बिहार के मुस्लिम—बहुल जिले किशनगंज में गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहाराना भी कई लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है। 26 जनवरी को मोहम्मद आबिद आलम नामक एक व्यक्ति ने अपने घर के पास स्थित सरकारी विद्यालय में तिरंगा नहीं लहराने दिया। इसके साथ ही उसने वहां की प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी के साथ बदतमीजी की और उन्हें जातिसूचक भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं।
घटना किशनगंज जिले के कोचाधामन थाना क्षेत्र के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, धनपुरा की है। 26 जनवरी को मंजू कुमारी जब तिरंगा फहरा रही थीं, तभी आबिद वहां पहुंचा और अपशब्द बकने लगा। इसके बाद उसने तिरंगे को जलाने का प्रयास किया। यह देखकर वहां उपस्थित लोग दंग रह गए। मंजू कुमारी के अनुसार कोरोना के दिशानिर्देशों को देखते हुए कम ही लोगों को बुलाया गया था। इसी बात पर आबिद नाराज हो गया और उसने ऐसी हरकत कर दी। स्थानीय थाने में उक्त घटना की लिखित शिकायत दर्ज करायी गई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी इसकी जानकारी दी गई है।
दरअसल, इस पूरे इलाके में एक षड्यंत्र के तहत हिंदुओं को परेशान किया जा रहा है। किसी हिंदू शिक्षक या अधिकारी को काम नहीं करने दिया जाता है, ताकि वह परेशान होकर वहां से और कहीं चला जाए और उसकी जगह कोई मुस्लिम शिक्षक या अधिकारी आए।
पिछले साल अगस्त में किशनगंज के ‘उर्दू लाइन मध्य विद्यालय’ में एक ऐसी ही घटना हुई थी। एक हिंदू प्रधानाध्यापिका की नियुक्ति होने पर वहां के शिक्षकों और स्थानीय लोगों ने उन्हें कई महीने तक पदभार ग्रहण नहीं करने दिया था। इस मामले में ठाकुरगंज के विधायक सऊद आलम नदवी भी कूद पड़े थे। नदवी ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर उर्दू विद्यालय में हिंदी भाषी अध्यापिका और एक सहायक शिक्षक की नियुक्ति का विरोध किया था। उन्होंने मांग की थी कि विद्यालय में सिर्फ उर्दू भाषी अध्यापक की नियुक्ति की जाए।
अब जब एक विधायक की ऐसी सोच हो तो आम आदमी की सोच का अंदाजा लगा सकते हैं।
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