भारत से सटी वाघा सीमा पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की 'मेगा सिटी' बनाने की सपनीली परियोजना पर जनता की गाज गिर रही है। महंगाई से त्रस्त आम पाकिस्तानी इमरान की इस 'अक्लमंदी' पर हैरान हैं, किसान अपनी जमीनें छिनने से परेशान हैं और सरकार को कोस रहे हैं। इसलिए अब लगता नहीं है कि सरहद से सिर्फ 28 किलोमीटर दूर प्रतावित पाकिस्तान की महत्वाकांक्षी 'रावी मेगा सिटी' परियोजना अमल में आ पाएगी।
दरअसल इमरान खान करीब 52 हजार करोड़ रुपए की इस 'रावी सिटी परियोजना' को पूरा करने की भरसक कोशिश में जुटे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर इस परियोजना को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि कर्ज के बोझ से दबते जा रहे पाकिस्तान के हुक्मरान फिजूलखर्ची से बाज क्यों नहीं आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत-पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा सीमा से सिर्फ 28 किलोमीटर के फासले पर रावी नदी के किनारे इमरान सरकार ने एक मेगा सिटी बनाने की योजना तैयार की है। अधिकारी इसे प्रधानमंत्री इमरान खान के मनपसंद योजना बता रहे हैं। कहा यह भी गया है कि ये हरित शहर बनेगा और यह प्रदूषित रावी नदी को भी सुधार देगा। इसकी अनुमानित लागत करीब 52 हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। लेकिन अब इस पर गाज गिरती दिख रही है। कारण, पाकिस्तान की आम जनता ने फिजूलखर्ची बताकर इसका भारी विरोध किया है। इससे लगता है कि यह 'शहर' कभी साकार न हो पाएगा।
इतना ही नहीं, लाहौर उच्च नयायालय ने तो पिछले साल ही इस परियोजना को बंद करने का हुक्म दिया था। खबर है कि करीब 46 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रस्तावित इस रावी मेगा सिटी परियोजना को 15 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस शहर को खड़ा करने के लिए 'रावी अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी' भी बनाई गई है। इसके सीईओ हैं इमरान अमीनक। अमीनक का कहना है कि मेगा सिटी के लिए रावी नदी से नहरें निकाली जाएंगी।
किसानों ने ही अब इसके विरोध में झंडा उठा लिया है। नाराज किसानों ने लाहौर उच्च न्यायालय में इस सिटी के विरुद्ध अपील की है। उनका कहना है कि यही उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली तो वे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
हैरानी की बात है कि इस परियोजना रणनीतिक रूप से संवेदनशील वाघा सीमा से सिर्फ 28 किलोमीटर दूर बनाने की तैयारियां चल रही हैं। नाराज किसानों ने भी लाहौर उच्च न्यायालय में इस सिटी के विरुद्ध अपील की है और उनका कहना है कि यही उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली तो वे सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
सामरिक विशेषज्ञ इस पर नजर रखे हुए हैं, लेकिन वहां के किसानों ने ही अब इसके विरोध में झंडा उठा लिया है। इसलिए लगता यही है कि फिलहाल इमरान सरकार की यह चहेती परियोजना खटाई में पड़ सकती है और इस शहर के रोशन होने से पहले ही यहां की बत्ती गुल हो सकती है।
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