गत दिनों गोपालगंज के मांझागढ़ थानाक्षेत्र के भटवलिया राम-जानकी मंदिर से सीता जी और राम जी की बहुत ही कीमती मूर्ति चोरी हो गई। बता दें कि इस मंदिर की स्थापना सदियों पूर्व मांझा राज द्वारा करायी गयी थी। मांझा राज घराने की बहू और गोपाल बाबू की मां अपना अधिकांश समय मंदिर में बिताती थीं। लेकिन इन लोगों को क्या पता था कि जिस ईष्ट की पूजा वे लोग मनोयोग से कर रहे हैं, उनकी मूर्ति कभी चोरों के हाथ भी लग सकती है। घटना 3 फरवरी की है। सुबह जब पुजारी हरेन्द्र पर्वत ने पूजा के लिए मंदिर का कपाट खोला तो उनके होश उड़ गए। मंदिर के दरवाजे का ताला टूटा हुआ था। अंदर जाने पर पता चला कि मंदिर के अंदर रखी प्राचीन काल की राम-जानकी मूर्ति अपने स्थान से गायब है। उन्होंने इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को दी। इसके बाद मांझागढ़ थानाध्यक्ष विशाल आनंद पुलिस दल के साथ मंदिर प्रांगण पहुंचे। पुलिस ने अपने स्तर से खेत और जंगल-झाड़ी में मूर्ति को ढूंढा लेकिन, कोई सुराग नहीं मिला।
गोपालगंज और बिहार में देवी—देवता की मूर्ति चोरी की यह कोई एकलौती घटना नहीं है। गोपालगंज में इसके पूर्व भी कई बार चोरों ने ऐतिहासिक मंदिरों को अपना निशाना बनाया है। 2020 में 25 दिसंबर की रात जिले के कटेया में राम-जानकी मंदिर से मूर्तियां चोरी हो गई थीं। इसके पहले 2018 में भी लगातार मूर्तियों की चोरी हुई। 2018 में 12 फरवरी की रात हथुआ के लाला बड़ी गांव के मंदिर से राधा-कृष्ण की मूर्ति चोरी हुई। इसी वर्ष 24 मई की रात फुलवरिया के कोयला देवा मठ में पांच मूर्तियों की चोरी हुई थी। 25 अक्तूबर की रात बैकुंठपुर के बनौरा राम-जानकी मंदिर से तीन अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी।
सिर्फ 2018 ही नहीं, बल्कि इसके पहले 2017 का वर्ष भी मूर्ति चोरों के नाम रहा। 15 जनवरी की रात विजयीपुर के चरखिया मठ से राम-जानकी की मूर्ति चोरी हो गई। इसी वर्ष 20 अगस्त की रात कटेया के घुर्नाकुंड में 65 मूर्तियों की चोरी हो गई थी। 16 नवंबर, 2016 की रात चोरों ने नगर थाना क्षेत्र के बंजारी शिव मंदिर से अष्टधातु की मूर्तियां चुरा ली थीं। इसी वर्ष कटेया में हिरमति रानी की मूर्ति भी चोरी हुई थी। हालांकि यह मूर्ति बाद में बरामद भी हो गई।
सर्वाधिक तस्करी अष्टधातु की मूर्ति की
पुलिस मुख्यालय में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तस्करों के निशाने पर अष्टधातु की बनी मूर्तियां होती हैं। ये अति प्राचीन होने के साथ—साथ कीमती धातु के मिश्रण से निर्मित होती हैं। अष्टधातु में सोना, चांदी,कांसा,शीशा,टीन,लोहा और पारा के साथ संगमरमर एवं पीतल मिला होता है। इन मूर्तियों का पुरातात्विक महत्व होने के साथ भौतिक स्वरूप भी काफी कीमती होता है।
खुफिया विभाग द्वारा राज्य सरकार को बार-बार इसकी जानकारी दी जाती है कि बिहार में अंतरराष्ट्रीय मूर्ति चोर गिरोह सक्रिय है। 2018 के मार्च महीने में उत्तर बिहार के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक को अष्टधातु की मूर्ति वाले मंदिरों की सूची के साथ पत्र भेज कर उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया गया था। मुजफ्फरपुर में ऐसे 42 मंदिरों की सूची भी उपलब्ध करायी गयी थी। इसी प्रकार अन्य जिलों में भी प्रमुख मंदिरों और बेशकीमती मूर्तियों का ब्यौरा उपलब्ध कराया गया, लेकिन प्रशासन इन सब घटनाओं पर चौकस नहीं दिख रहा है।
भगवान महावीर के जन्मस्थल से भी मूर्तियां गायब
भगवान महावीर के जन्मस्थल बासोकुंड के जैन मंदिर से अष्टधातु की दो मूर्तियां गायब हैं। इनमें से एक भगवान आदित्यनाथ की अष्टधातु की मूर्ति का वजन नौ किलो और भगवान शांतिनाथ की मूर्ति का वजन पांच किलो है।
मूर्ति तस्करों के लिए सबसे सुरक्षित स्थल बनता बिहार
बिहार मूर्ति तस्करों के लिए सबसे सुरक्षित स्थल बनता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार पिछले 10 वर्ष में 1,000 से अधिक बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। मूर्ति चोरों ने बिहार से लेकर नेपाल तक अपना अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क विकसित कर लिया है। न सिर्फ सोने-चांदी और पीतल की, बल्कि अष्टधातु की भी प्राचीन मूर्तियां एक-एक कर मंदिरों से गायब हो रही हैं। ये मूर्तियां मंदिर से गायब होकर तस्करों के जरिए अंतरराष्ट्रीय चोर बाजार पहुंच रही हैं। इन मूर्तियों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपए होती है।
इन घटनाओं से बिहार के श्रद्धालुओं में रोष है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि यदि मूर्ति चोरों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।
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