चालाक विस्तारवादी चीन की मंशा को लेकर कम से कम भारत को तो अब संदेह नहीं बचा है कि वह लद्दाख में कोई बड़ी गड़बड़ कर सकता है। ताजे उपग्रह चित्र ने खुलासा किया है कि ड्रैगन पूर्वी लद्दाख में पैगोंग झील के पास जिस अवैध पुल का निर्माण कर रहा है वह पूरा होने ही वाला है। यह उपग्रह चित्र यूरोप की एजेंसी ने जारी किया है।
चीन का यह पुल इस झील के उत्तरी तथा दक्षिणी तटों को जोड़ता है। हालांकि उस इलाके में भारी बर्फबारी हो रही है लेकिन इससे रुकने की बजाय चीन ने पुल को बनाने में नई तेजी दिखाई है। उपग्रह चित्र की बताई बात सही है तो यह भारत के लिए चिंता की बात है क्योंकि यह पुल भारत की दावेदारी वाली सीमा रेखा के बेहद नजदीक है। इस इलाके को चीन दसियों साल से अपना हिस्सा बताता आ रहा है।
उपग्रह से मिली ताजा तस्वीरों से साफ पता चला है कि चीन का यह अवैध पुल करीब 315 मीटर लंबा होगा जो झील के दक्षिण तट को उत्तर तट से सटे क्षेत्र में हाल में बनी सड़क से जोड़ता है। उपग्रह चित्रों में चीन की मशीनें और निर्माण में लगे संयंत्र साफ नजर आ रहे हैं।
पुल के साथ ही चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी दूसरी निर्माण गतिविधियां ज्यादा तेज की हैं। भारत के साथ जारी सीमा विवाद तथा सैन्य कमांडरों की बातचीत के बीच भी चीन ने इस काम को रोका नहीं है। झील पर पुल ही नहीं, वह गलवान क्षेत्र में सड़कें तथा अन्य पुल बना रहा है। यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने उपग्रह चित्रों के आधार पर यह बात उजागर की है।
दरअसल अंतरिक्ष एजेंसी मैक्सर टेक्नालॉजीस द्वारा जारी उपग्रह चित्रों के साथ ही यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा जारी ताजा तस्वीरों को जोड़कर देखा गया है। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, चीन ने गत वर्ष सितम्बर में पैगोंग झील के उत्तर में पुल बनाना शुरू किया था। लेकिन अब यह झील के दक्षिणी तट से कुछ ही मीटर दूरी तक बनना बचा है। यानी पुल पूरा होने ही वाला है।
उल्लेखनीय है कि उपग्रह से मिली ताजा तस्वीरों से साफ पता चला है कि चीन का यह अवैध पुल करीब 315 मीटर लंबा होगा जो झील के दक्षिण तट को उत्तर तट से सटे क्षेत्र में हाल में बनी सड़क से जोड़ता है। उपग्रह चित्रों में चीन की मशीनें और निर्माण में लगे संयंत्र साफ नजर आ रहे हैं।
इस साल के शुरू में भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि चीन का पुल उस इलाके में बन रहा है, जहां चीन गत 60 साल से अवैध कब्जा जमाए बैठा है। भारत ने उसके इस अवैध निर्माण को मंजूरी नहीं दी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, चीन नहीं चाहता कि अगस्त 2020 जैसे हालात फिर से न बनें। उस वक्त भारतीय सेना ने चीनी सेना को छकाते हुए कैलाश पर्वत की अनेक महत्वपूर्ण चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया था। फिर पैगोंग झील के दक्षिण तट पर दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने आ डटी थीं। लेकिन दोनों तरफ से आपसी समझौता किया गया और सेनाएं पीछे हटा ली गईं।
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