चीन गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भले खुद को मुस्लिमों का कितना भी हमदर्द दिखाएं, भले वे खुद को कितना भी 'इस्लामी भाईचारा' दिखाएं लेकिन असल में यह उनका कोरा ढकोसला ही है। इस बात की पुष्टि होती है राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बीजिंग में कल हुई उनकी बातचीत और उसके बाद जारी संयुक्त बयान से। इस बयान में स्पष्ट कहा गया है कि पाकिस्तान सिंक्यांग सहित चीन की सभी नीतियों पर उसके साथ है।
प्रधानमंत्री इमरान खान का चीन को यूं आंख बंद करके अपना समर्थन देना साफ बताता है कि उन्हें उइगर बहुल उस सिंक्यांग प्रांत में ड्रैगन द्वारा चलाए जा रहे 'दमनचक्र से कोई लेना—देना नहीं' है। सिंक्यांग में उइगरों मुस्लिमों पर जुल्म हो रहे हैं तो उनकी बला से।
उल्लेखनीय है कि पैसे से कंगाल हो चुके पाकिस्तान के लिए ओलंपिक खेलों में शामिल होने के बहाने कर्जा मांगने चीन गए इमरान खान वैसे भी चीन की हर बात पर सिर झुकाकर हामी भरने के अलावा और कर भी क्या सकते थे! इसी वजह से उन्होंने सिंक्यांग प्रांत में उइगरों पर कम्युनिस्ट सरकार के दमन की तरफ अपनी आंखें बंद रखीं। एक तरह से उन्होंने उइगरों को लेकर चीन पर दुनिया भर की सरकारों के आक्षेपों से को भी अनदेखा कर दिया। दुनिया के अनेक मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे पर चीन को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं, लेकिन खुद को दुनियाभर के मुस्लिमों का रहनुमा मानने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को मुस्लिमों की इतनी बड़ी आबादी के चीन के दमनचक्र में पिसने की कोई परवाह नहीं है।
इमरान और जिनपिंग की वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान के जरिए इमरान का चीन की हर नीति का आंख मूंदकर समर्थन करना, उनके देश में कट्टरपंथी तत्वों को उतना रास नहीं आया होगा, लेकिन बदले में पैसा मिलता देख सब खामोश हैं। इमरान ने दक्षिण चीन सागर तथा 'वन चाइना पॉलिसी' से जुड़े मुद्दों पर भी खुलकर सहमति जता दी। संयुक्त बयान के अनुसार, ताइवान सहित दक्षिण चीन सागर, हांगकांग और सिंक्यांग व तिब्बत को लेकर पाकिस्तान की तरफ से जिनपिंग की नीतियों को पूरा समर्थन है।
बीजिंग गए इमरान खान ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग सहित कई दूसरे नेताओं तथा शीर्ष अधिकारियों से बात की। इन वार्ताओं में ज्यादातर कारोबारी मुद्दे शामिल थे। हालांकि पाकिस्तान पर एक तरह से मेहरबानी करते हुए चीन ने आर्थिक गलियारे सीईपीसी के दूसरे चरण पर आगे बढ़ने को हरी झंडी दिखाई है। सूत्रों के अनुसार, चीन ने इमरान को वहां अपने कामगारों को लेकर सुरक्षा और पुख्ता करने के भी निर्देश दिए हैं।
पाकिस्तान वापसी से ठीक पहले इमरान और जिनपिंग की वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान के जरिए इमरान का चीन की हर नीति का आंख मूंदकर समर्थन करना, उनके देश में कट्टरपंथी तत्वों को उतना रास नहीं आया होगा, लेकिन बदले में पैसा मिलता देख सब खामोश हैं। इमरान ने चीन को समर्थन इस हद तक दिया कि दक्षिण चीन सागर तथा 'वन चाइना पॉलिसी' से जुड़े मुद्दों पर भी उन्होंने खुलकर सहमति जता दी। संयुक्त बयान में कहा गया है कि ताइवान सहित दक्षिण चीन सागर, हांगकांग और सिंक्यांग व तिब्बत को लेकर पाकिस्तान की तरफ से जिनपिंग की नीतियों को पूरा समर्थन है।
उल्लेखनीय है कि ये वही मुद्दे हैं जिन पर चीन पश्चिमी देशों के आक्रोश के निशाने पर है। पश्चिमी देश बीजिंग की दमनकारी और विस्तारवादी नीतियों की सख्त आलोचना करते आए हैं। लेकिन पाकिस्तान ने तो दुनिया के लगभग 243 संगठनों के तमाम आरोपों को एक झटके में खारिज कर दिया जो वे सिंक्यांग के उइगरों के दमन के बारे में चीन पर लगाते आ रहे हैं।
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