उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए मतदान शुरू हो चुका है। मुज्जफरनगर में हुए दंगे और पलायन की त्रासदी वहां के लोगों की नजरों के सामने अभी भी ताजा है। दंगे के बाद हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा था और उस समय की समाजवादी पार्टी की सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण कर रही थी। प्रदेश के पहले और दूसरे चरण के चुनाव में मुजफ्फरनगर का दंगा और पलायन का मुद्दा छाया रहा। अब तीसरे चरण के प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद होने जा रही है। भाजपा सुशासन, विकास और कानून एवं व्यवस्था के बूते चुनाव मैदान में उतरी है।
कासगंज के चंदन गुप्ता की स्मृति
हालांकि इस चरण में भी कासगंज है। वो कासगंज जहां सिर्फ तिरंगा फहराने के विवाद में युवक चंदन गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। 26 जनवरी वर्ष 2018 को गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जा रहा था। उसी समय कासगंज शहर में कुछ युवा सुबह के समय तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। कई मोहल्लों और चौराहों से होती हुई यात्रा मुस्लिम बहुल बड्डू नगर पहुंची थी। वहां पहले से मौजूद भीड़ ने यात्रा में शामिल लोगों पर अचानक हमला कर दिया। मारपीट और पथराव के साथ गोलियों की बौछार शुरू हो गई। कुछ लोग घायल हो गए। इस दौरान चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
भाजपा विकास और अपराध नियंत्रण के मुद्दे पर जनता के बीच में है। प्रदेश में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का अधिकतम कार्य पूरा हो चुका है। औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले कानपुर समेत पूरे प्रदेश में निवेश हो रहा है। उत्तर प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। भारत सरकार की 44 महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का देश में द्वितीय स्थान है।
घटना के बाद चन्दन गुप्ता की मां संगीता गुप्ता चीख-चीख कर रो रही थीं। संगीता गुप्ता ने उस समय कहा कि ‘मेरा बच्चा 26 जनवरी को झंडा फहराने गया था। मेरे बच्चे ने मुझसे कहा- मम्मी! मैं आ रहा हूं। बस तिरंगा फहराने जा रहा हूं। खाना बना कर रखना। अभी आता हूं। देश के लिए अपनी बलि दे दी मेरे बेटे ने। मुसलमान लड़कों ने उसको रास्ते में रोक लिया। मेरा बच्चा हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहा था। वो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। उन मुसलमान लड़कों ने कहा कि अगर पाकिस्तान जिंदाबाद नहीं कहोगे तो इस गली से आगे जिंदा नहीं जाने देंगे। मेरे बच्चे ने पाकिस्तान जिंदाबाद नहीं कहा, उन मुसलमान लड़कों ने मेरे बच्चे को जान से मार दिया। अब मैं किसके सहारे जिऊंगी। मेरे बच्चे को इंसाफ मिले, मुझको इंसाफ मिले। आप लोगों का काम इंसाफ दिलाना है। मेरा काम तो खत्म हो गया। अगर ऐसा होता रहा तो कोई मां अपने बच्चे को 26 जनवरी और 15 अगस्त पर झंडा फहराने नहीं भेजेगी। मेरा बच्चा बी.कॉम. कर रहा था। मुझसे कहता था कि मम्मी मैं बहुत बड़ा आदमी बनूंगा। अब क्या होगा…?
तीसरे चरण में पड़ने वाले इटावा, एटा, औरैया एवं मैनपुरी ऐसे जनपद हैं जो समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाते हैं। समाजवादी पार्टी अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही इन जनपदों की अधिकतर विधानसभाओं पर लगातार अपना परचम फहराती रही है। सपा के गठन के बाद मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा का चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए मगर अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा का चुना लड़ रहे हैं। अखिलेश यादव ने वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब वे लोकसभा सदस्य थे। उसके बाद वे विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए थे। इस बार उन्होंने मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट को चुना है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से कद्दावर नेता एस.पी.सिंह बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है। अब अखिलेश यादव को चुनाव में कड़ी टक्कर मिल रही है।
नीति गायब, तोहफों के भरोसे सपा
इस विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा उठाया है। जैसे ही अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को छेड़ कर माहौल बनाने की कोशिश की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मुद्दे की हवा निकाल दी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘जब पेंशन समाप्त हुई थी, तब अखिलेश यादव के अब्बाजान ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।’ इसके अलावा अखिलेश यादव 300 यूनिट फ्री बिजली और रोजगार के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। ये और बात है कि उनके कार्यकाल में इटावा आदि जनपदों में कटौती मुक्त बिजली की आपूर्ति की जाती थी। उधर प्रियंका गांधी, छात्राओं को मुफ्त में स्कूटी और स्मार्टफोन देने का वादा करके दिल्ली लौट चुकी हैं। उनके इन चुनावी वादों पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू किया कि जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां इन योजनाओं को क्यों नहीं लागू करा रही है। वैसे देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने छात्र-छात्राओं को टैबलेट दिए जाने की शुरुआत भी कर दी है।
विकास और अपराध नियंत्रण का मुद्दा
उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी, विकास और अपराध नियंत्रण के मुद्दे पर जनता के बीच में है। प्रदेश में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का अधिकतम कार्य पूरा हो चुका है। औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले कानपुर समेत पूरे प्रदेश में निवेश हो रहा है। उत्तर प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है। भारत सरकार की 44 महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का देश में द्वितीय स्थान है। उत्तर प्रदेश, देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
अपराध नियंत्रण के मोर्चे पर डकैती में वर्ष 2016 की तुलना में 2020 में 74.50 प्रतिशत और वर्ष 2012 के तुलना में 74.67 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार वर्ष 2016 की तुलना में लूट में 65.29 प्रतिशत और वर्ष 2012 की तुलना में 54.25 प्रतिशत की कमी आई। हत्या के मामलों में वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2020 में 26.43 प्रतिशत और वर्ष 2012 की तुलना में 29.74 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार फिरौती के मामलों में वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2020 में 54.55 प्रतिशत और वर्ष 2012 के सापेक्ष 64.29 प्रतिशत की कमी आई है। बलात्कार की घटना में वर्ष 2013 के सापेक्ष वर्ष 2020 में 25.94 प्रतिशत और वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2020 में 38.74 प्रतिशत की कमी आई है।
उजाला योजना में उत्तर प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 62 लाख एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं। इससे वार्षिक 3,407 मिलियन यूनिट बिजली और 1,363 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। व्यस्त घंटों में मांग 682 मेगावाट घटी है। कार्बन उत्सर्जन में भी 2.76 मिलियन टन कमी हुई है। एलईडी स्ट्रीट लाइट, बल्ब, स्टार रेटेड उपकरणों के उपयोग से अब तक चरम मांग में 3413 मेगावाट की कमी दर्ज की गई। 25 उद्योगों ने 8,066 मिलियन यूनिट बिजली की बचत की है। वहीं पीएम की कुसुम योजना में अभी तक कुल 25,975 निजी नलकूपों को सौर पंप में बदला गया है। ऊर्जा खपत को कम करने के लिए 2.82 लाख आॅफ ग्रिड सोलर स्ट्रीट लाइट्स भी लगाई गई है। अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर को क्लीन एवं ग्रीन एनर्जी का मॉडल टाउन बनाया जाएगा। चरणबद्ध तरीके से वर्ष 2024 तक इन शहरों को सौर ऊर्जा उत्पादन में दक्ष बनाकर सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इन शहरों में घरों की छतों से 669 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होगा। तय किए गए लक्ष्य के क्रम में केंद्र सरकार द्वारा 859 करोड़ व राज्य सरकार द्वारा 473 करोड़ रुपये का अनुदान भी उपभोक्ताओं को दिया जाएगा।
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