चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने खबर छापी है कि 'बीजिंग विंटर ओलंपिक की मशाल थामने वाले चुनिंदा 1200 लोगों में से एक है गलवान संघर्ष में लड़ा चीनी कमांडर'। इस खबर ने जहां गलवान को लेकर चीन के झूठ को उजागर किया है वहीं इसने दिखाया है कि दुनिया के तमाम सभ्य लोकतांत्रिक देशों द्वारा इन खेलों का बहिष्कार करने के बाद भी चीन की विस्तारवादी हेकड़ी कायम है। अमेरिका ने चीन द्वारा गलवान में लड़े सैनिक के हाथ मशाल थमाने को चीन के लिए 'शर्मनाक बात' कहा है।
गलवान में बुरी तरह पिटे चीन ने जून 2020 की उस घटना से अस्तित्व को सदा नकारा ही था, जबकि अमेरिका और कनाडा की खुफिया रपटें साफ दिखाती थीं कि गलवान में भारत के बहादुर जवानों के हाथों क्रमश: 42 और 35 पीएलए सैनिक हलाक हुए हैं।
काफी दबाव के बाद, पिछले साल चीन ने स्वीकारा की गलवान में संघर्ष हुआ था जिसमें उसके सिर्फ 4 सैनिक मारे गए थे। उस संघर्ष के बाद से चीन पूर्वी लद्दाख में सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति को लगातार बढ़ाता आ रहा है। इतना ही नहीं, गत जनवरी माह में उसने सीमा पर अपने पाले में चीन का बड़ा सा झंडा फहराते हुए एक वीडियो वायरल करके 'दिखाया' कि 'सीमा पर उसके तूती बोलती है'।
ऑस्ट्रेलियाई दैनिक 'द क्लैक्सन' की रिपोर्ट बताती है कि 15 जनू को अस्थायी पुल बनाने को लेकर भारत तथा चीनी की सैनिकों में झड़प हुई थी। चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के कई उपभोक्ताओं के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि उस रात को कम-से-कम 38 पीएलए सैनिक नदी की तेज धारा में बह गए थे। लेकिन चालाक और झूठ फैलाने वाले ड्रैगन ने बाद में ऐसी तमाम पोस्ट डिलीट करवा दी थीं।
लेकिन, कभी गलवान घटना से मुकरते रहे चीन द्वारा वहां पिटे सैनिक को ओलंपिक मशाल थमाकर एक तरह से माना है कि गलवान में जबरदस्त संघर्ष हुआ था। वीओन समाचार चैनल ने मशाल पकड़े इस सैनिक की तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट में बताया कि चीन भले इसे 'हीरो' की तरह पेश कर रहा हो, असल में तो यह चीन के झूठ का साकार रूप ही है।
इसके साथ ही दुनिया भर में उइगर दमन के लिए धिक्कारे जा रहे चीन के आकर्षणहीन ओलंपिक आयोजन को बढ़ा—चढ़ाकर पेश करके विस्तारवादी चीन ने अपना अक्खड़ रवैया भी प्रदर्शित किया है।
इस सबके बीच ऑस्ट्रेलिया के एक दैनिक समाचार पत्र ने अपनी एक रिपोर्ट के जरिए चीन की धज्जियां उड़ा दी हैं। दैनिक 'द क्लैक्सन' का दावा है कि गलवान संघर्ष के दौरान चीन की पीएलए के 38 सैनिक बह गए थे। ये चीनी सैनिक तेज धारा वाली गलवान नदी पार कर रहे थे। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि चीन ने तथ्यों को प्रभावित किया है, उसने गलवान में हुईं दो अलग-अलग झड़पों का ब्योरा तथा चित्रों को एक—दूसरे के साथ मिलाया है।
ऑस्ट्रेलियाई दैनिक 'द क्लैक्सन' की यह रिपोर्ट सोशल मीडिया शोधकर्ताओं के एक दल द्वारा किए अनुसंधान के तथ्यों को प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट बताती है कि 15 जनू को अस्थायी पुल बनाने को लेकर भारत तथा चीनी की सैनिकों में झड़प हुई थी। चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के कई उपभोक्ताओं के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि उस रात को कम-से-कम 38 पीएलए सैनिक नदी की तेज धारा में बह गए थे। लेकिन चालाक और झूठ फैलाने वाले ड्रैगन ने बाद में ऐसी तमाम पोस्ट डिलीट करवा दी थीं। इससे साफ है कि बीजिंग में बैठे अधिकारी उस संघर्ष के बारे में कहीं कोई चर्चा न होने देने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। रिपोर्ट के पीछे काम करने वाले शोधकर्ताओं के साक्ष्य दिखाते हैं कि बीजिंग ने जो चार सैनिकों के मारे जाने की बात की थी, चीन को उससे कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था।
लेकिन चीन बीजिंग विंटर ओलंपिक्स को पूरी बेशर्मी के साथ राजनीतिक मंच का अखाड़ा बना रहा है। 'ग्लोबल टाइम्स' की रिपोर्ट ने बड़े 'गर्व' से बताया है कि 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रेजिमेंट कमांडर क्यूई फैबाओ के हाथ मशाल सौंपी गई है। उसी फैबाओ के हाथ जिसे भारत के साथ गलवान घाटी के संघर्ष में बहादुरी से लड़ते हुए सिर में चोट लगी थी'।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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