लावण्या आत्महत्या मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को खुला पत्र लिखा है। ‘लावण्या की दूसरी हत्या’ शीर्षक से मंगलवार को लिखे गए पत्र में राज्य सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया गया है।
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने पीडि़त परिवार से मुलाकात के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को यह पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में लावण्या के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए आवाजें उठ रही हैं, लेकिन आपकी सरकार अपराधियों के साथ खड़ी दिख रही है। लावण्या के माता-पिता और छोटे भाइयों के साथ जो घटित हो रहा है, वह अकल्पनीय है। छोटे बच्चों को पुलिस थाने में बैठा कर उनसे मनचाहा बयान देने का दबाव बनाना किस शासकीय नियमावली का हिस्सा है? तमिलनाडु पुलिस यह कार्य क्यों और किसके इशारे पर कर रही थी? लावण्या के पिता मुरुगानंदम 25 साल से डीएमके के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, लेकिन लावण्या की मौत के बाद पार्टी ने उनकी सुध नहीं ली। इस पत्र में निधि ने स्टालिन से पूछा है कि क्या मिशनरी शक्तियां पूरी तरह से प्रशासन और पार्टी पर कब्ज़ा कर चुकी हैं?
पत्र में कहा गया है कि मामले में सरकार की लापरवाही को देखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया, लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देकर राज्य सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। राज्य सरकार नहीं चाहती कि लावण्या को न्याय मिले। मिशनरी षड्यंत्र के तहत एक बार लावण्या की हत्या की जा चुकी है, अब आपकी सरकार और पार्टी उसकी दूसरी हत्या करना चाहती है। आपकी सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ भी सहयोग नहीं किया।
इधर, कुछ दिन पूर्व भाजपा के अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने लावण्या के आत्महत्या के मूल कारणों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें शीर्ष अदालत से केंद्र और राज्यों को तत्काल एक सख्त कन्वर्जन विरोधी कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि धोखाधड़ी, लालच या डरा-धमका कर कन्वर्जन कराना संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया कि कन्वर्जन पर एक देशव्यापी कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने की आवश्यकता है, क्योंकि राज्य के कन्वर्जन विरोधी कानून धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन को ठीक से परिभाषित नहीं करते हैं। कन्वर्जन देशव्यापी समस्या है और केंद्र को एक कानून बनाना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए।
बता दें कि तमिलनाडु के तंजावुर की 17 वर्षीया लावण्या ने छात्रावास की वार्डन प्रताड़ना से तंग आकर जहर खा लिया था, जिससे 19 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी। आत्महत्या से कुछ दिन पहले ही 12वीं की छात्रा ने बताया था कि उसे ईसाई मत अपनाने के मजबूर किया जा रहा था।
टिप्पणियाँ