हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जामा से विधायक और शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दिवगंत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन और अपने कुछ अन्य नेताओं को एक नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि झामुमो के नेता केवल पार्टी की मजदूर यूनियन 'झारखंड कोलयरी यूनियन मोर्चा' का ही काम देखेंगे, और किसी यूनियन में शामिल नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि इससे पहले ऐसा कोई नियम नहीं था। इस कारण झामुमो के अनेक नेता वामपंथ और कांग्रेस से जुड़े मजदूरों संघों में हैं। सीता सोरेन भाकपा की ट्रेड यूनियन एटक से, गांडेय के विधायक डॉ. सरफराज अहमद कांग्रेस की ट्रेड यूनियन इंटक से और टुंडी के विधायक मथुरा प्रसाद महतो वामपंथी ट्रेड यूनियन बिहार कोलियरी कामगार यूनियन से जुड़े हैं। नोटिस मिलने के बाद मथुरा प्रसाद महतो ने बिहार कोलियरी कामगार यूनियन से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन सीता सोरेन और सरफराज अहमद ने ऐसा नहीं किया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले सीता सोरेन ने कहा था कि मजदूर हित में किसी भी यूनियन से जुड़ने से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद ही पार्टी ने उपरोक्त नोटिस जारी किया है। इससे पहले सीता सोरेन को 25 अगस्त, 2021 को भी तत्कालीन झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की ओर से नोटिस दिया गया था।
दरअसल, सीता सोरेन बराबर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व के विरुद्ध बयानबाजी करती रहती हैं। कुछ दिन पहले अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ विधानसभा के द्वार पर धरने पर बैठ गई थीं। इससे राज्य सरकार की भारी किरकिरी हुई थी। सीता सोरेन के अनुसार झारखंड की वर्तमान सरकार जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा नहीं कर पा रही है। इसके साथ ही वह कहती रहती हैं कि इस सरकार में जनजातीय समाज के अधिकारों का भी हनन हो रहा है। सीता सोरेन राज्य में हो रही तस्करी के विरुद्ध भी आवाज उठाती रही हैं। कुछ समय पहले सीता सोरेन की दोनों बेटियों जयश्री और राजश्री ने 'दुर्गा सोरेन सेना' का गठन किया है। इसके बाद से ही झारखंड में चर्चा है कि सीता सोरेन नई पार्टी बनाने वाली हैं। निश्चित रूप से इसका प्रभाव झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पड़ेगा। अब समय ही बताएगा कि देवर और भाभी के बीच चल रही यह लड़ाई क्या रंग दिखाएगी।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
टिप्पणियाँ