इस्लामी कट्टरता पर लगाम कसने को तैयार फ्रांस की सरकार, मैक्रों ने बनाया नया ‘इस्लामी फोरम’

Published by
Alok Goswami
राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कट्टरवादी ताकतों और बाहरी शक्तियों के दबाव में आए बिना अनेक कदम उठाए हैं जिनसे जिहाद की जहरीली सोच को फैलने से रोका जा सके

फ्रांस में इस्लामी कट्टरवाद को काबू करने के एक के बाद एक उठाए जा रहे कदमों से देश के अमनपसंद लोग राहत की सांस ले रहे हैं। फ्रांस मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी है, लेकिन साथ ही, उसने इस्लामी जिहाद का वीभत्स रूप भी देखा है। राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कट्टरवादी ताकतों और बाहरी शक्तियों के दबाव में आए बिना अनेक कदम उठाए हैं जिनसे जिहाद की जहरीली सोच को फैलने से रोका जा सके। इसी कड़ी में उनका बनाया नया फोरम एक सराहनीय प्रयास माना जा रहा है। 

फ्रांस सरकार द्वारा हाल में फोरम आफ इस्लाम बनाया गया है, जिसका उद्देश्य है इस्लामिक कट्टरता और चरमपंथ को प्रभावी तौर पर लगाम लगाना। इस फोरम की फ्रांस के ज्यादातर नागरिकों ने तारीफ की है। उनका कहना है कि यह फोरम देश और यहां रह रही 50 लाख की मुस्लिम आबादी को सुरक्षित रखेगा, उन्हें बाहरी ताकतों के असर से बचाएगा। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी यूरोप में फ्रांस ही है जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। यह फोरम इसी समुदाय का नेतृत्व करेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस फोरम में महिलाओं के साथ ही कई इमामों और आम मुस्लिमों को शामिल किया गया है। प्रयास यही है कि इसके माध्यम से देश में इस्लामी कट्टरता को दूर करके मजहब को नया रूप दिया जाए। 

फ्रांस में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के वक्त भी इस्लामी कट्टरवादी विरोध में उतर आए थे  (फाइल चित्र)

इस फोरम की फ्रांस के ज्यादातर नागरिकों ने तारीफ की है। उनका कहना है कि यह फोरम देश और यहां रह रही 50 लाख की मुस्लिम आबादी को सुरक्षित रखेगा, उन्हें बाहरी ताकतों के असर से बचाएगा। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी यूरोप में फ्रांस ही है जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। यह फोरम इसी समुदाय का नेतृत्व करेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस फोरम में महिलाओं के साथ ही कई इमामों और आम मुस्लिमों को शामिल किया गया है।

फ्रांस वही देश है जहां इस्लामी जिहाद ने अनेक मासूम जानें ली हैं। कई जिहादी हमले झेले हैं। हैरानी की बात है कि फ्रांस के ही सैकड़ों नागरिक जिहादियों से जा मिले हैं और अनके सालों से सीरिया हादी जंग लड़ रहे हैं। इसके बरअक्स हजारों की तादाद में फ्रांसीसी सैनिक अफ्रीका के कट्टरवादी गुटों से लोहा ले रहे हैं। 

जैसा कि पहले से अंदाजा था, फ्रांस में रह रहे कट्टरपंथी मुस्लिम इस नए फोरम के विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि यह आगामी अप्रैल में होने जा रहे राष्ट्रपति पद के चुनावों में वोट पाने के लिए सेंट्रलिस्ट पार्टी के नेता, राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों दक्षिणपंथी वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश है। 

बताया गया है कि ‘फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस’ का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फ्रांस में मुस्लिम रस्मों को आम जनजीवन के पंथनिरपेक्ष मूल्यों को ध्यान में रखते हुए पूरा किया जाए। विरोध करने वाले मजहबी कट्टरवादियों का कहना है कि मजहब उनकी फ्रांसीसी पहचान का ही एक अंग है। देश की सरकार कुछ हमलों की आड़ में पूरे समुदाय को जिम्मेदार ठहरा रही है। 

मैक्रों सरकार द्वारा गठित इस नए फोरम में कई इमाम, समाज के ओहदेदार लोग, नामी बुद्धिजीवी तथा कारोबारी शामिल होंगे। फ्रांस मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, फोरम के सभी सदस्य सरकार द्वारा चुने गए हैं। इसमें एक चौथाई महिलाएं होंगी। इस नए फोरम के आने से पूर्ववर्ती 'फ्रेंच काउंसिल ऑफ मुस्लिम फेथ' निरस्त हो जाएगा। इसे 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने बनाया था। 
 

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