झारखंड में रामगढ़ जिले के भूतपूर्व सैनिक रामगढ़ प्रशासन की हरकतों से काफी नाराज हैं। उनमें से एक हैं पूर्व सैनिक रामटहल महतो। सरकार ने उन्हें कुछ वर्ष पहले 2.5 एकड़ का एक भूखंड दिया था। शहर के बगल में होने की वजह से उस पर भूमि माफिया की नजर लग गई। इसके बाद स्थानीय अंचलाधिकारी से सांठगांठ कर उस भूमि पर माफिया कब्जा कर बैठा। अब माफिया को हटाने के लिए रामटहल चौधरी प्रशासनिक पदाधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है।
उल्लेखनीय है कि रामटहल महतो 28 वर्ष तक नौसेना में सेवा देने के बाद 2013 में सेवानिवृत्त हुए। नौकरी के दौरान भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उच्च शिक्षा प्राप्त की। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने सोचा कि अपने पैतृक स्थल रामगढ़ आकर खेती-बाड़ी के साथ-साथ गरीब बच्चों को शिक्षा, विशेषकर फौज में जाने की तैयारी करवाएंगे। इसके लिए उनके पास जगह नहीं थी। इस तरह के काम के लिए सैनिक सरकार से जगह ले सकते हैं। इसलिए उन्होंने राज्य सरकार के पास आवेदन किया और उन्हें 2000 में ही जमीन मिल गई। जब वे सेवानिवृत्त होकर लौटे तो उस जमीन पर गरीब बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की और शेष जमीन पर वे खेती करने लगे। अब उनका कहना है कि भूमाफिया ने 2017 में पतरातू के अंचल अधिकारी की मदद से उस जमीन के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इसके लिए भूमाफिया ने अपने को भूमिहीन बताया और अधिकारियों के सहयोग से लगभग 1 एकड़ 30 डिसमिल जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया।
श्री महतो ने बताया कि इस मामले को लेकर वे जिले के सभी छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारियों के पास गए, लेकिन कब्जा करने वाले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब इस मामले को लेकर पतरातू के अंचल अधिकारी से बात हुई तो वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि रामटहल महतो की जमीन पर कुछ और विवाद है। इसी वजह से काफी देर हो रही है। जब पूछा गया कि कौन—सा विवाद है तो उन्होंने कहा कि यह भूमि वन विभाग की है और उस भूमि पर व्यावसायिक गतिविधि की जा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि यह जमीन उन्हें सरकार की ओर से उचित कागजी कार्रवाई करने के बाद ही मिली थी। उस जमीन पर वे खेती के साथ—साथ गरीब बच्चों को शिक्षा देने का काम करते हैं। इसी पर सरकारी अधिकारी कह रहे हैं कि रामटहल व्यावसायिक कार्य कर रहे हैं। क्या गरीब बच्चों को शिक्षा देना व्यवसाय है! इन सबका उत्तर अंचलाधिकारी नहीं दे पाए।
हालांकि अब इस मामले में जिलेभर के भूतपूर्व सैनिक रामटहल महतो के समर्थन में खड़े होते नजर आ रहे हैं। उन लोगों ने कहा है कि अगर प्रशासन की ओर से जल्दी से जल्दी इस मामले का निष्पादन नहीं हुआ तो पूरे राज्य में आंदोलन किया जाएगा।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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