समाज में व्याप्त अश्पृश्यता यानी छुआछूत या आपसी भेदभाव का अंत करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने 14—23 जनवरी तक पूरे देश में अनेक कार्यक्रम किए। दिल्ली,गुजरात,मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हुए इन कार्यक्रमों से समाज में समरसता बढ़ी। इसी कड़ी में 21 जनवरी को दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित भगवान श्री वाल्मीकि मंदिर में सामाजिक समरसता संकल्प सभा हुई।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय समरसता प्रमुख श्री देवजी भाई रावत ने कहा कि वाल्मीकि समाज एक धर्म योद्धा समाज है, जिसके कारण हिंदू समाज की रक्षा हुई। इस समाज ने चाहे मैला ढोना स्वीकार किया, किंतु स्वधर्म नहीं छोड़ा और सतत रूप से हिंदू समाज,हिंदू जीवन—मूल्यों और हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य किया। हमें इस पर गर्व है।
विश्व हिंदू परिषद, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना ने कहा कि 'एक कुआं, एक श्मशान और एक मंदिर' प्रत्येक गांव में सबके लिए समान रूप से खुले होंगे, हम किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होने देंगे। अपने आशीर्वचन में मंदिर के महंत पूज्य श्री विवेक नाथ जी महाराज ने कहा कि हमें आशा है कि विश्व हिंदू परिषद का यह प्रयास सार्थक होकर संपूर्ण हिंदू समाज को एकाकार करने में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम को वाल्मीकि समाज के श्री दिनेश हितैषी और श्री रूपेश महवा वाल्मीकि ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम के उपरांत एक समरसता भोज का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने मंदिर प्रांगण में एक साथ बैठ करके भोजन प्रसाद ग्रहण किया और एक संकल्प के साथ सभी लोग विदा हुए कि अब समरस समाज की स्थापना करेंगे।
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