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जिन्न बोतल से बाहर

by Ambuj Bharadwaj
Feb 16, 2022, 09:00 pm IST
in भारत, दिल्ली
अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक रूप से आम आदमी की ‘भलाई’ का रुख

अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक रूप से आम आदमी की ‘भलाई’ का रुख

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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में कर रही राज्य को नशामुक्त करने का वादा। दूसरी ओर दिल्ली में घर-घर को शराब का लती बनाने की कर दी पूरी व्यवस्था। यह तक परवाह नहीं की कि शराब की दुकानें स्कूल या पूजा स्थलों के पास न खुलें। समाज से बेपरवाह सरकार को अपराध बढ़ने की भी चिंता नहीं

पंजाब विधानसभा के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। वहां नशाखोरी एक बड़ी समस्या और मुद्दा है। आम आदमी पार्टी नशाखोरी के विरुद्ध मोर्चा खोलकर कांग्रेस सरकार और अकाली दल को घेरने की जोर-आजमाइश में लगी है। यहां एक बात और है। पार्टी ने यहां हास्य कलाकार भगवंत मान को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है। वही भगवंत मान, जिनके नशे में बहकते कदमों के वीडियो वायरल हो चुके हैं। नशाखोरी पर आम आदमी पार्टी का असल रुख दिल्ली, जहां पार्टी की सरकार है और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, से ज्यादा स्पष्ट होता है।

अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक रूप से आम आदमी की ‘भलाई’ का रुख अपनाते हैं, नशाखोरी के विरुद्ध बयान देते हैं, महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए कड़ा रुख जाहिर करते हैं, परंतु सरकार चलाते वक्त उनकी बोतल से यह जिन्न निकल आता है। इससे उनकी असलियत उजागर हो जाती है। यह दिल्ली की जनता बता रही है। पंजाब में नशाखोरी पर लगाम लगाने का वादा करने वाले अरविंद केजरीवाल दिल्ली में शराब की नदियां बहाने पर तुले हुए हैं।

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को लंदन-पेरिस बनाने का वादा किया था। उस वक्त लोग समझ नहीं पाए। सरकार बनने पर अरविंद केजरीवाल ने लंदन-पेरिस के विकास मॉडल के बजाय वहां के शराब मॉडल को अपनाने की नीति पर अमल किया।
यह समझने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार की आबकारी नीति पर निगाह डालना प्रासंगिक होगा।

  • अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संचालित स्वंतत्र दुकान और होटल पर 24 घंटे शराब की बिक्री होगी।
  • शराब की दुकान कम से कम 500 वर्ग फुट में ही खुलेगी। दुकान का कोई काउंटर सड़क की तरफ नहीं होगा।
  • लाइसेंसधारक मोबाइल ऐप या वेबसाइट के माध्यम से आर्डर लेकर शराब को घर तक पहुंचा सकेंगे।
  • किसी छात्रावास, कार्यालय या संस्थान में शराब पहुंचाने की इजाजत नहीं होगी।
  • अभी तक 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत निजी हाथों में थीं, अब से 100 प्रतिशत निजी हाथों में होंगी।

शराब के कारण अपराध बढ़े

दिल्ली में शराब पीने के बाद अपराध की कई घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं जिससे दिल्ली का माहौल भी दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। 

20 सितंबर, 2021 को ईस्ट लोनी रोड, एलआईजी फ्लैट्स में आशीष के घर उसके तीन अन्य दोस्तों के साथ शराब पार्टी चल रही थी। पार्टी के दौरान किसी पुरानी बात पर नशे में गाली-गलौज होने लगी। आशीष भारी पड़ा तो उसके दोस्तों अशोक नगर निवासी ऋषभ, कार्तिक एवं रितिक आनंद उसे बहाने से बाहर ले गए और और पीट-पीट कर उसे मार डाला।

न्यू अशोक नगर थाना अंतर्गत घड़ौली गांव निवासी अनिल अगस्त, 2021 में अपने दोस्त कोंडली निवासी रतन सिंह के साथ शराब पी रहा था।  शराब पीने के दौरान दोनों के बीच झगड़ा हो गया। रतन ने गुस्से में आकर अनिल को ईंट मार दी। अनिल अचेत होकर गिर पड़ा तो आरोपी फरार हो गया। पुलिस ने जख्मी अनिल (40) को एलबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

13 दिसबर, 2021 को कोटला मुबारकपुर थाना क्षेत्र में उन्नाव निवासी दीपू अपने आॅटो चालक दोस्त के साथ शराब पीते हुए सट्टा खेल रहा था। इस दौरान दोनों में झगड़ा हो गया और मारपीट होने लगी। इस दौरान जानलेवा प्रहार से दीपू अचेत होकर सड़क पर गिर पड़ा। बाद में उसे पुलिस ट्रॉमा सेंटर ले गई जहां उसकी मृत्यु हो गई।

13 जनवरी, 2022 को नरेला इलाके में ए ब्लॉक निवासी रमेश शाहिद कबाड़ी के साथ रात को शराब पी रहा था। इसी बीच रुपयों के लेन-देन को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ। शाहिद ने रमेश के सिर पर डंडा मार दिया जिससे रमेश की मृत्यु हो गई।

21 फरवरी, 2021 को नंद नगरी थाना क्षेत्र के सुंदर नगरी इलाके में शराब पीने के दौरान झगड़े में तीन युवकों हाशिम, रिजवान व दानिश ने आशू खान पर ब्लेड से हमला कर दिया और फरार हो गए। घायल आशू खान को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

घर-घर शराब की व्यवस्था से जनता त्रस्त
अरविंद केजरीवाल की आबकारी नीति में शराब की ‘होम डिलीवरी’ एक ‘नवाचार’ है। अब तक देश में किसी सरकार ने जनता को शराब का लती बनाने के लिए ऐसी पहल नहीं की थी जैसी केजरीवाल ने की है। अब हर घर में आसानी से शराब मुहैया हो सकेगी। साथ ही फ्रूटी की तरह टेट्रा पैक में भी शराब बिक सकेगी। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली में ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 कर दी है। यानी दिल्लीवासियों को अब साल में 362 दिन शराब उपलब्ध रहेगी।

नई आबकारी नीति के तहत राजधानी को 32 उपक्षेत्रों में बांटा गया है। दिल्ली में कुल 272 वार्ड हैं। एक उपक्षेत्र में आठ से नौ वार्ड शामिल हैं। इन 32 उपक्षेत्रों में कुल 849 शराब की दुकानों के लाइसेंस आवंटित किए गए हैं। इसके तहत प्रत्येक उपक्षेत्र में 26 से 27 शराब की दुकानें संचालित होंगी। यानी हर वार्ड में तीन से चार शराब की दुकानें होंगी। हर इलाके में सहजता से शराब उपलब्ध होगी। इसके बाद भी किसी को दिक्कत हो, तो मोबाइल ऐप पर शराब को घर पर पाने के लिए आॅर्डर करने का विकल्प तो रखा ही गया है। दिल्ली में 79 वार्ड ऐसे थे जहां केजरीवाल की आबकारी नीति आने से पहले शराब का एक भी ठेका नहीं था। 45 वार्ड ऐसे थे, जहां एक से दो दुकानें थीं। 158 वार्ड यानी दिल्ली का करीब 58 प्रतिशत इलाका ऐसा था, जहां दुकान ही संचालित ही नहीं थी।

महज 8 प्रतिशत वार्डों में 6 से 10 शराब की दुकानें खुली थीं। परन्तु अब प्रत्येक वार्ड में कम से कम 3-4 शराब के ठेके मिल जाएंगे।
जिस दिल्ली की जनता से केजरीवाल ने बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य का वादा किया था, उस दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नई आबकारी नीति के तहत स्कूल से लेकर पूजा स्थलों तक के बगल में शराब के ठेके खोल दिए गए हैं। मालवीय नगर निवासी डॉ. नंदिनी बताती हैं कि ‘हमारे यहां पहले मेन मार्केट में एक कोने में शराब का ठेका था। अब आवासीय क्षेत्र के भीतर ही ठेका खोला हुआ है। मकान में ऊपर रहते हैं और भूतल पर आधा अपना प्रवेश बनवाया और आधे में ठेका खुलवा दिया। ठेका 10 फुट चौड़ी गली में है जहां आग लगने पर दमकल की गाड़ी तक नहीं पहुंच सकती। यहां पर हर दिन लड़ाई-झगड़ा होता रहता है। लोग यहां से शराब खरीदकर सामने के पार्क में पीते हैं और यहीं से हमारे मंदिर जाने का भी रास्ता है। यहां नित्य प्रति महिलाओं से छेड़खानी वगैरह आम हो गई है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने कई बार पुलिस भी बुलाई है।‘

बदरपुर के धर्मेन्द्र भगत कहते हैं कि ‘गांव की मुख्य सड़क पर प्रवेश की जगह ही शराब का ठेका खुला है। मेन मथुरा रोड पर सर्विस रोड है, वहां ठेका खुला है। वह मुश्किल से 12-15 फुट की सर्विस रोड है। यहां दोनों तरफ रेहड़ी-पटरी लग जाती है। अब गांव की महिलाएं वगैरह फल-सब्जी लेने जाती हैं तो वहां ठेका होने से कई बार बहुत सारे लोग शराब पीकर उनसे बदतमीजी करते हैं। लड़ाई-झगड़े का डर बना रहता है। वहां लड़कियों के तीन स्कूल हैं। दिन में वहां से लगभग 3-4 हजार लड़कियों की आवाजाही होती है। वहां अंडरपास है जहां लोग बैठकर शराब पीते हैं। हमने इसका काफी विरोध भी किया था। काफी विरोध के बाद भी ठेका बंद नहीं हुआ। विधायक विधूड़ी जी ने इसके लिए विधानसभा में आवाज भी उठाई। दिल्ली सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि गांव के लोगों को परेशानी न हो। पहले भी ठेके आवासीय क्षेत्र से दूर होते थे। सोचिए, यहां के बच्चों पर इसका प्रभाव क्या पड़ेगा।

दिल्ली में कोरोना प्रतिबंधों में छूट के बाद शराब की दुकानों पर लगी भीड़

मालवीय नगर में एक फिटनेस क्लब की संचालिका सुनीता गुप्ता बताती हैं कि ‘दिल्ली सरकार ने मालवीय नगर के डी ब्लॉक में शराब का ठेका खोल दिया है। उसके साथ ही एक पार्क है जहां हम सारे कार्यक्रम रखते हैं। ये सारा आवासीय क्षेत्र है और यहीं हमारा मंदिर भी है। इसके विरोध में हमने यहां के निवासियों को साथ लेकर 40 दिन लगातार धरना-प्रदर्शन किया। काफी विरोध के बाद इस पर कार्रवाई हुई और फिर 3 दिन के लिए ठेके को सील किया गया। अब वह फिर खुल गया है। यहां माहौल बहुत खराब हो गया है। रात 12 बजे तक लड़ाई-झगड़ा होता रहता है। लोग शराब पीकर पार्क में लेट जाते हैं। मंदिर जाने वाली महिलाओं, श्रद्धालुओं और राहगीरों के लिए यह बड़ी आफत हो गई है। ठेके के पास रेहड़ी-पटरी वाले भी खड़े होने लगे जिससे पूरी सड़क अवरूद्ध हो जाती है।

ब्रह्मपुरी की गली नंबर-10 के दुकानदार सुखराम बताते हैं कि 17 नवंबर को ठीक मेरे बगल में शराब का ठेका खुला है। इससे गली के सभी लोग बर्बाद हो रहे हैं। यहां पर बहुत जाम लगा रहता है। रात के 10 बजे तक लोग गाली-गलौज करते रहते हैं। यहां की महिलाओं का जीना मुश्किल हो गया है।
ब्रह्मपुरी निवासी कुबेर कहते हैं कि यहां पर हर समय शराबियों की भीड़ रहती है। लड़कियां यहां अकेले निकल नहीं सकतीं। खरीदारों के वाहनों से रोड पर जाम लगा रहता है। यहां का माहौल खराब हो गया है। दिल्ली सरकार ने ठेके गलत तरीके से खुलवाए हैं। कोई महिला या लड़की नौकरी से रात को घर लौटती है तो यहां ठेके पर खड़े शराबियों के कारण इन्हें और मुश्किल होती है।

संसद से अदालत तक में विरोध
.वर्ष 2016 में पंजाब में नशाखोरी के मुद्दे पर एक फिल्म आई थी उड़ता पंजाब। उस समय आम आदमी पार्टी ने इस फिल्म का जमकर समर्थन किया था और इस फिल्म के माध्यम से तत्कालीन सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे की जंजीरों में जकड़ कर बर्बाद करना चाहती है। अब आम आदमी स्वयं युवा पीढ़ी को बर्बाद करने के लिए नशे को बढ़ावा दे रही है। इस नई आबकारी नीति में युवाओं की शराब पीने की उम्र भी 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष कर दी गई है। इस पर उच्च न्यायालय के सवाल पूछने पर दिल्ली सरकार ने जवाब  दिया कि ’18 साल का व्यक्ति वोट दे सकता है, मगर शराब नहीं पी सकता’।

इस प्रकार के समाज विरोधी तर्क से सरकार की मंशा पूरी तरह से जाहिर है कि उसे युवा पीढ़ी की बेहतरी और भविष्य से कोई सरोकार नही है। दिल्ली का युवा जब इस प्रकार की नशाखोरी में व्यस्त होगा तो वह शिक्षा और रोजगार के लिए सरकार से कभी सवाल नहीं करेगा।
भाजपा के सांसद प्रवेश वर्मा ने इस आबकारी नीति पर संसद में शून्य काल में सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नई आबकारी नीति से कॉलोनियों में भी शराब की दुकानें खुल रही हैं। साथ ही शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 और शराब की होम डिलिवरी की अनुमति इस नई नीति के तहत दी गई है। इसके कई दुष्प्रभाव सामने दिखाई दे रहे हैं। प्रवेश वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को तैयार किया, जिसकी अधिसूचना एक जून 2021 को जारी की गई और टेंडर 28 जून को जारी किया गया।

यह उस आम आदमी पार्टी की आबकारी नीति है जो आज पंजाब में नशाखोरी पर अंकुश लगाकर युवा पीढ़ी को बचाने का वादा कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के युवाओं के लिए एक भी कॉलेज नहीं बनवाया परन्तु उनके भविष्य को नष्ट करने के लिए उनके घरों के पास शराब के ठेके जरूर खोल दिए और होम डिलीवरी का विकल्प अलग से दे दिया।

समाज नहीं, राजस्व पर नजर
अरविंद केजरीवाल की मंशा बिलकुल साफ है कि वे सरकारी खजाने को भरने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यहां बात सिर्फ सरकारी खजाने को भरने की ही नहीं बल्कि अपनी और अपने लोगों की जेबें भरने की भी है। इसी के तहत जहां पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी हाथों में होती थीं, वहीं नई आबकारी नीति के तहत 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गई हैं, वह भी सिर्फ चार निजी एजेंसियों के हाथ। यानी बड़ा फायदा उन एजेंसियों को होगा और कुछ हिस्सा राजस्व के रूप में दिल्ली सरकार को मिलेगा।

बदरपुर के धर्मेन्द्र भगत कहते हैं कि ‘इस ठेके के पास दो मस्जिदें भी हैं। हम इस ठेके को रुकवाने के लिए कमिश्नर साहब के पास भी गए। तो वे मस्जिद की सीढ़ी से नापने के बजाय अंदर तक नाप रहे हैं और कह रहे हैं कि ठेके से नियमानुसार दूरी सही है। इसके लिए हो सकता उन्होंने ठेका वालों से पैसा खाया हो’।

धर्मेन्द्र कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया है जिससे समाज बर्बाद हो। ठेके देने का मतलब ही है कि जानबूझकर लोगों को बर्बाद किया जा रहा है। अब तो उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल कर दी ठेके पर शराब खरीदने के लिए और समय भी रात 3 बजे तक। अब तो जहां से शराब खरीदी जाएगा, वहां बैठकर पीने का भी इंतजाम किया जा रहा है।

आक्सीजन नहीं, शराब पर ध्यान
एक खास बात यह भी है कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की अधिसूचना 1 जून, 2021 को जारी की गई। यानी जिस समय लोग कोरोना की भयानक मार और आक्सीजन की कमी से जूझ रहे थे, उस वक्त दिल्ली सरकार लोगों के लिए आॅक्सीजन की व्यवस्था करने और लोगों की जान बचाने के बजाय लोगों को शराब पिलाने और राजस्व बढ़ाने की जुगत में भिड़ी थी। सरकार ने कोरोना संक्रमण से पीड़ित लोगों के लिए आक्सीजन की व्यवस्था करने की बजाय राजस्व पर ध्यान केंद्रित किया। राजस्व का आंकड़ा 2021-22 के दौरान दस हजार करोड़ रुपये छूने का अनुमान है, जबकि 2015-16 के दौरान यह आंकड़ा चार हजार एक सौ करोड़ रुपये था। कोरोना काल में मई 2020 में जब लॉकडाउन था, तब भी दिल्ली सरकार को कोरोना पाबंदियों में छूट देते समय शराब की दुकानें खोलने की याद पहले आई।

डॉ. नंदिनी बताती हैं कि राजकोष के लिए पैसा कमाने के बहुत सारे तरीके हैं। हमारे समाज एवं संस्कृति में खराबी न आए, उसको भी ध्यान में रखना होता है। ये गलत है कि बिना सोचे-समझे अनुचित जगह पर ठेका खोल कर राजकोष बढ़ाया जाए। इसके लिए समाज के लोगों को सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध कदम उठाना चाहिए।

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