भारत में शुरू हुई अनेक सॉफ़्टवेयर परियोजनाओं का वैश्विक कंपनियों ने अधिग्रहण भी किया है जिनमें से तीन का जिक्र इस बार करेंगे। टैगटाइल, जिसे फेसबुक ने अधिग्रहीत किया, स्लाइडशेयर को लिंक्डइन और स्क्रिब्ड ने तथा हॉटमेल को माइक्रोसॉफ़्ट ने अधिग्रहीत किया। इनके अलावा भी अनेक सॉफ़्टवेयर परियोजनाएं ऐसी हैं जिनके उत्पादों की गुणवत्ता और लोकप्रियता के चलते उन पर वैश्विक कंपनियों की नजर है।
टैगटाइल
टैगटाइल (www.tagtile.com ) कारोबारियों की मदद के लिए विकसित लॉयल्टी और डायरेक्ट मार्केटिंग मोबाइल सॉल्यूशन है जो नए ग्राहकों को उनके कारोबार तक लाने में मदद करता है। अभीक आनंद और सोहम मजूमदार नामक दो आईआईटी स्नातकों ने इसे विकसित किया था। महज एक साल के भीतर ही फेसबुक की नजर इस परियोजना पर पड़ी और इन्स्टाग्राम के चर्चित अधिग्रहण के बाद उसने इसे भी अपनी छत्रछाया में ले लिया। यह कंपनियों को मोबाइल फोन के जरिए लगातार ग्राहकों के संपर्क में रहने की सुविधा देता है। इसके जन्म का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं। अभीक और सोहम सानफ्रांसिस्को (अमेरिका)के फातूस रेस्तरां में बैठे थे, तभी रेस्तरां मालिक ने वेब आधारित कंपनियों की आलोचना शुरू कर दी। उसने कहा कि ग्रूपन (groupon.com) जैसी कंपनियों की मार्फत डिस्काउंट लेकर आने वाले ग्राहक एक बार तो आ जाते हैं, दोबारा मुंह उठाकर भी नहीं देखते। अभीक और सोहम को तुरंत यह विचार आया कि क्या कोई ऐसा रास्ता निकाला जा सकता है कि ऐसे ग्राहक कारोबारियों के लगातार संपर्क में रह सकें? साहिबाबाद (गाजियाबाद-दिल्ली) और रांची के इन दोनों दोस्तों ने एक नए आइडिया की खोज शुरू कर दी, जिसकी परिणति टैगटाइल के रूप में हुई।
स्लाइड शेयर
स्लाइड शेयर (www.slideshare.com) पेशेवर लोगों के लिए तैयार की गई एक विशाल स्लाइड होस्टिंग वेबसाइट है जिस पर आप अपने प्रेजेन्टेशन्स रख सकते हैं और दूसरों के डाले गए प्रेजेन्टेशन्स का अध्ययन कर सकते हैं। करीब-करीब यूट्यूब की तरह ही, जहां प्रेजेन्टेशन्स के बजाय वीडियो अपलोड किए जाते हैं। चार अक्तूबर 2006 को शुरू हुई इस वेबसाइट के पीछे हैं रश्मि सिन्हा और जोनाथन बाउतेल। सन 2012 में लिंक्डइन ने इसका अधिग्रहण किया था और 2020 में स्क्रिब्ड नामक अंतरराष्ट्रीय कंपनी ने।
पेशेवर दुनिया में प्रेजेन्टेशन (पावरप्वाइंट, फ्लैश, पीडीएफ, कीनोट, ओपन आॅफिस प्रेजेन्टेशन आदि) की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। स्लाइड शेयर ने इन फाइलों को इंटरनेट ब्राउजर के भीतर ही चलाने की अनोखी सुविधा का विकास किया है। हैंडहैल्ड डिवाइसेज पर भी यह सेवा उपलब्ध है। आज स्लाइड शेयर.कॉम पर हर महीने करीब छह करोड़ 'युनीक विजिटर' (ऐसे पाठक जो भले ही बार-बार साइट पर आएं, उनकी गणना सिर्फ एक बार ही की जाती है) आते हैं। व्हाइट हाउस, नासा और वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम जैसे संस्थान भी इसके यूजर हैं। कुल प्रयोक्ताओं की संख्या आठ करोड़ है।
हॉटमेल
इन उत्पादों की कामयाबी वेब के शुरूआती दौर की याद दिलाती है जब 1996 में एक भारतीय इंजीनियर सबीर भाटिया ने हॉटमेल.कॉम का विकास कर उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया था। हॉटमेल दुनिया की पहली वेब आधारित ईमेल सेवाओं में से एक थी। महज दो साल के भीतर उसने लोकप्रियता के अनेक कीर्तिमान रच दिए तो वेब पर अपनी जगह मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी माइक्रोसॉफ्ट का ध्यान उसकी ओर गया। हॉटमेल को लांच हुए अभी एक साल ही हुआ था कि विश्व की शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने सबीर और उनके साथी जैक स्मिथ के सामने अधिग्रहण की पेशकश कर दी। सौदा पूरा हुआ करीब 40 करोड़ डॉलर (लगभग 2200 करोड़ रुपये)में। मशहूर वेंचर कैपिटल फर्म ड्रेपर फिशर जरवेट्सन ने उन्हें 'वर्ष 1997 का उद्यमी' घोषित किया था और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नॉलॉजी ने ऐसे सौ युवाओं में गिना था जो तकनीक पर महानतम प्रभाव छोड़ने वाले हैं।अब माइक्रोसॉफ्ट ने अब उसे अपनी नई ईमेल सेवा आउटलुक.कॉम में समाहित कर दिया है। सबीर भाटिया की कामयाबी ने बड़ी संख्या में भारतीय कंप्यूटर इंजीनियरों को प्रोत्साहित किया था।
प्रेसमार्ट
हैदराबाद में आधारित कंपनी बोध ट्री कन्सल्टिंग ने प्रिंट मीडिया के आनलाइन संस्करणों के लिए प्रेसमार्ट (www.pressmart.com) नामक 'ईपेपर' सॉल्यूशन विकसित किया था, जो अपनी किस्म के शुरूआती सॉल्यूशन्स में शामिल था। हालांकि आज इस तरह के सॉल्यूशन कई कंपनियां उपलब्ध करा रही हैं लेकिन करीब नौ साल पहले, जब बोध ट्री का सॉल्यूशन जारी किया गया, तब यह स्थिति नहीं थी। आज 57 देशों के दर्जनों बड़े मीडिया हाउस बोध ट्री का ईपेपर सॉल्यूशन इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें वॉल स्ट्रीट जर्नल, संडे टाइम्स (लंदन), खलीज टाइम्सऔर फाइनेंशियल न्यूजशामिल हैं। भारत के तो दर्जनों बड़े अखबार हैं ही। बोध ट्री का नेतृत्व संजीव गुप्ता करते हैं। (लेखक सुप्रसिद्ध तकनीक विशेषज्ञ हैं)
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