टी. सतीशन, केरल
केरल में वंचित वर्गों के विरुद्ध माकपा की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा घटना एर्नाकुलम जिले के किझक्काम्बलम की है, जहां '2020 आंदोलन' नामक एक संस्था से जुड़े एक दलित कार्यकर्ता 37 वर्षीय दीपू की हत्या कर दी गई है।
दीपू पर गत 12 फरवरी को जानलेवा हमला किया गया था। घायल दीपू को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन गत 18 फरवरी को उसकी मृत्यु हो गई। लगभग दो दशक पहले शुरू हुए '2020 आंदोलन' के विरुद्ध माकपा ने कट्टर दुश्मनी का माहौल पैदा कर रखा है।
यह आंदोलन किझक्काम्बलम के बड़े निर्यातक समूह काइटेक्स ग्रुप ऑफ कंपनीज द्वारा शुरू किया गया था। काइटेक्स ग्रुप के प्रबंध निदेशक साबू एम. जैकब का कहना है, '2020 आंदोलन' और उसके दलित कार्यकर्ताओं के खिलाफ अत्याचारों के पीछे कम्युनिस्ट मोर्चे एलडीएफ के विधायक पी.वी. श्रीनिजन हैं। वह सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन के पुत्र हैं।
माकपा और उसके नेतृत्व वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) लंबे समय से दलितों पर अत्याचार कर रहा है। पिनराई के पहले कार्यकाल (2016-2021) के दौरान यह क्रम तेज हुआ था और 2021 में पिनराई के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद से इसने और गति पकड़ ली है।
बीते दिनों श्रीनिजन अनेक गलत कारणों से चर्चा में रहा है। उस पर अवैध वित्तीय गतिविधियों से जुड़े कई आरोप हैं। दिलचस्प बात यह है कि वह न तो कभी वामपंथी रहा था और न ही माकपा का सदस्य। लोगों का कहना है कि उसने एलडीएफ से विधानसभा क्षेत्र 'पेमेंट सीट' की तरह हासिल किया था, मतलब कि माकपा ने यह सीट धन के बदले दी थी।
'2020' का आरोप है कि विधायक श्रीनिजन ने दीपू और अन्य लोगों पर हमले के लिए हत्यारों के एक गिरोह के साथ साजिश रची थी। साबू ने आरोप लगाया है कि माकपा के लोगों ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों “2020” कार्यकर्ताओं पर हमले किये हैं।
उल्लेखनीय है कि इस संस्था के कार्यकर्ताओं ने एलडीएफ और यूडीएफ को हराकर क्षेत्र की चार पंचायतों में जीत हासिल की थी। “2020” के लोगों का आरोप है कि इसी वजह से कांग्रेस कार्यकर्ता भी उन पर होने वाले हमलों में माकपा के साथ होते हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक “2020” और माकपा की शत्रुता तब और गंभीर हो गई जब “2020” ने सड़क पर बिजली लगाने के लिए जनता से पैसा इकट्ठा करने के प्रयास किए। क्षेत्रीय विधायक श्रीनिजन ने इसका कड़ा विरोध किया। विधायक की शत्रुतापूर्ण कार्रवाई के विरोध में “2020” ने कई पंचायतों में 15 मिनट तक बत्तियां बंद रखने का आह्वान किया। दीपू ने अपनी दलित कॉलोनी में इस अभियान को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। “2020” के लोगों का आरोप है कि इससे क्रुद्ध माकपाइयों ने दीपू पर हमला कर दिया।
संस्था “2020” के लोग दीपू पर हमला करने की साजिश में कथित भूमिका के लिए श्रीनिजन की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। साबू का आरोप है दीपू की हत्या पेशेवराना तरीके से की गई थी और उसके शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं दिख रही थी। साजिश में संलिप्तता सिद्ध करने के लिए उनकी मांग है कि विधायक के फोन कॉल की सूची की जांच की जाए।
उल्लेखनीय है कि माकपा और उसके नेतृत्व वाला लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) लंबे समय से दलितों पर अत्याचार कर रहा है। पिनराई के पहले कार्यकाल (2016-2021) के दौरान यह क्रम तेज हुआ था और 2021 में पिनराई के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद से इसने और गति पकड़ ली है।
बीते छह सालों में ऐसी घटनाओं की कोई सूची तैयार की जाए तो वह बहुत लंबी होगी। हाल के दिनों में कन्नूर जिले में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) से संबद्ध दो लड़कियों पर हमला हुआ था। इसी तरह पलक्कड जिले के वलयार में दो सगी बहनें दो अलग-अलग मौकों पर फांसी पर लटकी मिली थीं। इन मामलों के आरोपियों का संबंध माकपा से होने के कारण उनके खिलाफ मामले ठीक तरह से दर्ज नहीं किए गए थे। बाद में भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस विषय को उठाया, इसके विरोध में आंदोलन किया तब सरकार को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। लेकिन, सरकार ने मामले को सीबीआई जांच से दूर रखने की पूरी कोशिश की।
इन मामलों के अलावा हाल में पथनमथिट्टा जिले के अदूर में कथित माकपा कार्यकर्ताओं ने एक दलित के साथ बुरी तरह मारपीट की। बाद में, उसने आत्महत्या कर ली। ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं। इन सबसे यह फिर से साफ हो चुका है कि पश्चिम बंगाल की ही तरह केरल में भी माकपा शासन में दलित सुरक्षित नहीं हैं।
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