इंटरनेट के शुरुआती दिनों में हमने यह नहीं सोचा था कि आगे चलकर इस पर पूरी की पूरी व्यावसायिक दुनिया खड़ी हो जाएगी, शिक्षा का ढांचा खड़ा हो जाएगा और सरकारें भी उसके जरिए ही चलने लगेंगी। हमने यह भी नहीं सोचा था कि भौतिक दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए इंटरनेट पर भी अलग से कोई जगह पैदा हो जाएगी, जो अतिरिक्त होगी। कोई कंपनी हमारे आसपास अपने स्टोर से भी सामान बेच रही होगी और वही कंपनी इंटरनेट पर भी सामान बेच रही होगी। लेकिन ऐसा ही हुआ।
अब स्वागत है आपका इंटरनेट के भविष्य लोक में, जब यह
कहानी एक अविश्वसनीय से लगने वाले, तिलिस्मी अंदाज में आगे बढ़ेगी। यह मेटावर्स कहलाता है। आज इंटरनेट पर अनगिनत गतिविधियां चल रही हैं। अगर ये इंटरनेट पर जीती-जागती (सजीव) होकर आपके सामने आ जाएं तो आपको कैसा लगेगा? जिस ई-कॉमर्स स्टोर में जाकर आप आर्डर करते हैं, वह आपको एक असली शॉपिंग मॉल जैसा दिखाई दे और आप उसके भीतर जाकर घूम-घूम कर, पसंद करके तथा चीजों को देख-भालकर खरीदारी कर सकें।
आप किसी रेस्तरां में जाकर दोस्तों के साथ पार्टी कर सकें या फिर किसी सिनेमाहॉल में बैठकर फिल्म देख सके। कल्पना कीजिए कि एक चश्मा लगाने के बाद या फिर एक खास किस्म का हेडसेट पहनने के बाद आपके सामने वैसी ही डिजिटल, वर्चुअल, आभासी या 3डी दुनिया साकार हो जाए जैसी असली दुनिया में हम लोग इस समय हैं। एक फन्तासी-सी महसूस होने वाली वह वर्चुअल दुनिया ही मेटावर्स है।
आज मौजूद अनगिनत तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए ऐसी आभासी दुनिया तैयार की जा सकती है। इन तकनीकों में 3डी मॉडलिंग, होलोग्राम, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, 5जी, ब्लॉकचेन आदि शामिल हैं। ऐसी तमाम आधुनिक डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए एक वर्चुअल दुनिया की परिकल्पना की गई है जो मेटावर्स की शक्ल में हमारे सामने आएगी। उसमें प्रवेश करने के लिए एक डिजिटल उपकरण की जरूरत होगी और वह होगा एक खास किस्म का हेडसेट जिसकी स्क्रीन पर मेटावर्स दिखाई देगा।
इन चश्मों में माइक्रोसॉफ़्ट के होलोलेंस और आक्यूलस के वर्चुअल रियलिटी हेडसेट को गिना जा सकता है जो क्षमता में किसी बेहद शक्तिशाली कंप्यूटर से कम नहीं हैं बल्कि उससे भी बहुत आगे बढ़कर हैं। इनकी स्क्रीनों पर जो कुछ आ रहा होता है, वह किसी 2डी वीडियो या एनिमेशन की तरह नहीं बल्कि हकीकत जैसा ही दिखाई दे रहा होता है, जैसे हम जैसे ही चलते-फिरते इनसान, इमारतें और दूसरी चीजें।
फेसबुक, माइक्रोसॉफ़्ट, गूगल, एपिक गेम्स, एनवीडिया, यूनिटी, रोब्लॉक्स और आटोडेस्क जैसी कंपनियां मेटावर्स की परिकल्पना को सच बनाने में जुट गई हैं। फेसबुक ने तो अपना नाम बदलकर मेटा कर लिया है जो यह दिखाता है कि वह मेटावर्स में मौजूद संभावनाओं को कितनी गंभीरता से ले रही है। फेसबुक ने 2014 में आॅक्यूलस हेडसेट बनाने वाली कंपनी को अधिग्रहित कर लिया था।
लेखक माइक्रोसॉफ्ट में ‘निदेशक-भारतीय भाषाएं और सुगम्यता' पद पर कार्यरत हैं।
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