हैदराबाद वाले ओवैसी और उनकी पार्टी एआईएमआईएम के अन्य नेता केंद्र सरकार पर बराबर आरोप लगाते रहे हैं कि वह केवल और केवल हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि देश के मुसलमान उनके साथ आएं। उन्हें इस बात से कोई लेना—देना नहीं है कि वे झूठ बोलकर लोगों के बीच मनमुटाव पैदा कर रहे हैं। एआईएमआईएम के विधायक अख्तरूल इमाम के हालिया बयान को भी लोग इसी रूप में देख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उन्होंने कहा है, ''रेलवे भर्ती बोर्ड के जरिए केंद्र सरकार हिंदुत्व के एजेंडे को लागू करना चाहती है। इसलिए वह भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रही है।'' इमाम के इस बयान का पूर्णिया के भाजपा विधायक विजय कुमार ने विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि नेताओं को मजहबी उन्माद फैलाने वाले बयान नहीं देने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा चलन हो गया है कि कुछ लोग हर समस्या के लिए हिंदुत्व को जिम्मेदार ठहरा देते हैं।
कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इमाम ने यह बयान उन युवाओं को एक बार फिर से भड़काने के लिए दिया, जिन्होंने पिछले दिनों बिहार के कई रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन किया था और कई रेलगाड़ियों में आग लगा दी थी। अच्छी बात यह हुई कि इमाम के इस बयान को युवाओं ने कोई महत्व नहीं दिया, लेकिन इसके साथ ही कुछ लोग यह भी कहत सुने गए कि यदि इमाम इसी तरह बयान देते रहे तो आने वाले समय में राज्य में परेशानी बढ़ सकती है।
इसके पहले भी अख्तरूल इमाम अपने वक्तव्यों के कारण विवाद में रहे हैं। गत वर्ष विधानसभा के शीतकालीन सत्र की समाप्ति पर उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ गाने से इंकार कर दिया था। उनके अनुसार संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसमें ‘वंदे मातरम्’ गाना अनिवार्य माना जाए। उस समय भाजपा विधायक संजय सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि इससे बेहतर होगा कि उन्हें जिस देश का राष्ट्रगीत अच्छा लगता है वहां चले जाएं।
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