इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा 'तंजावुर उत्सवम्' का ऐतिहासिक आयोजन
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा ‘तंजावुर उत्सवम्’ का ऐतिहासिक आयोजन

by WEB DESK
Feb 18, 2022, 05:33 am IST
in भारत, दिल्ली
तंजावुर उत्सवम् की तस्वीर

तंजावुर उत्सवम् की तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
इस समारोह से दक्षिण भारतीय कला, साहित्य, इतिहास एवं विज्ञान को विशेष महत्व एवं पहचान मिलेगी ऐसा विश्वास जताया जा रहा है। इसे भारत की एकता एवं अखंडता की दृष्टि से अनिवार्य पहल भी बताया जा रहा है।

डॉ. आनंद पाटील

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के उपलक्ष्य में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्वावधान में विशेष पहल के रूप में 11 से 13 फरवरी 2022 तक दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, तंजावुर में तीन दिवसीय ‘तंजावुर उत्सवम्’ का आयोजन किया गया। 

बताया जा रहा है कि केन्द्र सरकार की ओर से दक्षिण भारत की विरासत को उजागर करने वाला यह प्रथम आयोजन है। इस समारोह से दक्षिण भारतीय कला, साहित्य, इतिहास एवं विज्ञान को विशेष महत्व एवं पहचान मिलेगी ऐसा विश्वास जताया जा रहा है। इसे भारत की एकता एवं अखंडता की दृष्टि से अनिवार्य पहल भी बताया जा रहा है। इस उत्सव में तीनों दिन दक्षिण भारतीय कला, इतिहास, साहित्य एवं विज्ञान के विभिन्न विषयों पर चर्चा-परिचर्चा एवं प्रस्तुतियां भी हुईं और दक्षिण-उत्तर के अन्योन्याश्रित सांस्कृतिक संबंध का दर्शन-प्रदर्शन भी हुआ। उत्सव का आरंभ दक्षिण भारत की समृद्ध संस्कृति एवं परंपरा निर्वाहक व द्योतक मंगलाचरण, वंदना एवं गीत-संगीत की प्रस्तुतियों से हुआ। इन प्रस्तुतियों में प्रसिद्ध नादस्वरम वादक केएम उदिरपति एवं मंडली द्वारा नादस्वरम की प्रस्तुति, मंदिर गायक स्वामीनाथन ओडुवर द्वारा थेवरम की प्रस्तुति, वैदिक पाठ एवं तमिल मातृ वंदना तमिल ताय वालतु, तंजावुर के राजकुमार श्रीमंत राजश्री बाबाजी राजा भोंसले द्वारा उद्घाटन उद्बोधन एवं दीप प्रज्ज्वलन इत्यादि सम्मिलित है। 

इन सांस्कृतिक-आध्यात्मिक प्रस्तुतियों की विशेषताओं के संबंध में माना जाता है कि दक्षिण भारतीय समाज एवं संस्कृति में नादस्वरम को कार्यक्रमों के श्रीगणेश हेतु अत्यंत शुभ माना जाता है। दक्षिण भारतीय मंदिरों के साथ-साथ हिन्दू विवाहों में इस संगीत वाद्ययंत्र का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। वहीं, थेवरम शैव भक्ति कविता ‘तिरुमुरई’ के संग्रह का महत्वपूर्ण अंश है। इस संग्रह में 7वीं और 8वीं शताब्दी के तीन प्रमुख तमिल शैव कवि सांभर, अप्पार और सुंदरार की रचनाएं संकलित हैं। शुभ कार्यों में थेवरम की प्रस्तुति तमिल संस्कृति का अभिन्न अंग है। जबकि सभी कार्यक्रमों में 'तमिल ताय वालतु' का पाठ तमिल मातृ वंदना के रूप में किया जाता है। इस प्रकार कार्यक्रम का आरंभ सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध परंपरा का दर्शन-प्रदर्शन कराने वाला था। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव एवं हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी दर्शकों का स्वागत करते हुए इस पहल की विशेषता एवं आवश्यकता को चिह्नित किया। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित तंजावुर उत्सवम समारोह के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए जो उद्बोधन किया, उसका परिपाक यही है कि भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाने हेतु ऐसे आयोजनों की नितांत आवश्यकता है। ऐसे आयोजनों से ही 'भारत एक है' की भावना प्रबल होती है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की न्यासी एवं भरतनाट्यम की सुप्रसिद्ध कलाकार पद्मभूषण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने तंजावुर उत्सवम की परिकल्पना और आयोजन के बृहत्तर उद्देश्य एवं आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि "कला एवं साहित्य केवल मनोरंजन नहीं करते, अपितु मनुष्य के मन-मस्तिष्क को उदात्तता प्रदान करते हैं।" तंजावुर (तंजौर) के राजकुमार श्रीमंत राजश्री बाबाजी राजा भोंसले ने अपने उद्घाटन उद्बोधन में तंजौर और उस क्षेत्र की ऐतिहासिकता को साक्ष्यों के साथ उजागर किया। उनके उद्बोधन में तंजावुर की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर का व्यापक स्वरूप उजागर हुआ। इस तीन दिवसीय तंजावुर उत्सवम में दक्षिण भारतीय गीत, नृत्य कला, संगीत, चित्रकला, साहित्य, इतिहास एवं विज्ञान विषयक प्रस्तुतियों की लम्बी सूची है। 'भारत एक है' को नकार कर 'दो भारत' की बहस के बीच तंजावुर उत्सवम की सभी प्रस्तुतियों में भारतीय एकता और अखंडता समय एवं विविध संदर्भों के साथ उजागर हुई। 

पहले दिन की उल्लेखनीय प्रस्तुतियों में गुरु तंजाई हेरंबनाथन के भरतनाट्यम छात्रों द्वारा मेलप्राप्ति एवं अलारिप्पु की प्रस्तुति अविस्मरणीय है। मेलप्राप्ति एक लयबद्ध नृत्य-प्रस्तुति है, जो प्राचीन समय में प्रत्येक कार्यक्रम के आरंभ में की जाती थी। इसे किसी भी कार्यक्रम के आरंभ हेतु शुभ माना जाता है। मेलप्राप्ति को 'मल्लारी' के रूप में भी जाना जाता है, जो मंदिरों के कार्यक्रम एवं प्रदर्शनों के दौरान नादस्वरम में बजाया जाता है और बाद में प्रदर्शन के आरंभ में इस पर नृत्य किया जाता है। जबकि अलारिप्पु नृत्य का ऐसा प्रकार है, जिसकी प्रस्तुति प्रदर्शन के आरंभ में की जाती है। इसकी कोरियोग्राफी ऐसी होती है कि शेष संपूर्ण प्रदर्शन के लिए शरीर के अंग-प्रत्यंग सक्रिय (वार्म अप) हो जाते हैं। इसे भरतनाट्यम में प्रथम प्रस्तुति भी माना जाता है। यह गायन के आरंभ में किये जाने वाला एक प्रेरक नृत्य है, जिसके माध्यम से देवता एवं दर्शकों को प्रणाम वंदना की जाती है।  इसी कड़ी में चारुमति चंद्रशेखरन द्वारा अनुष्ठानिक कौथुवम की प्रस्तुति हुई। कौथुवम भरतनाट्यम में देवताओं का वंदन करना एवं स्तुतिपरक नृत्य-प्रस्तुति है। 

उत्सव के पहले दिन विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. सेल्वराज द्वारा तंजावुर के इतिहास पर व्याख्यान; डॉ. जी. देवनायकम द्वारा तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर की स्थापत्य की अनूठी भव्यता पर ऑनलाइन व्याख्यान; सिंगापुर के अरविंद कुमारस्वामी द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान; डॉ. पेरुमल पलानीसामी द्वारा ताड़ की पांडुलिपियां बनाने की प्रक्रिया पर कार्यशाला; इसइकवि रमनन और मंडली द्वारा कवि अरंगम (कवि संगम); डॉ. प्रमीला गुरुमूर्ति द्वारा हरिकथा का प्रदर्शन; डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम के नृत्योदय कलाकारों द्वारा 'संगम से सदिर तक : तमिल साहित्य के चुनिंदा नृत्य रूप' की प्रस्तुति; गुरु कल्याणसुंदरम् और राजराजेश्वरी भरतनाट्य कला मंदिर, मुंबई के कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम मार्गम की प्रस्तुति उल्लेखनीय है। उत्सव के दूसरे दिन चेन्नई मैलापुर कपालेश्वर मंदिर के ओडुवर  सरगुरुनाथन द्वारा थेवरम और तमिल इसई पान का गायन; तंजौर चित्रकला विशेषज्ञ एम. रमेश राज और एम. महेश द्वारा तंजौर चित्रकारी की प्रक्रिया पर कार्यशाला; गणेश कुमार द्वारा मराठी अभंग प्रस्तुति; नाडी राव शिवाजी राव एवं मंडली द्वारा लोक नृत्य के दो उत्तेजक प्रस्तुतियां; जॉन एवं मंडली द्वारा थप्पट्टम लोक नृत्य; श्री लालगुडी जीजेआर कृष्णन और लालगुड़ी विजयलक्ष्मी द्वारा वायलिन वादन प्रस्तुति हुई। वहीं, डॉ. एस. सौम्या ने भावपूर्ण गायन में दक्षिण भारत की संस्कृति और संगीत की गहराई को प्रदर्शित किया।

उत्सव के तीसरे दिन संगीत एवं नृत्य के प्रसिद्ध विशेषज्ञों द्वारा प्रदर्शन और व्याख्यानों के साथ-साथ नृत्य एवं नाट्य-प्रस्तुतियां (नाटकम) ; डॉ. गायत्री कन्नन द्वारा तंजावुर मंदिर की करण मूर्तियों पर महाति कन्नन की प्रस्तुति आकर्षक एवं मनमोहक थी। ध्यातव्य है कि नाट्यशास्त्र में वर्णित 108 प्रकार की नृत्य-स्थितियों को करण कहा जाता है। विशेषज्ञों ने गायत्री और महाति कन्नन की इस प्रस्तुति को तंजावुर मंदिर की विभिन्न ऐतिहासिक सूचनाओं से प्रमाणित बताया है। इसी कड़ी में, गुरु श्री हरंबनाथन द्वारा तंजावुर बानी की अदावु किस्मों का प्रदर्शन; श्रीमती प्रियदर्शिनी गोविंद द्वारा तेलुगु पदम पर नृत्याभिनय; डॉ. जयश्री राजगोपालन द्वारा ‘11वीं शताब्दी के भित्ति चित्र – अजंता से तंजावुर तक की विकास-यात्रा’ विषय पर व्याख्यान; डॉ. एमएस सरला द्वारा ‘शास्त्रीय तमिल साहित्य में नृत्य तकनीक के कुछ महत्वपूर्ण संदर्भ’ विषय पर प्रासंगिक व्याख्यान; श्री एन. श्रीकांत द्वारा 'भागवत मेला नाटकम में संगीत और नृत्य' प्रस्तुति; डी. श्रीकंदा द्वारा कांस्य मूर्तिकला प्रक्रिया पर कार्यशाला ; डॉ. सुचेता भिडे चापेकर द्वारा 'भरतनाट्यम के लिए मराठा रचनाओं' पर प्रस्तुति; प्रिया एवं मुरले तथा सिलंबम एकेडेमी ऑफ फाइन आर्ट्स के छात्रों द्वारा ऊथुकाडु वेंकट कवि के 'रास शब्दम' पर प्रस्तुति हुई।

'तंजावुर उत्सवम' का समापन समारोह हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी के समापन संबोधन के साथ आरंभ हुआ। समारोह के इस अंतिम कड़ी में गुरु कल्याणसुंदरम और तंजावुर के राजकुमार राजश्री बाबाजी राजा भोंसले को कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वहीं, पद्मभूषण डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम ने 'करण उज्जीवनम – रिकंस्ट्रक्शन रिविजिटेड' के विमोचन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी, जो उनके द्वारा किए गए शोध कार्य पर आधारित एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र द्वारा निर्मित वृत्तचित्र है। इस वृत्तचित्र का ऑनलाइन विमोचन बृहदेश्वर मंदिर में किया गया। संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन ने अपने ऑनलाइन संदेश में बताया कि प्राचीन भारतीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक अखंडता का दर्शन-प्रदर्शन वर्तमान भारत को एकसूत्र में बांध कर रख सकता है। अतः इस दृष्टि से ऐसे आयोजनों की नितांत आवश्यकता है। भविष्य में भी ऐसे आयोजनों का प्रयास रहेगा। इस तीन दिवसीय उत्सव में संयुक्त सचिव उमा नंदूरी भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में सुविख्यात नृत्यांगना पद्मश्री डॉ. नर्तकी नटराज द्वारा 'नयनाभिरामनृत्य' की शानदार प्रस्तुति हुई। नर्तकी नटराज की प्रस्तुति तमिल की कई कविताओं पर आधारित थी। तंजावुर उत्सवम् के अंत में श्री मैसूर मंजूनाथ और पंडित प्रवीण शेवलीकर द्वारा उत्तर एवं दक्षिण भारतीय शैली में वाइयलिन की ऐतिहासिक जुगलबंदी हुई। इस जुगलबंदी ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस जुगलबंदी ने कला प्रेमियों को पारंपरिक संगीत रस में डुबो दिया।

उपस्थित दर्शकों ने इस तीन दिवसीय 'तंजावुर उत्सवम्' को क्षेत्र के बहुरूपदर्शक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक-आध्यात्मिक पहलुओं को प्रकाश में लाने और इसकी विशेषताओं को जन-जन में प्रसारित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण पहल बताया है। यह उत्सव तंजावुर शहर को सहस्राब्दियों से बनाने और विकसित करने वालों को स्मरण करने की दृष्टि से भी उत्तम माध्यम था। ध्यातव्य है कि तंजावुर को दक्षिण भारत का 'अन्न भंडार' भी माना जाता है। यह क्षेत्र कृषि की समृद्धता एवं कला, विज्ञान और दर्शन की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध माना जाता है। माँ कावेरी (पोन्नी) ने इस क्षेत्र में बौद्धिक, कलात्मक, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आचरण-व्यवहार को सक्षम करते हुए इस क्षेत्र को उर्वरता प्रदान की है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से एक ओर समृद्ध देशीय विरासत एवं परंपरा को जानने का अवसर मिलता है, तो दूसरी ओर विद्वान, कलाकारों के साथ-साथ सर्वसाधारण जनता के बीच एक बौद्धिक-सांस्कृतिक सेतु निर्माण होता है। इस दृष्टि से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का यह प्रयास प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय बताया जा रहा है। इस उत्सव की विशेषता यह भी है कि सभी कार्यक्रम एवं प्रस्तुतियां तंजौर क्षेत्र की संस्कृति, विरासत और आध्यात्मिकता के आधार पर तैयार की गयी थी। इस तीन दिवसीय उत्सव का प्रसारण भौतिक रूप के साथ-साथ आभासी माध्यमों पर भी हुआ।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय वायुसेना की महिला पायलट के पाकिस्तान में पकड़े जाने की बात झूठी, PIB फैक्ट चेक में खुलासा

भोपाल में लव जिहाद के विरोध में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

लव जिहाद के विरुद्ध उतरीं हिंदू महिलाएं

CG Ghar Wapsi Sanatan Dharama

घर वापसी: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में 10 ईसाइयों ने अपनाया सनातन धर्म

Operation Sindoor Press briefing : ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को किया नष्ट

भारतीय सेना ने PAK पर किया कड़ा प्रहार: पाकिस्तानी आतंकी लॉन्च पैड और चौकियां तबाह

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत के पॉवर ग्रिड पर पाकिस्तानी साइबर हमले की खबर झूठी, PIB फैक्ट चेक में खंडन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय वायुसेना की महिला पायलट के पाकिस्तान में पकड़े जाने की बात झूठी, PIB फैक्ट चेक में खुलासा

भोपाल में लव जिहाद के विरोध में प्रदर्शन करतीं महिलाएं

लव जिहाद के विरुद्ध उतरीं हिंदू महिलाएं

CG Ghar Wapsi Sanatan Dharama

घर वापसी: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में 10 ईसाइयों ने अपनाया सनातन धर्म

Operation Sindoor Press briefing : ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को किया नष्ट

भारतीय सेना ने PAK पर किया कड़ा प्रहार: पाकिस्तानी आतंकी लॉन्च पैड और चौकियां तबाह

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारत के पॉवर ग्रिड पर पाकिस्तानी साइबर हमले की खबर झूठी, PIB फैक्ट चेक में खंडन

पुस्तक का लोकार्पण करते डॉ. हर्षवर्धन और अन्य अतिथि

कैंसर पर आई नई किताब

PIB Fact check

PIB Fact Check: सरकार ने नहीं जारी की फोन लोकेशन सर्विस बंद करने की एडवायजरी, वायरल दावा फर्जी

Pakistan Defence minister Khawaja Asif madarsa

मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने बताया सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस

भारतीय सेना के हमले में तबाह हुआ पाकिस्तानी आतंकी ठिकाना

जब प्रश्न सिंदूर का हो, तब उत्तर वज्र होता है

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies