पाकिस्तान की कंगाली और बदहाली आज दुनिया में किसी से छुपी नहीं है। चीन या किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था से कर्जा मिलते ही इमरान सरकार कुछ दिन के लिए खैर मनाती है। सरकार के मंत्री राहत की सांस लेते हैं। कुछ मंत्री तो अति उत्साहित होकर सोशल मीडिया पर यह 'खुशखबरी' साझा करते हैं। लेकिन पाकिस्तानी अवाम अब इस सबसे उकता चुकी है। अब कर्जा की बैसाखियों पर मुल्क को घिसटाते रहने वाली सरकार पर उनका गुस्सा फूटा पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत से नफरत पर सांस लेते पाकिस्तान ने हथियारों और परमाणु अस्त्रों का जखीरा तो खड़ा कर लिया है, लेकिन आम लोगों के लिए आटे, दाल का इंतजाम नहीं कर पाया है। पाकिस्तानियों ने इसी बात पर सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा उड़ेलते हुए लिखा है कि परमाणु हथियार पर इतराने वाला देश दसियों साल से भीख मांगता आ रहा है।
खजाना खाली होने के बावजूद 1998 में भारत द्वारा स्वयं को एक परमाणु संपन्न देश घोषित करने के बाद पाकिस्तान बेहद तिलमिला गया था। भारत से बराबरी करने की ठसक में इस्लामी पड़ोसी ने भी कुछ ही हफ्तों के अंदर अपने यहां परमाणु विस्फोट करके खुद को परमाणु देश घोषित कर दिया था। लेकिन सामर्थ्य न होते हुए भी उसके ऐसा करने से उसका आर्थिक ढांचा चरमरा गया।
पाकिस्तान के ही एक मीडिया समूह ने अपने पत्र के संपादकीय में लिखा है कि पाकिस्तान शायद अकेला ऐसा परमाणु संपन्न देश है जिसे अपना रोजाना का खर्चा चलाने के लिए कर्ज की जरूरत पड़ती है, जो हर रोज पैसे के भीख मांगता है। और ये दसियों सालों से होता आ रहा है। |
यह वही कंगाल पाकिस्तान है जिसके पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का एक बयान मजाक का विषय बना था। उन्होंने एक बार कहा था कि चाहे उनके लोगों को एक हजार साल तक घास खाकर गुजारा करना पड़े लेकिन पाकिस्तान परमाणु देश बनकर ही रहेगा। आज भुट्टो की वही बात सच होती दिखाई दे रही है। आज पाकिस्तान जबरदस्त कर्जे में डूबा हुआ है।
गत 24 फरवरी को एक रिपोर्ट आई कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए कर्जे की अगली किश्त जारी की है। पाकिस्तान की इमरान सरकार ने सोचा होगा कि चलो कुछ दिन के राशन का इंतजाम तो हुआ। पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन इतने बाग—बाग हो गए कि आईएमएफ के कर्जे की छठी किश्त मिलने की जानकारी सोशल मीडिया पर एक ट्वीट में साझा कर दी।
तारिन को लगा होगा कि इस जानकारी से लोगों को खुशी होगी। लेकिन हुआ इसके उलट। पाकिस्तानियों ने उस ट्वीट पर सरकार को जमकर लताड़ लगाई। उनके मन में दबा गुस्सा फूट पड़ा। किसी ने लिखा, 'तो इसमें खुश होने की क्या बात है?' किसी ने लिखा, 'कर्जे का जश्न है ये। गुलाम बनाने के लिए कर्जा'।
तारिन ने ट्वीट में लिखा था, "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए उनके कार्यक्रम की छठी किश्त को मंजूरी दे दी है।"
दैनिक 'इस्लाम खबर' की एक रिपोर्ट का दावा है कि पैसे के कुप्रबंधन तथा देश को चलाने के लिए विदेशी कर्जे की बैसाखी पर जरूरत से टिकने की वजह से सरकार में जनता का भरोसा डिगता ही जा रहा है। पाकिस्तान वाले अब इन बातों से खुश नहीं होते बल्कि अतिउत्साहित मंत्रियों को ही धता बताने लगते हैं।
रिपोर्ट आगे कहती है, 'यह हैरानी की बात ही नहीं है, यह अफसोस की भी बात है कि वित्त मंत्री ने देश को गुलाम बनाकर आईएमएफ से नई किश्त मिलने की खुशी जाहिर करते हैं।' पाकिस्तान के ही एक मीडिया समूह ने अपने पत्र के संपादकीय में लिखा है कि पाकिस्तान शायद अकेला ऐसा परमाणु संपन्न देश है जिसे अपना रोजाना का खर्चा चलाने के लिए कर्ज की जरूरत पड़ती है, जो हर रोज पैसे के भीख मांगता है। और ये दसियों सालों से होता आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी अवाम के अंदर इमरान सरकार को लेकर ये गुस्सा ऐसे समय में उपजा है जब पड़ोसी इस्लामी देश के लिए आईएमएफ ने एक अरब अमेरिकी डालर के कर्जे का पैसा जारी किया है। कर्ज की ये छठी किश्त कुल 6 अरब अमेरिकी डालर के 'बेलआउट पैकेज' के अंतर्गत दी गई है।
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