तालिबान के राज में महीनों से दबे—छुपे रह रहे हैं समलैंगिक समुदाय के लोग, क्योंकि उन्हें लगता है कि तालिबान उन्हें जिंदा नहीं रहने देंगे। समुदाय डरा हुआ है। डर के पीछे एक और कारण है कि अब उनके परिवार के लोग ही उनके विरुद्ध हो गए हैं।
अफगानिस्तान में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। यहां महिलाएं तो सुरक्षित हैं ही, एलजीबीटी या समलैंगिक समुदाय वाले भी खौफ के साए में जीने को विवश हैं। अब उनके ही परिवार उनके साथ नहीं खड़े हैं क्योंकि सिर पर तालिबान की बंदूक तनी है। यह सब लिखा है ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की ताजा रिपोर्ट में। इसमें लिखा है कि अफगानिस्तान का एलजीबीटी समुदाय तालिबान राज के तहत अपने जीवन पर गंभीर खतरों के साए में जी रहा है।
अफगानी एलजीबीटी समुदाय के 60 लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार 43 पृष्ठों वाली इस ताजा रिपोर्ट ने साफ बताया गया है कि तालिबानियों ने कैसे उनको पहचानकर उन पर हमले किए, उन्हें धमकियां दीं।
ह्यूमन राइट्स वाच तथा आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के पक्ष वाले अनेक नागरिकों ने समलैंगिकों के परिवार वालों और पड़ोसियों को चेताया है कि अगर उन्हें अपनी जान प्यारी है अपने आसपास के एलजीबीटी लोगों के विरुद्ध कदम उठाएं, नहीं तो खैर नहीं।
ह्यूमन राइट्स वाच तथा आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान के पक्ष वाले अनेक नागरिकों ने समलैंगिकों के परिवार वालों और पड़ोसियों को चेताया है कि अगर उन्हें अपनी जान प्यारी है अपने आसपास के एलजीबीटी लोगों के विरुद्ध कदम उठाएं, नहीं तो खैर नहीं।
एचआरडब्ल्यू के अनुसार, रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसने ज्यादातर साक्षात्कार अफगानिस्तान में लिए हैं, कुछ साक्षात्कार पड़ोसी देशों में भी किए गए थे। समलैंगिक संबंधों के विरुद्ध उन देशों के कानून ऐसे नहीं हैं कि वे कानूनी तरीके से किसी दूसरे देश में आसानी से जा पाएं। इस वजह से एलजीबीटी समुदाय वालों को यह डर भी है कि कहीं उन्हें यूं ही निर्वासित न कर दिया जाए।
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