अंतरराष्ट्रीय भूराजनीति में आज ये सवाल बहुत जोरशोर से सुनाई दे रहे हैं कि, क्या रूस जल्दी ही यूक्रेन पर हमला बोलने जा रहा है? क्या रूस और अमेरिका के बीच तनाव कम करने को लेकर हुई वार्ता विफल रही है? क्या रूस के विदेश मंत्री की नाटो को यूक्रेन से दूर रहने की सलाह देने के मायने क्या हैं? ताजा मिले समाचार संकेत सही नहीं कर रहे हैं।
पता चला है कि रूस और नाटो में यूक्रेन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थित अपने दूतावास को लगभग खाली करा लिया है। सभी कर्मियों को मास्को बुला लिया गया है। बहुत संभव है रूस के तेवर तीखे होते जा रहे हैं और वह नहीं चाहता कि युद्ध होने की सूरत में उसके दूतावास में कार्यरत लोग इसमें किसी खतरे में पड़ें।
बात इतनी ही नहीं है। यूक्रेन के साथ खड़े कनाडा और ब्रिटेन ने रूस से संभावित तनाव को देखते हुए क्रमश: अपने सैनिक और मिसाइलें यूक्रेन की मदद के लिए तैनात कर दी हैं। बताया जा रहा है कि ब्रिटेन ने ये मिसाइलें रूसी टैंकों का सामना करने के लिए भेजी हैं।
अमेरिकी दैनिक ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने 18 जनवरी को एक रिपोर्ट छापी है जिसके अनुसार, रूस गुपचुप तौर पर यूक्रेन को घेरने की कोशिश करने में जुटा है। शायद इसी को देखते हुए गत 5 जनवरी को उसने कीव के अपने दूतावास से 18 लोगों को मॉस्को बुला लिया था। ये सभी दूतावास कर्मी सड़क मार्ग से 15 घंटे का सफर करके मॉस्को पहुंचे थे। इसके कुछ दिन बाद दूतावास से 30 और लोगों को सड़क मार्ग से ही मॉस्को भेजा गया। कीव के अलावा यूक्रेन में रूस के दो कॉन्सुलेट भी हैं। इनके कर्मचारियों को भी बता दिया गया है कि उन्हें किसी भी समय मॉस्को लौटने का आदेश दिया जा सकता है।
बेलारूस रूस की मदद को आगे आ चुका है। वहां के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको का कहना है कि उनकी सेनाएं रूस के साथ सैन्य अभ्यास में जुट चुकी हैं। यूक्रेन के सैन्य अधिकारियों का कयास है कि रूसी सेना बेलारूस से उन पर हमला बोल सकती है। इस संभावना को देखते हुए यूक्रेन ने भी तैयारी करनी शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से यूक्रेन के संदर्भ में वर्चुअल बैठक की थी। यह बैठक बहुत सफल तो नहीं रही थी लेकिन दोनों नेता बातचीत जारी रखने पर राजी हुए थे। लेकिन इस बीच खबर है कि रूस की फौज हमला बोलने की तैयारियों में जुटी हुई है। दूतावास को खाली कराना इस तरफ एक इशारा तो करता ही है। हैरानी की बात है कि 18 जनवरी को रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है कि कीव में मौजूद उसके दूतावास का कामकाज पहले जैसे ही काम कर रहा है।
उधर अमेरिका ने भी तेवर कड़े किए हुए हैं। इस पूरे प्रकरण पर अमेरिका और नाटो की पैनी नजर है। रूस के आक्रमण की सूरत में क्या किया जा सकता है, उसे लेकर चर्चाएं चल रही हैं। मौजूदा परिस्थितियों में तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश यूक्रेन के साथ खड़े हैं। ब्रिटेन ने तो यूक्रेन के सहयोग का फैसला कर लिया है और इसीलिए अपनी एंटी टैंक मिसाइलें तैनात भी कर दी हैं। ब्रिटेन ने रूसी टैंकों का सामना करने के लिए ये मिसाइलें यूक्रेन भेजनी शुरू कर दी हैं। इसके अलावा, कनाडा ने सैनिकों की एक विशेष रेजीमेंट कीव रवाना कर दी है।
रूस का पड़ोसी देश बेलारूस रूस की मदद को आगे आ चुका है। वहां के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको का कहना है कि उनकी सेनाएं रूस के साथ सैन्य अभ्यास में जुट चुकी हैं। यूक्रेन के सैन्य अधिकारियों का कयास है कि रूसी सेना बेलारूस से उन पर हमला बोल सकती है। इस संभावना को देखते हुए यूक्रेन ने भी तैयारी करनी शुरू कर दी है। अमेरिका के विशेषज्ञों का मानना है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास 60 बटालियन तैनात की हुई हैं। इनमें कुल 77 हजार से एक लाख सैनिक तक हैं।
कुल मिलाकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञ ये भी मान रहे हैं कि हो सकता है वहां से सुलगी चिंगारी तीसरे विश्व युद्ध को भड़का दे। हालांकि अमेरिका और नाटो की तरफ से रूस से वार्ता के रास्ते खोले रखने के प्रयास भी जारी हैं, लेकिन उनका क्या असर होगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
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