यों निशाना बनाया गया।

राज्य सरकार या अन्य सामाजिक संगठनों की तरफ से कोई आर्थिक मदद का भरोसा मिला?
सारा हिन्दू समाज मेरे परिवार के साथ खड़ा है। सरकार से लेकर समाज के सब लोग हर्ष की मृत्यु पर दुख व्यक्त कर रहे हैं और परिवार के साथ हर परिस्थिति में साथ खड़े रहने का विश्वास जता रहे हैं। यहां तक कि विदेश में रहने वाले हिन्दू भी परिवार की चिंता लगातार कर रहे हैं।

पुलिस हर्ष हत्या मामले की जांच कर रही है। इस दौरान परिवार को अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ेंगे। ऐसे में आप और परिवार अकेला तो नहीं महसूस कर रहे?
जब से हर्षा की जिहादियों द्वारा हत्या की गई है, तब से शिवमोगा का हिन्दू समाज परिवार के साथ खड़ा है। इस सबको देखकर हम अकेला कैसे महसूस कर सकते हैं? हिन्दू समाज हमें कभी अकेला नहीं छोड़ने वाला, ऐसा विश्वास है।

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