डॉ. आनंद पाटील
कन्वर्जन कराने वाले मिशनरी की अमानवीय हरकतों के कारण तमिलनाडु पुन: चर्चा में है। तंजावुर जिले के तिरुकाट्टुपल्ली स्थित सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई मिशनरी स्कूल ‘सेक्रेड हार्ट हायर सेकेंडरी स्कूल’ में 12वीं की छात्रा 17 वर्षीय एम. लावण्या ने स्कूल की ओर से प्रस्तावित कन्वर्जन को अस्वीकार करने के बाद निरंतर उत्पीड़न एवं शोषण को न झेल पाने के कारण अंतत: टॉयलेट क्लीनर पीकर आत्महत्या कर ली है।
कन्वर्ट होने के लिए निरंतर दबाव, उत्पीड़न
लावण्या विगत पांच वर्षों से स्कूल के निकट सेंट माइकल गर्ल्स हॉस्टल में रह रही थी। सूत्रों के अनुसार छात्रावास की वार्डन सहाय मेरी (आयु 60-62) लावण्या पर कन्वर्ट होने के लिए निरंतर दबाव बना रही थी। कन्वर्जन के प्रस्ताव को पूर्णत: नकारने के बाद से लावण्या को नारकीय पीड़ा से गुजरना पड़ा था। उसकी पोंगल (मकर संक्रांति) की छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं और स्कूल के शौचालयों की सफाई, खाना पकाना, बर्तन मांजना इत्यादि काम करने के लिए बाध्य किया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार मिशनरी का विचार था कि उत्पीड़न से टूटकर अंतत: लावण्या ईसाइयत को अपना लेगी परंतु उसने निराशा में स्कूल में प्रयुक्त टॉयलेट क्लीनर का सेवन कर मर जाना बेहतर समझा। 19 जनवरी को उसकी मृत्यु हो गई।
लावण्या अत्यंत कुशाग्र बुद्धि की छात्रा थी। उसने अपनी मेधा एवं परिश्रम से मैट्रिक में 500 में से 488 अंक प्राप्त किए थे। बताया जा रहा है कि उसकी उस मेधा को देखते हुए दो वर्षों से उसे कन्वर्ट होने का प्रस्ताव और आगे की संपूर्ण शिक्षा मुफ़्त में तथा सहूलियतों का प्रलोभन दिया जा रहा था परंतु उसने अपनी आस्था को बिकाऊ नहीं समझा और मृत्यु को ही गले लगा लिया। लावण्या तमिलनाडु में अरियालुर जिले के तिरुमनूर ब्लॉक में वडुगपाल्यम गांव की निवासी थी। लावण्या के पिता मुरुगानंदम अत्यंत गरीब व्यक्ति हैं और 2012 से ही डीएमके के कार्डधारी सदस्य हैं।
स्टालिन सरकार खामोश
इस घटना से जनता में यह संदेश भी जा रहा है कि डीएमके इन मिशनरी अल्पसंख्यकों के बूते सत्ता में लौटी है, अत: उसकी ओर से ऐसी घटनाओं पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया की अपेक्षा करना बेमानी है। सत्य भी है कि अब तक डीएमके सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
तमिलनाडु राज्य मिशनरी के मायाजाल में बुरी तरह फंस चुका है। डीएमके के कार्डधारी हिन्दू सदस्यों के परिवारों का भी मिशनरी के चंगुल से बचना कठिन प्रतीत हो रहा है और स्टालिन सरकार की ओर से मुआवजा एवं त्वरित कार्रवाई तो दूर, अब तक दिवंगत लड़की के परिवार की सुध भी नहीं ली गई है। इससे डीएमके समर्थकों में भयंकर गुस्सा देखने को मिल रहा है कि इस सरकार को बनाने में गरीब हिन्दू कार्यकर्ताओं का परिश्रम भी शामिल है परंतु अल्पसंख्यक तुष्टिकरण पर आश्रित सरकार में उनका जीवन मरघट का सा बना हुआ है। लावण्या तमिलनाडु की पिछड़ी जाति मूपनार समुदाय से थी परंतु, उसकी आत्महत्या पर तमिलनाडु के हिन्दू संगठन एवं भाजपा के अतिरिक्त अन्यत्र सन्नाटा ही है। लावण्या की मिशनरी द्वारा की हुई सुनियोजित हत्या चयनित प्रदर्शनकारियों के चरित्र का सटीक विश्लेषण कर रही है।
आरोपी पर कार्रवाई के बजाय मां-पिता हिरासत में
मृत्यु से पूर्व रिकॉर्ड एक वीडियो में लावण्या ने पूरी घटना का उल्लेख करते हुए राकेल मेरी (आयु 40-45) द्वारा कन्वर्जन के प्रयास एवं प्रताड़ना को उजागर किया है। इसी वीडियो में यह भी स्पष्ट है कि लावण्या के माता-पिता को दो वर्ष पूर्व ईसाइयत में कन्वर्ट होने का प्रस्ताव दिया गया था। इस पर परिवार की ओर से भयंकर विरोध भी हुआ था। परिवार से यह जानकारी भी मिली है कि कन्वर्जन को नकारने के बाद लावण्या को छात्रावास में समय-असमय प्रताड़ना एवं उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। मिशनरी की ओर से सतत दो वर्षों से लड़की को येनकेन प्रकारेण कन्वर्ट करने का प्रयास जारी था। मिशनरी को लड़की की आर्थिक एवं पारिवारिक स्थिति की पूरी जानकारी थी। विकट स्थिति होने के कारण शिक्षा बीच ही में छूट जाने के भय से लड़की ने सारी प्रताड़ना एवं उत्पीड़न को झेलते हुए भी पढ़ने का हौसला बुलंद रखा था परंतु वह अंतत: अपमान एवं उत्पीड़न के आगे हार गई।
तंजावुर की पुलिस अधीक्षक प्रिया गंधपुनेनी ने पहले तो वीडियो रिकॉर्ड करने वाले की खबर लेने की बात की थी और कन्वर्जन के पहलू को पूर्णत: नकारा था परंतु न्यायालय के निदेर्शों पर अब पुष्टि हुई है कि लड़की की मृत्यु से पहले दर्ज किये गये बयान को जांच का आधार बनाया जा रहा है। लड़की के पिता घटना की सीबी-सीआईडी जांच की मांग कर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या इस घटना की जांच केंद्रीय अभिकरण द्वारा होती है। |
सूत्रों के अनुसार वीडियो में दिए गए बयान के आधार पर पुलिस द्वारा राकेल मेरी को गिरफ्तार करने के बजाय दिवंगत लड़की के माता-पिता को ही हिरासत में लिया गया था। वीडियो बयान रिकॉर्ड करनेवाले मुत्तुवेल, जो कि संयोग से विश्व हिन्दू परिषद के अरियालुर के जिला सचिव हैं, तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार करने पर जोर दिया था परंतु मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के निदेर्शों के उपरांत मामले में अलग मोड़ आया है। तंजावुर की पुलिस अधीक्षक प्रिया गंधपुनेनी ने पहले तो वीडियो रिकॉर्ड करने वाले की खबर लेने की बात की थी और कन्वर्जन के पहलू को पूर्णत: नकारा था परंतु न्यायालय के निदेर्शों पर अब पुष्टि हुई है कि लड़की की मृत्यु से पहले दर्ज किये गये बयान को जांच का आधार बनाया जा रहा है। लड़की के पिता घटना की सीबी-सीआईडी जांच की मांग कर रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या इस घटना की जांच केंद्रीय अभिकरण द्वारा होती है।
छात्रावास बने कन्वर्जन के अड्डे
स्थानीय स्रोतों से प्राप्त सूचना के अनुसार एक वर्ष पूर्व इसी स्कूल में इलक्किया नामक एक अन्य लड़की ने ऐसे ही विषपान कर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। उस लड़की को भी इसी प्रकार कन्वर्ट होने के लिए बाध्य किया जा रहा था। मिशनरी स्कूलों की चहारदीवारी के भीतर न जाने ऐसी कितनी ही इलक्किया-लावण्या होंगी, जो घुट-घुटकर कन्वर्ट होने या मरने के लिए बाध्य होती होंगी।
तमिलनाडु में स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय में मिशनरी की मानसिक यातनाओं को झेलने वाली एक छात्रा (अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर) बताती हैं कि छात्रावास कन्वर्जन के अड्डे बने हुए हैं। बीमार, निर्धन, तलाकशुदा, पिछड़ी जाति के विद्यार्थियों पर मिशनरी की पूरी निगाह रहती है। प्राधिकारियों के पास शिकायत तो की जा सकती है परंतु, शिकायत का पता चलने के बाद नानाविध यातनाओं की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अत: विद्यार्थी मन मसोस कर कन्वर्जन के दर्द को झेल जाते हैं। वह बताती हैं कि उसके साथ, पास-पड़ोस में रहने वाले, उठने-बैठने वाले बहुतांश क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के दोहन से ईसाइयत प्रसारक संस्थानों का विशाल जाल फैला हुआ है। ऐसे शिक्षा संस्थान कन्वर्जन के लिए सर्वथा श्रेयस्कर स्थान बन हुए हैं और कन्वर्जन मिशन अत्यंत तीव्रता के साथ चल रहा है। स्पष्ट है कि ‘रिलीजन’ सूचक विद्यालय-महाविद्यालय किसी-न-किसी रूप में मिशनरियों से संबद्ध हैं और कन्वर्जन के बड़े अड्डे हैं।
स्पष्ट है कि मिशनरियों के पास हिन्दू विद्यार्थियों के लिए दो ही विकल्प हैं -कन्वर्ट हो जाएं, अन्यथा प्रताड़ित होकर अपनी जान दे दें -लावण्या की तरह! सेक्यूलरिज्म के नाम पर अल्पसंख्यकों की अराजकता पर कोई उंगली भी नहीं उठा सकता। ऐसी अराजकता पर उंगली उठाने वाला ‘सांप्रदायिक’ कहलाता है। तमिलनाडु में बलात तथा षडयंत्रपूर्ण कन्वर्जन के समाचार नव संचार माध्यमों में यदा कदा एवं छिट-पुट रूप में आते रहते हैं परंतु मुख्यधारा के जनसंचार माध्यमों में प्राय: ऐसी घटनाओं को स्थान भी नहीं मिलता। कन्वर्जन की बात करते ही ‘सांप्रदायिक’ कहलाने का खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
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