पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन चुनावी रैलियां होनी हैं। इसे लेकर राज्य पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान चुनाव आयोग ने पुलिस को नियम और प्रोटोकॉल के आधार पर जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैलियों से पहले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) ने भी राज्य पुलिस के साथ तालमेल बढ़ाना शुरू कर दिया है। सुरक्षा इंतजामों की निगरानी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इस बीच प्रधानमंत्री की रैलियों का विरोध करने के लिए संयुक्त मोर्चे में शामिल पंजाब के किसान संगठनों के आह्वान ने राज्य पुलिस की सिरदर्दी बढ़ा दी है। पांच जनवरी को फिरोजपुर में मोदी की रैली के दौरान सुरक्षा में सेंध लगने की घटना से सीख लेते हुए पुलिस ने इस बार अतिरिक्त डीजीपी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है। उस समय प्रधानमंत्री को बिना रैली किए ही वापस जाना पड़ा था। इस मामले में राज्य की चरणजीत चन्नी सरकार की कड़ी आलोचना हुई थी।
प्रधानमंत्री की जालंधर, पठानकोट और अबोहर में रैलियां प्रस्तावित हैं। इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अतिरिक्त डीजीपी रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। खुफिया विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियां शरारती तत्वों की सूची बना रही हैं ताकि उन पर नजर रखी जा सके। इसके लिए राज्य का खुफिया विभाग दिन-रात डाटा जुटा रहा है।
चुनाव के दौरान पुलिस किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाह रही है। इसलिए हर तैयारी से पहले फूंक-फूंक कर कदम रखा जा रहा है। सीमांत राज्य होने के कारण यहां वीवीआईपी सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब में डेरा डाल लिया है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता की बात तो यह है कि किसानों ने रैली का विरोध करने का ऐलान कर रखा है। हालांकि कोशिश यही की जा रही है किसानों का मनाया जाए। लेकिन चुनाव की वजह से किसान शायद ही पुलिस की बात मानें। इस वजह से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है। चुनावी रैली होने की वजह से एजेंसियों के सामने सुरक्षा को लेकर खासी दिक्कत आ रही है।
टिप्पणियाँ