सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की लावण्या की आत्महत्या के मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता और सीबीआई को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस स्टेज पर हमारी ओर से सीबीआई जांच में दखल देना ठीक नहीं होगा। तमिलनाडु सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है। लावण्या के परिवार ने तमिलनाडु पुलिस पर मामले की लीपापोती का आरोप लगाया था। लावण्या ने अपने स्कूल पर ईसाई बनने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगा कर आत्महत्या की थी।
बता दें कि तमिलनाडु के तंजावुर में 12वीं कक्षा की छात्रा लावण्या ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली थी। छात्रा सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल तिरुकट्टुपाली में पढ़ती थी उस पर कन्वर्जन का दबाव बनाया जा रहा था। छात्रा के मना करने पर उसे परेशान किया जाने लगा था। स्कूल के अधिकारियों का कहना था कि अगर स्कूल में पढ़ना है तो ईसाई बनना होगा। इस प्रताड़ना से तंग आकर छात्रा ने जान दे दिया था।
छात्रा पिछले 5 साल से स्कूल के पास सेंट माइकल गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थी। बताया जा रहा है कि छात्रा के कन्वर्जन से मना करने पर सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूल ने उसकी छुट्टी कैंसिल कर दी। वह पोंगल में अपने घर जाना चाहती थी। इसके साथ ही उसे स्कूल के शौचालयों की सफाई, बर्तन धोने जैसे काम करने के लिए मजबूर किया गया। परेशान होकर लावण्या ने 9 जनवरी को स्कूल के बगीचे में इस्तेमाल किए गए कीटनाशकों का सेवन कर लिया था। तबीयत बिगड़ने पर उसके परिजनों को बुलाया गया और घर ले जाने की बात कह दी गई। परिजनों ने उसे तंजौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान 19 जनवरी को उसने दम तोड़ दिया था। इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने लावण्या की आत्महत्या के मामले को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। लावण्या के परिजनों ने कन्वर्जन का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने एफआईआर में कन्वर्जन का जिक्र नहीं किया है।
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